मेहंदीपुर बालाजी जाने से पहले इन रहस्यों को जान लें मेहंदीपुर बालाजी मंदिर राजस्थान-Balaji Temple in Mehandipur

पवित्र और अद्भुत तीर्थस्थान मेहंदीपुर बालाजीमहराज

मेहंदीपुर बालाजी दौसा, राजस्थान का अद्भुत तीर्थस्थान है। यहां लोग अनूठे अनुभव करते हैं और प्रभु की कृपा को अनुभव करते हैं। जहां जीवन में बदलाव और धार्मिकता का आभास होता है।बालाजी मंदिर के दरबार में जब भक्तों की पंक्तियाँ लगती हैं, तो आंखों में आश्चर्य और धर्म की अनुभूति होती है। भक्तों के दिलों में जो आनंद की लहर उमड़ती है, वह अद्वितीय है। यहां आने वाले लोगों को भगवान का साक्षात्कार मिलता है।

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के प्रकोप से जब भक्तों की आंखों में आंसू उमड़ते हैं, तो वे संतुष्टि के संकेत होते हैं। यहां आकर जीवन में आए बदलाव और सकारात्मकता का एहसास होता है। यहां कुछ कठिनाइयों को पार करके लोग आत्म-विश्वास प्राप्त करते हैं और अपने जीवन को सफलता की ओर ले जाते हैं।मेहंदीपुर बालाजी का यह तीर्थस्थान भक्तों के लिए आध्यात्मिकता और नये जीवन की उपलब्धि का प्रतीक है। यहां आने वाले लोग अपने मन की बातें भगवान के सामने रखते हैं और अपने जीवन को धार्मिकता, सम्पन्नता, और सुख की ओर ले जाते हैं।

इस तीर्थस्थान के चरणों में जब जीवन के संघर्षों से थके हुए लोग आते हैं, तो वहां उनको आत्म-शक्ति और नयी ऊर्जा की प्राप्ति होती है। भक्तों को यहां अपने जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं की याद आती है और उनके मन में नई आशा की ज्योति जलती है।

मेहंदीपुर बालाजी दौसा, राजस्थान में भक्तों के लिए स्थानीय और आन्तरिक यात्रा का महत्वपूर्ण केंद्र है। यहां जब लोग प्रभु के दरबार में आते हैं, तो उन्हें आत्म-प्रकाश, आनंद, और शांति की प्राप्ति होती है। इस स्थान का अनुभव करने वाले लोग अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन देखते हैं और आध्यात्मिकता के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित होते हैं।

Highlight:-

  • “तू चिंता मत कर, मैं बैठा हूं” ….
  • यहां आने के बाद ही पता चल सकता है की भूत प्रेतादि किस प्रकार मनुष्य  को कष्ट पहुंँचाते हैं ..
  • लड्डू खाते ही रोगी व्यक्ति झूमने लगता है..
  • भूत प्रेत से ग्रस्त रोगी चीखते चिल्लाते उलट पलट होते …..
  • कुछ लोग बालाजी का नाम सुनते ही चौंक  पड़ते हैं… 
  • किसी ने सच ही कहा है—”नास्तिक भी आस्तिक बन जाते हैं, मेंहदीपुर दरबार में ।”…
  • कलियुग में बालाजी ही एकमात्र ऐसे देवता हैं , जो….
  • मेहंदीपुर बालाजी जाने से पहले इन रहस्यों को जान लें मेहंदीपुर बालाजी मंदिर राजस्थान-  Mehandipur balaji rajasthan
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21वीं सदी में भारत में आज भी कई ऐसे मंदिर हैं, जो रहस्यों से भरे हुए हैं। हर मंदिर की अपनी एक गाथा और महत्व है। इन्हीं मंदिरों में से एक है मेहंदीपुर बालाजी दौसा राजस्थान हैं आइए शुरू करते हैं
यूं तो भारत में हनुमानजी के लाखों मंदिर हैं। हर मंदिर पर भक्तों की भीड़ उमड़ती है, पर राजस्थान के दौसा जिला स्थित घाटा मेंहदीपुर बालाजी की बात ही अलग है।
राजस्थान के सवाई माधोपुर और जयपुर की  सीमा रेखा पर स्थित मेंहदीपुर कस्बे में बालाजी का एक अतिप्रसिद्ध तथा प्रख्यात मन्दिर है जिसे “श्री मेंहदीपुर बालाजी मन्दिर” के नाम से जाना जाता है ।
भूत प्रेतादि ऊपरी बाधाओं के निवारणार्थ यहांँ आने वालों का ताँंता लगा रहता है। तंत्र मंत्रादि ऊपरी शक्तियों से ग्रसित व्यक्ति भी यहांँ पर बिना दवा और तंत्र मंत्र के स्वस्थ होकर लौटते हैं सम्पूर्ण भारत से आने वाले  हजारों रोगी और उनके  स्वजन यहाँं नित्य ही डेरा डाले रहते हैं ।

