Top 10 Famous Temples In Varanasi || वाराणसी मे स्थित 10 पवित्र मंदिर जिनके दर्शन अवश्य करने चाहिएं

Top 10 Famous Temples In Varanasi || वाराणसी मे स्थित 10 पवित्र मंदिर जिनके दर्शन अवश्य करने चाहिएं
Top 10 Famous Temples In Varanasi || वाराणसी मे स्थित 10 पवित्र मंदिर जिनके दर्शन अवश्य करने चाहिएं

बनारस(वाराणसी)

वाराणसी – एक ऐतिहासिक नगर जो हमेशा से अपने धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध रहा है। यहाँ के पवित्र मंदिर न केवल आकर्षण का केंद्र हैं, बल्कि आपकी आत्मा को शांति और प्रेरणा की भावना प्रदान करते हैं। इस खोज में, हम आपको वाराणसी के शीर्ष 10 मंदिरों की यात्रा पर लेकर जाते हैं, जहाँ आपको काशी विश्वनाथ मंदिर के पवित्र दर्शन से लेकर, मां अन्नपूर्णा के आशीर्वाद तक, और भी अनगिनत आध्यात्मिक अनुभवों का संघटन मिलेगा। तो चलिए, इस अत्यंत भावनात्मक और आध्यात्मिक यात्रा में साथ चलते हैं और वाराणसी के श्रेष्ठ मंदिरों के प्रति हमारी अदृश्य संवाद को जानते हैं।वाराणसी की धार्मिक और आध्यात्मिक धरोहर को अनुभव करने के लिए, हम यहाँ पर आए हैं ताकि हम इस शहर के पवित्रतम स्थलों में खो जा सकें। प्राचीन घाटों के किनारे खड़े होकर जब आप विश्वनाथ का दर्शन करते हैं, तो वह सामयिकता की भावना आपको अपने आत्मा के गहरे संवाद में ले जाएगी। जब आप मां अन्नपूर्णा के मंदिर में पूजा करते हैं, तो आपके जीवन को एक नया दिशा मिलता है, जिसमें आपका उत्तम स्वास्थ्य और पूर्णता होती है।

इस यात्रा में, हम काल भैरव के अद्भुत मंदिर में भी जाएंगे, जहाँ उसकी विशेष भक्ति से आपकी आत्मा की सभी डरों का नाश होगा। संकटमोचन हनुमान मंदिर के प्रकट होने वाले भगवान की कथा आपको आदर्शों की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करेगी।

वाराणसी के इन मंदिरों की यात्रा करने से आपकी आत्मा को शांति, स्थिरता और आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति होगी। यहाँ के पवित्र स्थल न केवल हमें आत्मा के करीब ले जाते हैं, बल्कि हमें यह भी याद दिलाते हैं कि हम जीवन में धर्म और आध्यात्मिकता को कैसे महत्वपूर्ण बना सकते हैं।इस अत्यधिक भावनात्मक और आध्यात्मिक यात्रा में, हम साथ चलते हैं और वाराणसी के श्रेष्ठ मंदिरों के प्रति हमारी अदृश्य संवाद को और भी गहराईयों में जानते हैं। इस यात्रा से हम सभी को एक नई दिशा, एक नया संदेश, और एक ऊंचा आदर्श प्राप्त होगा।


बनारस के प्रमुख मंदिर:-

1.)श्री काशी विश्वनाथ मंदिर

काशी विश्वनाथ मंदिर एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है, जो भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर बनारस के विश्वनाथ गली में स्थित एक प्राचीन मंदिर है , जिसे हिंदुओं के लिए अत्यंत पवित्र तीर्थ स्थल में से एक माना जाता है और भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंग मंदिरों में से भी एक है। मंदिर पिछले कई हजारों सालों से पवित्र गंगा नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है। इस मंदिर के मुख्य देवता को श्री विश्वनाथ और विश्वेश्वर के नाम से जाना जाता है, जिसका अर्थ है ब्रह्मांड के भगवान। यह माना जाता है कि इस मंदिर के दर्शन और पवित्र गंगा में स्‍नान से मोक्ष की प्राप्ति होती है। वाराणसी को प्राचीन काल में काशी कहा जाता था, और इसलिए इस मंदिर को लोकप्रिय रूप से काशी विश्वनाथ मंदिर कहा जाता है। इस मंदिर को हिंदू शास्त्रों द्वारा शैव संस्कृति में पूजा का एक केंद्रीय हिस्सा माना जाता है।

स्थान:- लाहौरी टोला , वाराणसी , उत्तर प्रदेश।
समय:-

सुबह :- 4:00-11:00 बजे तक
दोपहर:- 12:00- 7:00(शाम) बजे तक
* मंगला आरती का समय :- सायं 7:00 से रात 8:00 बजे तक

