Sankat Mochan Temple Varanasi in Hindi – संकट मोचन मंदिर वाराणसी

संकट मोचन हनुमान मंदिर ( वाराणसी)

आप सभी कैसे हैं, आज हम एक नए आर्टिकल में आपका स्वागत करते हैं। आज के इस आर्टिकल में हम आपको वाराणसी में स्थित हनुमान जी के मंदिर के बारे में बताएंगे, जिसका नाम है “संकट मोचन हनुमान मंदिर”। क्या आपको संकट मोचन हनुमान मंदिर के बारे में जानकारी है? अगर नहीं, तो यह आर्टिकल आपके लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हो सकता है। क्योंकि हम इस आर्टिकल में संकट मोचन हनुमान मंदिर से जुड़ी सभी जानकारी प्रदान करेंगे।
वाराणसी, जिसे धर्म, ज्ञान और मोक्ष की नगरी कहा जाता है, वहाँ कई ऐसे धार्मिक स्थल हैं जो प्राचीन हैं, अद्भुत हैं और भक्तों के बीच विशेष प्रिय हैं। इस प्रसिद्ध शहर ने अपने घाटों के साथ ही अपने मंदिरों के लिए भी नाम कमाया है। काल भैरव,अन्नपूर्णा मंदिर, काशी विश्वनाथ मंदिर, तुलसी मानस मंदिर, दुर्गाकुंड ,और विशालाक्षी मंदिर जैसे कई स्थल हैं, जो सनातन हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण केंद्र हैं। इनमें से एक है संकट मोचन मंदिर, जो हनुमान जी को समर्पित है। इस मंदिर में हनुमान जी ने रामचरितमानस की रचना करने वाले गोस्वामी तुलसीदास जी को दर्शन दिए थे। 2006 में इस मंदिर पर आतंकवादी हमला हुआ था, हालांकि इस्लामी आतंकवादि हिन्दुओं को उनके पूज्य देवता की पूजा करने से नहीं रोक सके।

Sankat Mochan Temple Varanasi in Hindi - संकट मोचन मंदिर वाराणसी

Sankat Mochan Temple Varanasi in Hindi – संकट मोचन मंदिर वाराणसी

मंदिर परिचय

संकटमोचन हनुमान मंदिर भगवान हनुमान के प्रमुख मंदिरों में से एक है, जो उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में स्थित है। यह पवित्र मंदिर काशी हिंदू विश्वविद्यालय के निकट दुर्गा मंदिर और काशी विश्वनाथ मंदिर के नए मार्ग पर स्थित है।
संकटमोचन मंदिर में स्थित हनुमान जी की मूर्ति अत्यंत मनमोहक है, जिस पर सिंदूर का लेप लगाया गया है। इस पौराणिक मंदिर में एक अद्वितीय विशेषता है कि भगवान हनुमान की मूर्ति को ऐसे स्थानीय किया गया है कि वे भगवान राम की दिशा में देखते प्रतीत हो रहे हैं, और उनके सामने संकटमोचन महाराज की मूर्ति है, जिसमे वे निःस्वार्थ भाव से सेवा करते प्रतीत हो रहे हैं। इस मूर्ति की विशेषता यह भी है कि यह मिट्टी से बनी है। परिसर में एक बहुत प्राचीन पीपल या बरगद का वृक्ष और एक गहरा कुआँ भी है, जिसे जाल से ढंका गया है।

स्थापत्य विवरण

संकट मोचन मंदिर की वास्तुकला अत्यधिक प्रभावशाली है। मंदिर परिसर की का क्षेत्र बहुत विशाल हैं मंदिर में हनुमान जी महाराज की मूर्ति बहुत ही मनमोहक हैं देखते ही मन में एक अलग सी प्रसन्नता होगी मंगलवार को और शनिवार को यहां बहुत भीड़ होती हैं हनुमान जी बाबा के ठीक सामने प्रभु श्री राम माता जानकी और लक्ष्मन जी की मूर्ति स्थापित हैं। हनुमान जी ठीक सामने जहां कूप कुआं हैं वहां लोग बैठ के हनुमान जी का ध्यान कीर्तन भजन करते हैं साथ ही हनुमान जी बाबा को समय समय पर देख भी लेते हैं ध्यान देना होगा यहां बैठते समय पीठ पीछे की तरफ़ ना करें क्यूंकि भगवन श्री राम विराजमान हैं इसके साथ ही मंदिर के साइड में बहुत विशाल जगह हैं जहां पर बहुत से लोग ध्यान में बैठे हुए आपको दिख जायेंगे