बालाजी का मन्दिर मेंहदीपुर नामक स्थान पर दो पहाड़ियों के बीच स्थित है, इसलिए इन्हें “घाटे वाले बाबा जी” भी कहा जाता है । इस मन्दिर में स्थित बजरंग बली की बालरूप मूर्ति किसी कलाकार ने नहीं बनाई, बल्कि यह स्वयंभू है । यह मूर्ति पहाड़ के अखण्ड भाग के रूप में मन्दिर की पिछली दीवार का कार्य भी करती है ।

इस मूर्ति को प्रधान मानते हुए बाकी मन्दिर का निर्माण कराया गया है । हाल ही में 2022-2023 में यहां राम दरबार मंदिर का भी निर्माण कराया गया हैं जो को बहुत ही मन को मोहित करने वाली मंदिर है | बालाजी मूर्ति के सीने के बाईं तरफ़ एक अत्यन्त सूक्ष्म छिद्र है जिससे पवित्र जल की धारा निरंतर बह रही है।

यह जल बालाजी के चरणों तले स्थित एक कुण्ड में एकत्रित होता रहता है जिसे भक्तजन चरणामृत के रूप में अपने साथ ले जाते हैं । यह मूर्ति लगभग 1000 वर्ष प्राचीन है किन्तु   मन्दिर का निर्माण इसी सदी में कराया गया है । मुस्लिम शासनकाल में कुछ बादशाहों ने इस मूर्ति को नष्ट करने की कुचेष्टा की, लेकिन वे असफ़ल रहे ।

वे इसे जितना खुदवाते गए मूर्ति की जड़ उतनी ही गहरी होती चली गई । थक हार कर उन्हें अपना यह कुप्रयास छोड़ना पड़ा । ब्रिटिश शासन के दौरान सन 1910  में बालाजी ने अपना सैकड़ों वर्ष  पुराना चोला स्वतः  ही त्याग दिया । भक्तजन इस चोले को लेकर समीपवर्ती मंडावर रेलवे स्टेशन पहुंँचे, जहांँ से उन्हें चोले को गंगा में प्रवाहित करने जाना था ।

ब्रिटिश स्टेशन मास्टर ने चोले को निःशुल्क ले जाने से रोका और उसका वजन करने लगा, लेकिन चमत्कारी चोला कभी मन भर ज्यादा हो जाता और कभी दो मन कम हो जाता । असमंजस में पड़े स्टेशन मास्टर को अंततः चोले को बिना लगेज ही जाने देना पड़ा और उसने भी बालाजी के चमत्कार को नमस्कार किया ।

इसके बाद बालाजी को नया चोला चढाया गया । यज्ञ हवन और ब्राह्मण भोज एवं धर्म ग्रन्थों का पाठ किया गया । एक बार फ़िर से नए चोले से एक नई ज्योति दीप्यमान हुई । यह ज्योति सारे विश्व का अंधकार दूर करने में सक्षम है । बालाजी महाराज के अलावा यहांँ श्री प्रेतराज सरकार और श्री कोतवाल कप्तान ( भैरव ) की मूर्तियांँ भी हैं ।

