Famous 10 Temples In Jaunpur – जौनपुर के 10 प्रसिद्ध मंदिर

Famous Temples In Jaunpur ||जौनपुर के प्रसिद्ध मंदिर || जब बात आती है धार्मिक और आध्यात्मिक स्थलों की, तो भारत देश की धरोहर अपनी अनमोली धारा के साथ हमेशा ही चमकती रही है। इस धारोहर का एक  हिस्सा जौनपुर शहर भी है, जो अपने प्राचीन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ के मंदिर हमें न केवल उनकी श्रद्धा की भावना से जुड़ते हैं, बल्कि उनकी वास्तुकला और सौंदर्य भी हमें मोहित करते हैं। “Famous Temples In Jaunpur – जौनपुर के प्रसिद्ध मंदिर” शीर्षक वाले इस ब्लॉग में, हम आपको ले जाएंगे उन पवित्र स्थलों की यात्रा पर, जो आपके मान-आत्मा को शांति और प्रेरणा का अहसास कराएंगे।

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             Famous Temples In Jaunpur – जौनपुर के प्रसिद्ध मंदिर

 

जौनपुर के प्रमुख मंदिर :-

1.)अखड़ो देवी मंदिर

जौनपुर जनपद से लगभग 6 किलोमीटर की दूरी पर जमैथा नामक गाँव स्थित है, जहां गोमती नदी के तट पर अखड़ो माता मंदिर स्थित है। जौनपुर नाम के विषय में विवाद है, और इसमें से एक अभियान्तर यह है कि जौनपुर का नाम ऋषि जमदग्नि से जुड़ा है और पहले इसका नाम जमदग्निपुरा था। जमैथा में स्थित ऋषि परशुराम का जन्म हुआ था। जमदग्नि और रेणुका की सबसे छोटी संतान परशुराम एक अर्ध-क्षत्रिय और अर्ध-ब्राह्मण थे। विशेषकर, कथा के अनुसार, जमदग्नि का आश्रम जमैथा में था। एक दिन माता रेणुका नदी किनारे जल लेने गईं थीं और वहां उन्होंने एक गन्धर्व को आकाश में उड़ते हुए देखा। वापस लौटने पर जमदग्नि को माता की इस आचरण की वजह से क्रोधित नज़र आये, उन्होंने उनकी माता के सिर को अलग करने के लिए कहा। कोई भी संतान ने इस आदेश का पालन नहीं किया, लेकिन परशुराम ने अपने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए माता के सिर को कलम कर दिया।
माता रेणुका डर के कारण भाग रही थीं, जब वे मातंगों की बस्ती पहुंचीं, वहां एक मातंग स्त्री उन्हें बचाने के लिए आगे आई, लेकिन परशुराम ने दोनों स्त्रियों के सिर काट दिए। जमदग्नि खुश होकर उनसे वर मांगने के लिए कहा, और परशुराम ने उनसे अपनी माता को पुनर्जीवित करने के लिए कहा, जिसे वे मान गए। जब परशुराम ने अपनी माता का सर उनके शरीर पर रखा, तो उस समय देखा कि शरीर एक मातंग स्त्री का था और उनकी माता के शरीर पर उस स्त्री का सर था, जो रेणुका और मातंगी देवी के नाम से विशेष रूप से परिचित हैं।
परशुराम ने अपनी माता के लिए अखंड जीवन की मांग की थी, और उसके बाद जमैथा के भूमि पर रेणुका माता जीवित हो उठीं। जमैथा का अखड़ो माता मंदिर रेणुका देवी का ही मंदिर है, जिसे वक्त के साथ अखड़ो माता के नाम से जाना जाने लगा है। आज भी जमैथा में अखण्ड देवी की पूजा भक्ति भाव से की जाती है।