मंदिर की स्थापना

सन् 1631 से 1680 के बीच, भक्तिकाल के महान कवि गोस्वामी तुलसीदास ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, काशी यात्रा के दौरान तुलसीदास गंगा में स्नान करने के बाद एक सूखे पेड़ पर जल डाला करते थे। वो यह काम रोज किया करते थे। एक दिन जब तुलसीदास जी पेड़ पर जल डाल रहे थे, तो उस पेड़ में एक प्रेत (लोग कहते हैं कि यक्ष) प्रकट हुआ। वह प्रेत बोला, “क्या आप भगवान राम से मिलना चाहेंगे? मैं आपको उनसे मिला सकता हूँ।” तुलसीदास बहुत प्रसन्न हुए। तब उस प्रेत ने उनसे कहा कि भगवान राम से मिलने से पहले उन्हें उनके अद्वितीय भक्त हनुमान से मिलना होगा। फिर उस प्रेत ने तुलसीदास से बताया कि गंगा घाट के पास एक कुष्ठ रोगी बैठेगा, जो वास्तव में हनुमान जी हैं।

जब तुलसीदास उस बीमार व्यक्ति के पास पहुँचे तब वह अग्रसर होने लगा। तब तुलसीदास ने उस व्यक्ति के पैर पकड़े और कहा, “मुझे पता है कि आप हनुमान जी हैं, कृपया मुझे दर्शन दें।”उस क्षेत्र को जिसे आज अस्सी के नाम से जाना जाता है, पहले घने वनों से घिरा हुआ करता था। उसी स्थान पर अंत में तुलसीदास जी को हनुमान जी के दर्शन हुए। तुलसीदास जी के अनुरोध के परिणामस्वरूप, हनुमान जी ने उस क्षेत्र में मिट्टी का रूप धारण करके वहाँ स्वयं को स्थापित किया। इसके बाद, तुलसीदास जी ने संकटमोचन हनुमान मंदिर की नींव रखने का निर्णय किया और उसका निर्माण करवाया।
कहा जाता है कि जब तुलसीदास वाराणसी में रहकर रामचरितमानस की रचना कर रहे थे, तो हनुमान जी ही उनके प्रेरणा स्रोत थे। वर्तमान में, संकट मोचन मंदिर के परिसर में एक बड़े पीपल के वृक्ष के नीचे बैठकर तुलसीदास ने रामचरितमानस का बड़ा हिस्सा पूर्ण किया। मंदिर का वर्तमान दृश्यिकरण 1900 में पंडित मदन मोहन मालवीय द्वारा कराया गया ।

इतिहास ( मंदिर में बम विस्फोट)

7 मार्च 2006 को वाराणसी में एक सीरियल बम विस्फोट हुआ था। उस दिन रेलवे कैंट, दशाश्वमेघ घाट और संकट मोचन हनुमान मंदिर में आतंकवादी गिरोह ने विस्फोट किया था। संकट मोचन मंदिर में इस घटना के समय, हनुमान जी की आरती हो रही थी। इस हमले में मंदिर में 7 लोगों की मौके पर ही जान चली गई । इस हमले के बावजूद, भगवान राम और हनुमान के भक्तों का मंदिर आने में कोई रुकावट नहीं आई और मंदिर में श्रद्धालु पुनः उसी प्रकार आने लगे, जैसे कि इस घटना से पहले आते थे। वर्तमान समय में, यहां अधिक सुरक्षा बढ़ा दी गई है, और लाखों की संख्या में लोग मंदिर की दर्शनीयता के लिए आते हैं। इससे आप समझ सकते हैं कि यह मंदिर हिन्दू धर्म में कितना महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

पौराणिक मान्यताएं

लाखों श्रद्धालु यह मानते हैं कि इस प्राचीन मंदिर (संकट मोचन मंदिर) में पूजा करने से उनकी इच्छाएं पूरी हो सकती हैं और साथ ही सभी कठिनाइयों और बीमारियों से राहत मिल सकती है। वे अपने दैनिक जीवन में उन्नति, सफलता और समृद्धि प्राप्त कर सकेंगे। भगवान हनुमान की पूजा करने के लिए मंगलवार और शनिवार सप्ताह के सबसे शुभ दिन माने जाते हैं। प्रत्येक मंगलवार और शनिवार, हजारों भक्त मंदिर में आकर भगवान हनुमान की पूजा और हनुमान चालीसा तथा सुंदरकांड का पाठ करते हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, भगवान हनुमान अपने भक्तों को शनि ग्रह के दुष्प्रभाव से बचाते हैं, जो विभिन्न समस्याओं के निवारण का संकेत होता है। शनि के प्रसन्न करने का सबसे प्रभावी उपाय होता है हनुमान जी की पूजा करना। माना जाता है कि भगवान हनुमान की पूजा से मंगल ग्रह के विपरीत प्रभाव को संतुलित किया जा सकता है।