प्रेतराज सरकार जहां द्ण्डाधिकारी के पद पर आसीन हैं वहीं भैरव जी कोतवाल के पद पर । यहां आने पर ही सामान्यजन को ज्ञात होता है कि भूत प्रेतादि किस प्रकार मनुष्य  को कष्ट पहुंँचाते हैं और किस तरह सहज ही उन्हें कष्ट बाधाओं से मुक्ति मिल जाती है । दुखी कष्टग्रस्त व्यक्ति को मंदिर पहुँचकर तीनों देवगणों को प्रसाद चढाना पड़ता है ।
मेहंदीपुर बालाजी में बाकी मंदिरों से अलग प्रसाद चढ़ता है। यहां प्रसाद की 2 कैटेगरी है, एक दर्खावस्त और दूसरी अर्जी। दर्खावस्त को बालाजी में हाजरी भी बोलते हैं। मंदिर में दर्खावस्त एकबार लगाने के बाद, वहां से तुरंत निकल जाना होता है। अर्जी का प्रसाद लौटते समय लेते हैं जिन्हें अपने पीछे फेंकना होता है। नियम है कि प्रसाद फेंकते समय पीछे नहीं देखना चाहिए।
बालाजी को लड्डू प्रेतराज सरकार को चावल और कोतवाल कप्तान (भैरव) को उड़द का प्रसाद चढाया जाता था । इस प्रसाद में से दो लड्डू रोगी को खिलाए जाते थे और शेष प्रसाद पशु पक्षियों को डाल दिया जाता है । ऐसा कहा जाता है कि पशु पक्षियों के रूप में देवताओं के दूत ही प्रसाद ग्रहण कर रहे होते हैं । प्रसाद हमेशा थाली या दोने में रखकर दिया जाता है। कोरोनाकाल के बाद यहाँ पर चावल व उड़द भोग बंद कर दिया गया है। केवल लड्डू चढ़ते है, जिसे हाजरी लगाना भी कहते है।
लड्डू खाते ही रोगी व्यक्ति झूमने लगता है और भूत प्रेतादि स्वयं ही उसके शरीर में आकर बड़बड़ाने लगते है । स्वतः ही वह हथकडी और बेड़ियों में जकड़ जाता है । कभी वह अपना सिर धुनता है कभी जमीन पर लोट पोट कर हाहाकार करता है । कभी बालाजी के इशारे पर पेड़  पर उल्टा लटक जाता है । कभी आग जलाकर उसमें कूद जाता है ।
कभी फाँसी या सूली पर लटक जाता है । मार से तंग आकर भूत प्रेतादि स्वतः ही बालाजी के चरणों में  आत्मसमर्पण कर देते हैं अन्यथा समाप्त कर दिये जाते हैं । बालाजी उन्हें अपना दूत बना लेते हैं। संकट टल जाने पर बालाजी की ओर से एक दूत मिलता है जोकि रोग मुक्त व्यक्ति को भावी घटनाओं के प्रति सचेत करता रहता है।
बालाजी महाराज के मन्दिर में प्रातः और सायं लगभग चार चार घंटे पूजा होती है । पूजा में भजन आरतियों और चालीसों का गायन होता है। इस समय भक्तगण जहांँ पंक्तिबद्ध हो देवताओं को प्रसाद अर्पित करते हैं वहीं भूत प्रेत से ग्रस्त रोगी चीखते चिल्लाते उलट पलट होते अपना दण्ड भुगतते हैं ।
बालाजी मंदिर में प्रेतराज सरकार दण्डाधिकारी पद पर आसीन हैं। प्रेतराज सरकार के विग्रह पर भी चोला चढ़ाया जाता है। प्रेतराज सरकार को दुष्ट आत्माओं को दण्ड देने वाले देवता के रूप में पूजा जाता है ।
भक्ति-भाव से उनकी आरती, चालीसा, कीर्तन, भजन आदि किए जाते हैं । बालाजी के सहायक देवता के रूप में ही प्रेतराज सरकार की आराधना की जाती है।
पृथक रूप से उनकी आराधना – उपासना कहीं नहीं की जाती, न ही उनका कहीं कोई मंदिर है। वेद, पुराण, धर्म ग्रन्थ आदि में कहीं भी प्रेतराज सरकार का उल्लेख नहीं मिलता। प्रेतराज श्रद्धा और भावना के देवता हैं।

कुछ लोग बालाजी का नाम सुनते ही चाैंक पड़ते हैं। उनका मानना है कि भूत-प्रेतादि बाधाओं से ग्रस्त व्यक्ति को ही वहाँ जाना चाहिए। ऐसा सही नहीं है। कोई भी – जो बालाजी के प्रति भक्ति-भाव रखने वाला है, इन तीनों देवों की आराधना कर सकता है। अनेक भक्त तो देश-विदेश से बालाजी के दरबार में मात्र प्रसाद चढ़ाने नियमित रूप से आते हैं।
किसी ने सच ही कहा है—”नास्तिक भी आस्तिक बन जाते हैं, मेंहदीपुर दरबार में ।” मेहंदीपुर बालाजी दौसा राजस्थान