स्थान:- जौनपुर , उत्तर प्रदेश

अखड़ो देवी मंदिर
                          अखड़ो देवी मंदिर

2.)शीतला माता चौकिया

शीतला चौकिया देवी का मंदिर बहुत प्राचीन है। प्राचीन भारत के समय से ही शिव और शक्ति की पूजा चली आ रही है। इतिहास के आधार पर कहा जाता है की हिंदू राजाओं के काल में जौनपुर नगर का राज अहीर शासकों के राजवंश के अधीन था। जौनपुर के प्रारंभिक अहीर शासक हीरा चंद्र यादव के रूप में जाना जाता है। चौकिया देवी का मंदिर शायद यादवों या भरों ने बनवाया था, परंतु भरों की प्रवृत्ति को देखते हुए चौकिया मंदिर उनके द्वारा बनवाया गया होने की अधिक युक्तिसंगति प्रतीत होती है। भर अनार्य जाति के थे और शक्ति और शिव की पूजा करते थे । जौनपुर में भरों का आधिपत्य भी था। सर्वप्रथम चबूतरे या चौकी पर देवी की स्थापना की गई थी, संभवतः इसीलिए इन्हें चौकिया देवी कहा गया। देवी शीतला को आनंददायिनी की प्रतीक माना जाता है, इसलिए उनका नाम शीतला पड़ा। ऐतिहासिक प्रमाण इस बात के गवाह है कि भरों में तालाब की अधिक प्रवृत्ति थी, इसलिए उन्होंने शीतला चौकिया के पास तालाब का भी निर्माण कराया।

स्थान:- चौकिया , जौनपुर , उत्तर प्रदेश , 222001

शीतला माता चौकिया
                    शीतला माता चौकिया

3.)श्री गोमेतेश्वर महादेव मंदिर

शिराज़-ए-हिंद के नाम से प्रसिद्ध जौनपुर गोमती नदी के किनारे एक सुंदर शहर है , जिसका अपना विशिष्ट ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है। गोमतेश्वर महादेव मंदिर केराकत में स्थित है, जो जौनपुर जिले से 25 किलोमीटर पूर्व में और वाराणसी से 45 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है। गोमेतेश्वर महादेव मंदिर का अर्थ है ‘गोमती नदी का महान देवता’ और यह हिंदू मंदिर के मध्यकालीन मंदिरों में सबसे बड़ा और सबसे अलंकृत मंदिर है। किंवदंती के अनुसार, यह मंदिर हर्षवर्धन काल में बनाया गया था, लेकिन इस शिवलिंग को हमलावरों ने नष्ट कर दिया था। बाद में, करीब 1990 में कुछ ग्रामीणों को यह पुनः प्राप्त हुआ और मंदिर को पुनर्निर्मित किया गया। मान्यता के अनुसार, सावन मास में भगवान शिव और पार्वती मृत्युलोक में विचरण करते हैं और इस समय में भक्तों द्वारा सच्ची श्रद्धा से की गई भोलेनाथ की पूजा का उन्हें फल प्राप्त होता है। मंदिर में सावन के महीने में प्रत्येक दिन रुद्राभिषेक का आयोजन होता है। गोमती नदी में आपको गोमतीचक्र भी मिलते हैं, जिसे वास्तव में एक दुर्लभ समुद्री घोंघा का कवच माना जाता है। इससे धन, समृद्धि, सुख, स्वास्थ्य, व्यवसायिक विकास, मन की शांति, समाज में प्रतिष्ठा और सफलता की प्राप्ति होती है।

स्थान:- इमामशाहपुर , जौनपुर , उत्तर प्रदेश , 222136

श्री गोमेतेश्वर महादेव मंदिर
          श्री गोमेतेश्वर महादेव मंदिर

4.)करार बीर मंदिर

करार बीर मंदिर, जौनपुर, गोमती नदी के उत्तरी तट पर स्थित है। यह मंदिर सद्भावना पुल के किनारे है और विश्वास के अनुसार, यह भवन राजा विजय चंद्र ने सन ११६८ ईसवी में बनवाया था। इसका प्राचीन भवन नष्ट हो गया है, लेकिन एक बड़ी पत्थर की मूर्ति अभी भी वहीं पर मौजूद है।
एक प्रसिद्ध किंवदंती के अनुसार, राजा रामचंद्र जी के समय में यहां एक दुष्ट राक्षस नामक करार बीर रहता था, जिसने यात्रियों को कष्ट पहुंचाया। जब राजा रामचंद्र को इसका पता चला, तो उन्होंने उसे मार दिया और लोगों को राहत दिलाई। गुरुनानक जयंती के दिन और उसके एक दिन बाद, दैत्य केरार बीर और किला मरीन की पूजा और यज्ञ भव्य रूप से होता है। लोग दूर-दूर से इस मंदिर के दर्शन करने आते हैं और अपनी मनोकामनाएं पूरी करने के लिए हलुवा पुड़ी, मुर्गा, खसी और दारू चढ़ाते हैं। एक भव्य पुरानी कथा के अनुसार, भगवान श्री राम ने दैत्य केरार बीर का वध किया और उन्हें अपना आशीर्वाद दिया था कि लोग उन्हें इसी नाम से पूजेंगे, जिससे मंदिर का नाम केरार बीर पड़ा।