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर
                 श्री काशी विश्वनाथ मंदिर

2.) माँ अन्नपूर्णा मंदिर

वाराणसी के अन्नपूर्णा मंदिर में माँ अन्नपूर्णा की पूजा होती है, जो शिवजी की पत्नी पार्वती के स्वरूप में जानी जाती है। इस मंदिर में माँ अन्नपूर्णा की मूर्ति है, जिसमें एक हाथ में सोने की करछि और दूसरे हाथ में चावल से भरा कीमती पत्थरों से जड़ा सोने का पात्र है। मराठा पेशवा बाजी राव ने 1729 में इस मंदिर की निर्माण करवाया, जिसमें नागर वास्तुकला की शैली का उपयोग किया गया था। मंदिर के गर्भगृह में पंचायतन तरीके से गणेश, कुबेर, सूर्य, यंकेश्वर् महादेव और हनुमान की मूर्तियाँ स्थापित हैं, जबकि अन्नपूर्णा माता की सोने की मूर्ति के साथ भू देवी और श्रीदेवी की मूर्तियाँ मंदिर की पहली मंज़िल पर स्थापित हैं। दिवाली के अगले दिन अन्नकूट के अवसर पर भारी भीड़ जमा होती है, और इसी दिन सोने से बनी अन्नपूर्णा माँ की मूर्ति के दर्शन होते हैं, जबकि वर्ष के अन्य दिन पीतल की मूर्ति के दर्शन कर सकते हैं। अन्नपूर्णा माता की रोज़ पूजा करने से कभी अन्न की कमी नहीं होती है, और इसलिए यहाँ अन्नकूट के दिन श्रद्धालुओं की भीड़ जमा रहती है और इस दिन यहाँ पर आने वाले भक्तों को सोने का सिक्का उपहार में दिया जाता है।

स्थान:- विश्वनाथ गली , गोदौलिया , उत्तर प्रदेश
समय:-
सुबह :- 4:00 बजे से 11:30 बजे तक
शाम :- 7:00 से – (रात)11:00 तक
आरती का समय :- सुबह 4:00 बजे

माँ अन्नपूर्णा मंदिर
                     माँ अन्नपूर्णा मंदिर

3.)काल भैरव मंदिर

“काल भैरव” खुद भगवान शिव के रूप,काल भैरव को शिव का रूद्र रूप कहा जाता हैं| यहाँ की भगवान काल भैरव की प्रतिमा दिखने में विशेष रूप से भयानक है, लेकिन उनकी दिव्यता और शक्ति श्रद्धालुओं को प्रभावित करती है।

मंदिर के पवित्र स्थल पर पहुंचने से पहले ही आत्मा में एक अद्वितीय शांति का आभास होता है। यहाँ की ताजगी और शुद्धता मन को शुद्ध करती है और व्यक्ति को भगवान के प्रति अपनी गहरी भावनाओं में ले जाती है। काल भैरव मंदिर वाराणसी एक अनूठा धार्मिक स्थल है जो श्रद्धा और भक्ति की अद्वितीय भावना को महसूस कराता है। यहाँ के पवित्र वातावरण में खोकर व्यक्ति का मान-आत्मा अपनी आत्मा के साथ जुड़ जाता है और वह भगवान की अनुपम महिमा को महसूस करता है।

स्थान:- काल भैरव मंदिर, भोला घाट, वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत
आरती का समय :-
सुबह :- 5:30 बजे
रात :- 7:30 बजे

काल भैरव-
काल भैरव- काशी के कोतवाल

4.)संकटमोचन मंदिर

संकटमोचन हनुमान मंदिर उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में स्थित भगवान हनुमान के प्रमुख मंदिरों में से एक है। यह पवित्र मंदिर काशी हिंदू विश्वविद्यालय के समीप दुर्गा मंदिर और काशी विश्वनाथ मंदिर के नए मार्ग पर स्थित है। पंडित मदन मोहन मालवीय ने सन् १९०० में इस मंदिर का निर्माण कराया था, जिसकी स्थापना गोस्वामी तुलसीदास जी ने की थी। इस पौराणिक मंदिर की अद्भुत विशेषता है कि भगवान हनुमान की मूर्ति भगवान राम की ओर देख रही है और श्री रामचन्द्र के सामने संकटमोचन महाराज का विग्रह है, जिन्हें वे निःस्वार्थ भाव से सेवा करते हैं। भगवान हनुमान जी की मूर्ति मिट्टी से बनी है और इस मंदिर में नियमित रूप से आगंतुकों पर भगवान संकटमोचन की विशेष कृपा होती है। इस मंदिर के आतंकी हमलों के बाद भी लोगों की अटूट श्रद्धा भव्यता से बनी हुई है।