प्रेतराज सरकार को पके चावल का भोग लगाया जाता है, किन्तु भक्तजन प्रायः तीनों देवताओं को बूंदी के लड्डुओं का ही भोग लगाते हैं और प्रेम-श्रद्धा से चढ़ा हुआ प्रसाद बाबा सहर्ष स्वीकार भी करते हैं।

कोतवाल कप्तान श्री भैरव देव भगवान शिव के अवतार हैं और उनकी ही तरह भक्तों की थोड़ी सी पूजा-अर्चना से ही प्रसन्न भी हो जाते हैं । भैरव महाराज चतुर्भुजी हैं। उनके हाथों में त्रिशूल, डमरू, खप्पर तथा प्रजापति ब्रह्मा का पाँचवाँ कटा शीश रहता है । वे कमर में बाघाम्बर नहीं, लाल वस्त्र धारण करते हैं। वे भस्म लपेटते हैं । उनकी मूर्तियों पर चमेली के सुगंध युक्त तिल के तेल में सिन्दूर घोलकर चोला चढ़ाया जाता है ।

शास्त्र और लोककथाओं में भैरव देव के अनेक रूपों का वर्णन है, जिनमें एक दर्जन रूप प्रामाणिक हैं।  श्री बाल भैरव और श्री बटुक भैरव, भैरव देव के बाल रूप हैं। भक्तजन प्रायः भैरव देव के इन्हीं रूपों की आराधना करते हैं । भैरव देव बालाजी महाराज की सेना के कोतवाल हैं।

इन्हें कोतवाल कप्तान भी कहा जाता है। बालाजी मन्दिर में आपके भजन, कीर्तन, आरती और चालीसा श्रद्धा से गाए जाते हैं । प्रसाद के रूप में आपको उड़द की दाल के बड़े और खीर का भोग लगाया जाता है। किन्तु भक्तजन बूंदी के लड्डू भी चढ़ा दिया करते हैं ।
सामान्य साधक भी बालाजी की सेवा-उपासना कर भूत-प्रेतादि उतारने में समर्थ हो जाते हैं। इस कार्य में बालाजी उसकी सहायता करते हैं। वे अपने उपासक को एक दूत देते हैं, जो नित्य प्रति उसके साथ रहता है।

कलियुग में बालाजी  ही एकमात्र ऐसे देवता हैं , जो अपने भक्त को सहज ही अष्टसिद्धि, नवनिधि तदुपरान्त मोक्ष प्रदान कर सकते हैं।

क्या ना करें:-मेहंदीपुर बालाजी दौसा राजस्थान 

  • यहां आने वाले सभी यात्रियों के लिए नियम है कि उन्हें कम से कम एक सप्ताह तक लहसुन, प्याज, अण्डा, मांस, शराब का सेवन बंद कर देना चाह‌िए।
  • मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के किसी भी तरह के प्रसाद को आप खा नहीं सकते हैं। यहां के प्रसाद को आप घर पर भी नहीं लेकर जा सकते। यहां तक की कोई भी खाने-पीने की चीज और सुंगधित चीज आप यहां से घर नहीं लेकर जा सकते। बताया जाता है ऐसा करने पर ऊपरी साया आपके ऊपर आ जाती है। हां आप किसी को प्रसाद को दे सकते हैं मंदिर के आस पास ही
  • पूजा करते समय पीछे मुड़ के नहीं देखें ऐसे करने से आपकी पूजा भंग हो जाता हैं और ऊपरी साया आ सकता है आपके उपर ऐसा माना जाता हैं

 

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. मेहंदीपुर बालाजी मंदिर कहाँ स्थित है?

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर राजस्थान राज्य के दौसा जिले में स्थित है।

2. मंदिर का समय क्या है? क्या यह साल भर में खुला रहता है?

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर साल भर में खुला रहता है। दर्शन का समय सुबह 5 बजे से रात्रि 10 बजे तक होता है।

3. मंदिर का इतिहास क्या है?

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का इतिहास काफी प्राचीन है। इसे कई शताब्दियों से भी पहले बनाया गया था और यह आज भी एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है।

4. मंदिर के लिए यात्रा कैसे कर सकते हैं?