स्थान:- जौनपुर , उत्तर प्रदेश, 222001

करार बीर मंदिर
                  करार बीर मंदिर

5.) त्रिलोचन महादेव

जौनपुर के पास स्थित त्रिलोचन महादेव मंदिर, जिसे भगवान शिव को समर्पित किया गया है, अपनी मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है। यहां पर्यटन का भी मुख्य केंद्र है। यह मंदिर भगवान ब्रह्मा द्वारा एक यज्ञ के आयोजन के बाद शिव के प्रकट होने के स्थान के रूप में जाना जाता है। मंदिर के अंदर एक शिवलिंग और कई छोटे मंदिर हैं, जिन्हें अन्य देवताओं को समर्पित किया गया है। यह मंदिर शिवनगरी काशी से करीब 40 किमी दूर वाराणसी-लखनऊ मार्ग पर स्थित है। यहां कहा जाता है कि इस धाम में पवित्र मन से मांगी हर मुराद पूरी होती है और इसलिए शिवरात्रि या सावन जैसे अवसरों पर यहां भक्तों का भी बड़ा जनसंख्या में मेला लगता है। शिवलिंग के संदर्भ में यह मान्यता है कि यह समय के साथ बड़ा होता जा रहा है । करीब 60 साल पहले इसकी ऊंचाई 2 फीट थी जो आज तक 3 फीट से भी अधिक हो गई है। इसके साथ ही शिवलिंग की चमक भी बढ़ी है और शिवलिंग पर भगवान शिव की तीसरी आंख भी स्पष्ट दिखाई देने लगी है। इस घटना से लोगों की महादेव पर आस्था और विश्वास और भी प्रगाढ़ होते जा रहे हैं।

स्थान:- रेहाती, जौनपुर , उत्तर प्रदेश

त्रिलोचन महादेव
                       त्रिलोचन महादेव

6.)पांचो शिवालय मंदिर

दीवान काशी नरेश बन्धुलाल ने जौनपुर के पानदरीबा मोहल्ले में स्थित इस मंदिर का निर्माण करवाया था। इस मंदिर के आस-पास पूर्व में कुछ भवन और एक शिवाला बनाई गई थी, लेकिन वर्तमान में सिर्फ शिवाला ही बची है। इस शिवाले में पांच गुम्बद नुमा मंदिर बने हैं, जिनमें मुख्य मंदिर बीच में स्थित है, और चारों किनारों पर अन्य चार मंदिर हैं। मंदिर के गर्भगृह में ईशान कोण में भगवान शंकर, आग्नेय कोण में ब्रह्मा, विष्णु, महेश, गणेश, और वायव्य कोण में दुर्गाजी, नैऋत्य कोण में संकटमोचन श्री हनुमान, और बीच में राम-लक्ष्मण और सीताजी की मूर्तियां स्थापित की गई थीं। दिनों के साथ मंदिर जीर्ण-शीर्ण हो गया है, और पुजारियों की भी नई पीढ़ी हो गई है, लेकिन आज भी इस मंदिर में स्कूल चलाया जाता है और समय-समय पर पूजा-पाठ भी होता है। इसे पानदरीबा इलाके में जाकर ऊंची गुम्बद से पहचाना जा सकता है, और यह जौनपुर का सबसे बड़ा शिव मंदिर माना जाता है।