स्थान:- संकटमोचन लेप्रोसी (leprosy), वाराणसी, उत्तर प्रदेश
समय:-
प्रातः 5:00 बजे से – रात 10:00 बजे
आरती का समय :-
सुबह:- 4:00 बजे , रात:- 9:00 बजे

संकटमोचन मंदिर
                        संकटमोचन मंदिर

5.) दुर्गा मंदिर

काशी के पुरातन दुर्गा मंदिर में एक सुंदर कहानी छिपी है। यह मंदिर वाराणसी कैन्ट से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण लाल पत्थरों से किया गया है, जो अत्यंत भव्य दिखता है। मंदिर के एक तरफ “दुर्गा कुंड” भी है, जो अब फुहारे में बदल दिया गया है। मां दुर्गा इस मंदिर में “यंत्र” रूप में विराजमान हैं और यहाँ बाबा भैरोनाथ, लक्ष्मीजी, सरस्वतीजी, और माता काली की अलग-अलग मूर्तियाँ भी हैं। सावन महीने में यहाँ एक महीने का भव्य मेला भी लगता है। इस मंदिर के निर्माण का कथा यह कहती है कि मां दुर्गा ने यहाँ दैत्यों का संहार किया था और फिर इस शांति स्थल में आराम किया था। दुर्गा मंदिर के पास आनंद पार्क भी है, जहाँ आर्य समाज के विद्वानों के साथ प्रथम सास्त्रार्थ हुआ था। इसके निर्माण 18वीं शताब्दी में बंगाल की रानी भवानी ने करवाया था।

स्थान:- दुर्गा कुंड , भेलूपुर , बनारस, उत्तर प्रदेश
समय:-
सुबह:- 4:00 से 1:00 बजे तक
शाम:- 3:00 से 8:00 बजे तक

दुर्गा मंदिर
                            दुर्गा मंदिर

6.)भारत माता मंदिर

भारत माता मन्दिर, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ (वाराणसी) के प्रांगण में स्थित है। इस मन्दिर का निर्माण डॉक्टर शिवप्रसाद गुप्त ने करवाया था और सन् 1936 में गांधीजी ने इसका उद्घाटन किया था। इस मन्दिर में किसी देवी-देवता की चित्र या प्रतिमा नहीं है, बल्कि संगमरमर पर उकेरे गए अविभाजित भारत का त्रिआयामी भौगोलिक मानचित्र है। इस मानचित्र में पर्वत, पठार, नदियाँ और सागर सभी को सुंदरता से दर्शाया गया है।
वस्तुकला:- भारत माता मंदिर प्राकृतिक पत्थर से बना हुआ है। इसमें संगमरमर की मूर्ति है, जो अखंड भारत के प्रतीक के रूप में स्थापित है। मंदिर में भारत का एक राहत मानचित्र भी है, जो संगमरमर से बना है। यह मंदिर पांच अलग-अलग स्तंभों पर आधारित है, जो पांच तत्वों – वायु, अग्नि, पृथ्वी, आकाश और जल का प्रतिनिधित्व करते हैं।

स्थान:- चेतगंज , वाराणसी, उत्तर प्रदेश
समय:-
सुबह:-6:00 बजे से 12:00 बजे तक
दोपहर:- 1:00 बजे से – 7:00 बजे तक

भारत माता मंदिर
                       भारत माता मंदिर

7.)तुलसी मानस मंदिर

तुलसी मानस मन्दिर, वाराणसी के आधुनिक मंदिरों में एक खास और सुंदर स्थल है। यह मन्दिर वाराणसी कैंट से लगभग पाँच किलोमीटर दूर, दुर्गा मंदिर के समीप स्थित है। इस मन्दिर को सेठ रतन लाल सुरेका ने बनवाया था। पूरी तरह संगमरमर से बने इस मंदिर का उद्घाटन भारत के पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन द्वारा सन॒ 1964 में किया गया।
इस मन्दिर के मध्य मे श्री राम, माता जानकी, लक्ष्मणजी एवं हनुमानजी विराजमान है। इनके एक ओर माता अन्नपूर्णा एवं शिवजी तथा दूसरी तरफ सत्यनारायणजी का मन्दिर है। इस मंदिर के सभी दीवारों पर रामचरितमानस का लेखन किया गया है। दूसरी मंजिल पर संत तुलसी दास जी की मूर्ति स्थापित है, और उसी मंजिल पर श्री राम और कृष्ण लीला भी होती है।
मंदिर के प्रथम मंजिल पर रामायण की विभिन्न भाषाओं में दुर्लभ प्रतियों का पुस्तकालय मौजूद है। मंदिर के सम्पूर्ण परिधि में रोमांचकारी ढंग से बनी हुई एक पहाड़ी है , जिसमें शिव जी की मूर्ति से झरने का अद्भुत दृश्य दिखाई देता है।