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर यात्रा के लिए आप रेल, बस, या अपने व्यक्तिगत वाहन का उपयोग कर सकते हैं। निकटतम रेलवे स्टेशन जयपुर और निकटतम हवाई अड्डा जयपुर अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा है।

5. क्या मंदिर में आराम करने के लिए छावनी या धार्मिक आवास सुविधाएँ हैं?

हाँ, मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के पास आपको छावनी और धार्मिक आवास की सुविधाएँ मिलेंगी। यहाँ पर आपको शुद्ध और सुरक्षित रहने के लिए उपयुक्त आवास सुविधाएँ प्रदान की जाती हैं।

6. क्या मंदिर में खाने की सुविधा है?

हाँ, मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में भक्तों के लिए भोजन की सुविधा उपलब्ध है। यहाँ पर आपको प्रसाद भोजन और आहार सुविधाएँ मिलेंगी।

7. क्या मंदिर में धार्मिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं?

जी हाँ, मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में नियमित रूप से धार्मिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं। विशेष अवसरों पर पूजा, भजन, और आरती कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

8. क्या मंदिर में पहुंचने के लिए किसी शुल्क की आवश्यकता है?

नहीं, मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में पहुंचने के लिए किसी भी शुल्क की आवश्यकता नहीं है। यहाँ पर दर्शन करने के लिए मुफ्त प्रवेश होता है।

9. मंदिर में क्या धार्मिक सामग्री खरीदी जा सकती है?

हाँ,

10. सालासर बालाजी से मेहंदीपुर बालाजी की दूरी कितनी है?

286 km


मेहंदीपुर बालाजी मंदिर से विभिन्न शहरों की दूरी

यह स्थान राजस्थान के अलावा अन्य शहरों से भी आसानी से पहुंचा जा सकता है। नीचे दी गई सूची में आपको मेहंदीपुर बालाजी मंदिर से विभिन्न शहरों की दूरी के बारे में जानकारी मिलेगी:

1. दिल्ली से मेहंदीपुर बालाजी मंदिर की दूरी: लगभग 280 किलोमीटर (करीब 5 घंटे की यात्रा)

2. जयपुर से मेहंदीपुर बालाजी मंदिर की दूरी: लगभग 140 किलोमीटर (करीब 2.5 घंटे की यात्रा)

3. अजमेर से मेहंदीपुर बालाजी मंदिर की दूरी: लगभग 110 किलोमीटर (करीब 2 घंटे की यात्रा)

4. उदयपुर से मेहंदीपुर बालाजी मंदिर की दूरी: लगभग 270 किलोमीटर (करीब 5 घंटे की यात्रा)

5. जोधपुर से मेहंदीपुर बालाजी मंदिर की दूरी: लगभग 180 किलोमीटर (करीब 3.5 घंटे की यात्रा)

6. भीलवाड़ा से मेहंदीपुर बालाजी मंदिर की दूरी: लगभग 220 किलोमीटर (करीब 4.5 घंटे की यात्रा)

यहाँ पर उपरोक्त दूरी व समय आपकी यात्रा की साधारण दूरी है और यह आपके आवागमन के तत्कालीन स्थिति, सड़क की अवस्था और यातायात के प्रकार पर निर्भर कर सकती है। सबसे अच्छा रास्ता और यात्रा के लिए सुविधाएँ जांचने के लिए आपको स्थानीय यात्रा गाइड से परामर्श लेना चाहिए।मेहंदीपुर बालाजी मंदिर एक ऐसा स्थान है जहाँ आपको धार्मिकता और शांति का अनुभव होगा। यहाँ पहुंचने के लिए सुरम्य वातावरण, आध्यात्मिक सुविधाएँ और सुंदर पर्यटन स्थलों का आनंद लेने का एक अद्वितीय अवसर है। इसे आपके यात्रा योजना में शामिल करें और एक यात्रा के रूप में इसे अनुभव करें।आप अपने परिवार और प्रियजनों के साथ मेहंदीपुर बालाजी मंदिर की यात्रा प्लान करें और इस पवित्र स्थल के दर्शन का आनंद उठाएं।ध्यान दें: यहाँ दी गई जानकारी संदर्भ के लिए है और इसमें बदलाव हो सकते हैं, इसलिए यात्रा से पहले स्थानीय पर्यटन नियमों, यात्रा के निर्देशों

 

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