मंदिर का प्रसाद

संकट मोचन का अर्थ होता है, ‘दुखों को दूर करने वाला’। हनुमान जी इस मंदिर में आकर अपने सभी भक्तों के कष्टों को हर देते हैं, इस कारण से इस मंदिर को संकट मोचन मंदिर कहा जाता है। भक्त श्री महाप्रभु की कृपा प्राप्त करने के लिए देसी घी से बने लड्डू, लाल पेड़ा , श्री हनुमान चालीसा, तेल का तिलक और सिन्दूर, तुलसी और फूलों की माला अर्पित करते हैं। इन सभी चीज़ों का भोग लगाने के बाद इन्हें श्रद्धालुओं में प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है।

मंदिर कैसे पहुँचे

आपको बता दूं कि वाराणसी हमारे देश का एक महत्वपूर्ण स्थान है, यह एक प्रमुख तीर्थ स्थल के रूप में जाना जाता है, इसलिए अगर आप यहां आना चाहते हैं तो आप ट्रेन, विमान और उपयुक्त माध्यम से यहां पहुंच सकते हैं। आपको किसी भी प्रकार की कठिनाई नहीं होगी।

  • बस से पहुँचे का तरीक

यदि आप हनुमान मंदिर जाने की योजना बना रहे हैं और सड़क मार्ग से जाना चाहते हैं, तो सबसे पहले आपको वाराणसी आना होगा। क्योंकि मंदिर वाराणसी में स्थित है। आप उत्तर प्रदेश में हैं तो वाराणसी पहुंचने के लिए आपको उत्तर प्रदेश के सभी मुख्य शहरों से सीधी बस सेवाएं मिलेंगी। यदि आप किसी अन्य राज्य से हैं, तो आप राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों के मुख्य शहरों से भी वाराणसी के लिए सीधी बस सेवाएं प्राप्त कर सकते हैं, जिससे आप संकट मोचन हनुमान मंदिर तक आसानी से पहुंच सकते हैं।

  • ट्रेन से पहुँचाने का तरीका


अगर आप संकट मोचन हनुमान मंदिर तक ट्रेन से यात्रा करना चाहते हैं, तो ध्यान दें कि यह सबसे प्रासंगिक और सस्ता विकल्प है। क्योंकि इस मंदिर के पास ही वाराणसी जंक्शन रेलवे स्थानक है, जो मंदिर से केवल 8 किलोमीटर की दूरी पर है। इसके अलावा, यह भी ध्यान देने योग्य है कि वाराणसी जंक्शन भारत में मुख्य रेलवे स्टेशनों में से एक है, जिससे आपको अधिकांश प्रमुख शहरों से सीधी ट्रेनें मिलेंगी, जो आपको यहां पहुंचने में मदद करेंगी। वाराणसी जंक्शन को वाराणसी कैंट के नाम से ज्यादा फेमस हैं इसका कोड:- BSB हैं |

  • फ्लाइट से पहुँचने का तरीक


यदि आप बहुत कम समय में हनुमान जी के मंदिर पहुँचाना चाहते हैं तो आप फ्लाइट के माध्यम से पहुंच सकेंगे । हम आपको बताना चाहेंगे कि संकटमोचन हनुमान मंदिर से बाबतपुर में स्थित लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट केवल 29 किलोमीटर की दूरी पर है। इंटरनेशनल एयरपोर्ट होने के कारण है, आपको प्रमुख शहरों से इस एयरपोर्ट के लिए उड़ानें आसानी से उपलब्ध होती हैं, और आप आसानी से फ्लाइट के साथ यहां पहुंच सकते हैं। अगर आप एयरपोर्ट से मंदिर तक पहुंचना चाहते हैं, तो आप टैक्सी या कैब बुक कर सकते हैं, जो आपको एयरपोर्ट से ही उपलब्ध होगी।

मंदिर जाने का समय

यदि आप मन्दिर जाने के इच्छुक हैं तो आपको मंदिर का टाइमिंग का खास ध्यान रखना पड़ेगा अगर आप गैर समय पर पहुंच गए तो आपका समय खराब जायेगे क्योंकि मंदिर दोपहर के समय लगभग 3 घंटे बंद रखा जाता हैं क्यूंकि भगवन को भी आराम की जरूरत पड़ती ही हैं तो नीचे समय बताया जा रहा हैं आप ध्यान से समय से मंदिर पहुंचे |
मंदिर खुलने का समय :- सुबह 4 :00 AM 

आम पब्लिक के लिएं दर्शन का समय :- 5:00-11:30 Am
आरती का समय :- 4:00-5:00 Am
रात की आरती:- रात 7:30 PM
बंद होने का समय:- रात 11:00 PM

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