स्थान:- दुर्गाकुंड रोड, वाराणसी , उत्तर प्रदेश
समय:-
सुबह:- 5:30 से 12:00 बजे तक
दोपहर :- 3:00 बजे से – (रात )9:00 बजे तक
आरती का समय:-
सुबह:- 6:00 बजे , शाम:- 4:00 बजे

तुलसी मानस मंदिर
                     तुलसी मानस मंदिर

8.) मृत्युंजय महादेव मंदिर

वाराणसी में मृत्युंजय महादेव मंदिर एक पवित्र स्थान है, जिसका इतिहास प्राचीन कुएं और शिवलिंग से जुड़ा हुआ है। मृत्युंजय महादेव का अर्थ है “मृत्यु पर विजय प्राप्त करने वाले भगवान”। यह मंदिर अप्राकृतिक मृत्यु से रक्षा करने के लिए भगवान शिव को मृत्युंजय महादेव के रूप में पूजा करने के लिए जाना जाता है। भारत के अनेक लोग इस स्थान पर आकर अपनी समस्याओं से राहत पाने के लिए “मृत्युंजय पाठ” का आयोजन करते हैं। इस मंदिर के परिसर में एक प्राचीन कुआँ है जिसे कूप भी कहा जाता है, और कहा जाता है कि इस कुएं के पानी का मानव पर चिकित्सीय प्रभाव होता है। यह कुआँ कई भूमिगत जल धाराओं के मिश्रण से बना है और कई बीमारियों को ठीक करने के लिए इसका चमत्कारी प्रभाव माना जाता है।

स्थान:- दरानगर , विषशेश्वरगंज , वाराणसी , उत्तर प्रदेश
समय:-
सुबह 4:00 से रात 12:00 बजे तक खुला रहता है
आरती का समय :-
सुबह :- 5:30 बजे , शाम :- 6:30 बजे , रात :- 11:30

मृत्युंजय महादेव मंदिर
                  मृत्युंजय महादेव मंदिर

9.) केदेश्वर मंदिर

बनारस, जिसे मन्दिरों का शहर भी कहा जाता है, वहां कई रहस्यमयी स्थान हैं, जिनमें से एक है “केदारेश्वर मंदिर” जो काशी के केदार घाट के पास स्थित है। यह मंदिर 17वीं शताब्दी में औरंगजेब के कहर से बच गया था। इस मंदिर के शिवलिंग की अनूठी विशेषता है। यह शिवलिंग दो भागों में विभाजित है – एक में भगवान शिव और माता पार्वती वास करते हैं और दूसरे में भगवान नारायण और माता लक्ष्मी। यहां की पूजा विधि भी अनूठी है, जैसे बिना सिले हुए वस्त्र पहनकर ब्राह्मण चार पहर की आरती करते हैं और शिवलिंग पर बेलपत्र, दूध, गंगाजल और खिचड़ी का भोग चढ़ाते हैं। ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव स्वयं इसे भोग के रूप में स्वीकार करते हैं।

स्थान:- केदार घाट , वाराणसी , उत्तर प्रदेश
समय:-
सुबह 6:00 बजे – शाम 7:00 बजे तक

Kedeshwar Temple
                          केदेश्वर मंदिर

10.)बटुक भैरव मंदिर

यह मंदिर वाराणसी के सर्वश्रेष्ठ मंदिरों में से एक है, जिसमें भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव को समर्पित है। इस मंदिर की प्रसिद्धि में अघोरियों (संतों) का विशेष योगदान है। यहां आम आदमी भी आकर भगवान की भक्ति करते हैं। विशेषतः, इस मंदिर में एक अखंड दीपक हमेशा जलता रहता है, जिसका तेल कई बीमारियों को ठीक करने में मदद करता है। इसके अलावा, मंदिर में कुछ कुत्ते भी निवास करते हैं, जो अनुष्ठान के दौरान शंख ध्वनि निकालते हैं। कहा जाता है कि कुत्ते के काटने पर दीपक का तेल लगाने से ठीक हो जाता है। भक्त रविवार और मंगलवार को भगवान शंकर के रुद्र अवतार बटुक भैरव के दर पर पहुंचते हैं और उन्हें बिस्किट, टॉफी, लॉलीपॉप आदि अनोखे प्रसाद के रूप में चढ़ाते हैं।

स्थान:- महाराणा प्रताप कॉलोनी , भैलूपुर् , वाराणसी , उत्तर प्रदेश
समय :- सुबह 4:00 बजे – दोपहर 12:00 बजे तक

बटुक भैरव मंदिर
                 बटुक भैरव मंदिर

Varanasi 10 Holy Places || वाराणसी मे स्थित 10 पवित्र मंदिर

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