स्थान:- पुरानी बाजार, जौनपुर , उत्तर प्रदेश, 222001 

पांचो शिवालय मंदिर
                    पांचो शिवालय मंदिर

7.) जागेश्वरनाथ मंदिर

इस मंदिर में भगवान शिव, जिन्हें श्री जागेश्वर नाथ के नाम से भी जाना जाता है, विराजमान हैं। यह मंदिर प्राचीन है और कहा जाता है कि इसका निर्माण लगभग सौ मीटर दूर स्थित एक मध्यकालीन बड़ी मस्जिद (जामा मस्जिद) के निर्माण के दौरान हुआ था। बाद में इस मंदिर परिसर में माँ भगवती और श्री राधाकृष्ण की मूर्तियाँ भी स्थापित की गईं। यहां वर्षों से शारदीय नवरात्रि के अवसर पर जौनपुर की प्रतिष्ठित सामाजिक संस्था “गीतांजलि” द्वारा सार्वजनिक दुर्गा पूजा उत्सव का आयोजन होता है।

स्थान:- बड़ी मस्जिद रोड , उत्तर प्रदेश ,222001

जागेश्वरनाथ मंदिर
                           जागेश्वरनाथ मंदिर

8.) विजेथुआ महावीरन

जौनपुर शहर से 65 किमी दूर, सीमावर्ती कस्बा सूरापुर (सुल्तानपुर जनपद) के पास विजेथुआ महावीरन नामक भव्य हनुमान जी का मंदिर है। इस पौराणिक स्थल को मान्यता है कि हनुमान जी ने यहां रावण द्वारा भेजे गए कालनेमि का वध किया था जब वे संजीवनी बूटी लेने जा रहे थे। मंदिर के पास मकरी कुण्ड है, जहां हनुमान जी द्वारा मकरी रूपी शापित अप्सरा को उनके हाथों निर्वाण प्राप्त हुआ था। इसे सिद्ध स्थल के रूप में भी माना जाता है और यहां मंगलवार, शनिवार, बुधवार, मंगल आदि अवसरों पर भारी भीड़ होती है।

विजेथुआ महावीरन
                   विजेथुआ महावीरन

9.)शारदा देवी मंदिर जौनपुर

देवी शारदा मंदिर जौनपुर के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है।
माँ शारदा शक्ति पीठ, जिसे मैहर देवी के मंदिर के नाम से जाना जाता है,
शहर के शास्त्रीनगर परमानतपुर मोहल्ला स्थित मां शारदा मंदिर लोगों की गहरी आस्था का केंद्र है। जनपद ही नहीं पूर्वांचल के तमाम जिलों से लोग यहां दर्शन पूजन के लिए आते हैं।
मंदिर की स्थापना सन 1988 में संत राधेश्याम गुप्त ने करवाया था
हर वर्ष नवरात्र में बड़ी संख्या में श्रद्धालु मां के दरबार में मत्था टेकने आते हैं।
मंदिर में हर वर्ष मांगलिक कार्यक्रम भी होते हैं। मंदिर के बगल स्थित हाल में गरीब और असहाय लोगों का मांगलिक कार्य कराया जाता है।यह मंदिर जौनपुर जिले के परमानपुर में स्थापित है
मंदिर तक आपको 900 सीढ़ियाँ चढ़नी होंगी

शारदा देवी मंदिर जौनपुर
                शारदा देवी मंदिर जौनपुर

10.) इच्छापूर्ति हनुमान मंदिर

यह मंदिर जौनपुर से लगभग 30 से 40 km की दुरी सुल्तानपुर रोड पर स्थित हैं यहाँ पर एक विशाल हनुमान जी की प्रतिमा है,यहाँ पर हर शनिवार और मंगलवार को भीड़ देखने को मिलता है यहाँ आस पास के लोगों की मान्यता है की हनुमान दादा से जो भी सच्चे भक्ति श्रद्धा से जो भी मन्नत मांगते है वो अवस्य पूर्ण होता है | पहितियापुर बदलापुर में यह मंदिर आपको देखने को मिलेगा

इच्छापूर्ति हनुमान मंदिर
                     इच्छापूर्ति हनुमान मंदिर

Famous Temples In Jaunpur – जौनपुर के 10 प्रसिद्ध मंदिर

 

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