Ram Mandir Ayodhya: राम मंदिर बनने की पूरी कहानी

आशा है आप अच्छे है,हम आज एक नए आर्टिकल में आपका स्वागत करते है।आज के इस आर्टिकल में हम आपको Ram Mandir Ayodhya: राम मंदिर बनने की पूरी कहानी बताएंगे जिसका हमे वर्षो से इंतजार था।क्या आपको राम मंदिर के बारे में जानकारी है,अगर नहीं। तो यह आर्टिकल आपके लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हो सकता है क्योंकि हम इस आर्टिकल में आपको राम मंदिर से जुड़ी सभी जानकारी प्रदान करेंगे। अयोध्या में राम मंदिर के लोकार्पण के बाद अब तक क़रीब डेढ़ करोड़ से 2 करोड़ लोग रामनगरी पहुंचे हैं. रामलला के दर्शन के लिए रोज़ाना 1 से 1.5 लाख की संख्या में लोग पहुंच रहे हैं दर्शन करने के लिए तो आइयें विस्तान से जानते हैं राम मंदिर से जुड़े सभी कुछ आपको इस आर्टिकल में पढ़ने को मिलने वाला हैं

अयोध्या हिन्दुओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण नगर है। यह नगर भारतीय इतिहास और संस्कृति में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थानों में से एक है और विश्व भर में धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। अयोध्या को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के जन्मस्थल के रूप में भी जाना जाता है,और यही पर श्री राम का राज्याभिषेक भी हुआ था। मान्यता है कि मुग़ल सम्राट बाबर ने 16वीं सदी में अयोध्या में भगवान राम के जन्मस्थल पर एक मस्जिद का निर्माण कराया था, जिसे ‘बाबरी मस्जिद’ कहा जाता है। जिससे इस स्थल पर विवाद उत्पन्न हुआ। 2019 में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने विवादित भूमि पर फैसला सुनाया, जिसमें कहा गया था कि यह भूमि हिंदुओं की है और इस पर राम मंदिर का निर्माण कर सकते हैं,फिर इस मंदिर का निर्माण एक मौजूदा गैर-इस्लामी ढांचे(बाबरी मस्जिद)को ध्वस्त करने के बाद किया गया। वर्तमान में मंदिर की देख रेख श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा की जा रही है।

मंदिर परिचय

राम मंदिर उत्तर प्रदेश के अयोध्या नगर में स्थित है जो भगवान राम के जन्मस्थल पर बना है। वर्तमान में यह मंदिर निर्माणाधीन है। जनवरी 2024 में इसका गर्भगृह तथा प्रथम तल बनकर तैयार है और 22 जनवरी 2024 को इसमें श्रीराम के बाल रूप में विग्रह की प्राणप्रतिष्ठा की गई। मंदिर ट्रस्ट के अनुसार, अंतिम ब्लूप्रिंट में मंदिर के मैदान में सूर्य, गणेश, शिव, दुर्गा, विष्णु और ब्रह्मा को समर्पित मंदिर शामिल हैं। मंदिर के गर्भगृह में रामलला की दो मूर्तियां (उनमें से एक 5 साल पुरानी) रखी जाएंगी और दूसरी मूर्ति बाल रूप में श्री राम लला की स्थापित की गई जो कि कर्नाटक के मूर्तिकार अरुण योगीराज ने बनाई। राम लला की पोशाक दर्जी भागवत प्रसाद और शंकर लाल ने सिली थी, जो राम की मूर्ति के चौथी पीढ़ी के दर्जी थे। मंदिर के प्रमुख त्योहार राम नवमी,दशहरा, दीपावली और होली है। श्री राम मंदिर के पास में ही हनुमानगढ़ी मंदिर हैं कहा जाता हैं की रामलला के दर्शन के पहले आपको अयोध्या के कोतवाल हनुमानगढ़ी हनुमान जी के दर्शन करने के बाद आप रामलला सरकार के दर्शन करें |

मंदिर की स्थापना

श्रीराम मंदिर का भूमिपूजन  5 अगस्त 2020 को हुआ इसके साथ ही निर्माण का पहला चरण शुरू किया गया । जनवरी 2024 तक गर्भगृह सहित मन्दिर का प्रथम तल तैयार हो चुका है। इसमें श्रीराम के मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा 22जनवरी 2024 को दोपहर 12:29 बजे 90 मिनट के शुभ मुहुर्त काल के दौरान की गई। जिसमें भारत के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी मुख्य अतिथि रहे। इसके पूर्व 15 जनवरी (मकर संक्रान्ति) से ही विभिन्न कार्यक्रम शुरू हो गए थे। प्राण प्रतिष्ठा के लिये उत्तर प्रदेश सरकार ने 100 करोड़ रूपये निर्धारित किये हैं।
लार्सन एंड टूब्रो ने मन्दिर के डिजाइन और निर्माण की नि:शुल्क देखरेख करने की पेशकश की और वह इस परियोजना के ठेकेदार हैं।

स्थापत्य विवरण

राम मंदिर का मूल डिज़ाइन 1988 में अहमदाबाद के सोमपुरा परिवार द्वारा तैयार किया गया था। मंदिर कुछ इस तरह से बना है कि एक केंद्रीय मंदिर जिसके चारों ओर 6 और मंदिर है जो एक मंदिर परिसर के रूप में जुड़े हुए हैं,जो कि पारंपरिक नागर शैली की वास्तुकला गुर्जर – चालुक्य शैली में डिज़ाइन किया गया है, जो एक प्रकार की हिंदू मंदिर वास्तुकला है राम जन्मभूमि ट्रस्ट के अनुसार,राम मंदिर का निर्माण तीन मंजिला हो रहा है और इसकी पूर्व-पश्चिम 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट और ऊंचाई 161 फीट है। मंदिर की प्रत्येक फ्लोर 20 फीट ऊंचा है। इसमें 392 स्तंभ और 44 दरवाजे हैं। मुख्य गर्भगृह में श्री रामलला की मूर्ति हैऔर पहली मंजिल पर श्री राम दरबार होगा और मंदिर में 5 मंडप होंगे: नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप व कीर्तन मंडप। खंभों व दीवारों में देवी देवता तथा देवांगनाओं की मूर्तियां उकेरी जायेगी। मंदिर में प्रवेश पूर्व दिशा से, 32 सीढ़ियां चढ़कर सिंहद्वार से होगा।मंदिर के चारों ओर चारों ओर आयताकार परकोटा रहेगा। चारों दिशाओं में इसकी कुल लंबाई 732 मीटर तथा चौड़ाई 14 फीट होगी।मंदिर बनाने में लोहे का प्रयोग बिलकुल भी नहीं किया गया हैं। 25 हजार क्षमता वाले एक दर्शनार्थी सुविधा केंद्र का निर्माण किया गया है जहां दर्शनार्थियों का सामान रखने के लिए लॉकर व चिकित्सा की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा जानकारी दी गई है कि अब राम मंदिर परिसर 107 एकड़ की जगह में बनाया जा रहा है अयोध्या में पहले ये जगह सिर्फ 70 एकड़ की थी लेकिन अब अतिरिक्त जमीन खरीदी गई है।

मंदिर का इतिहास एंव विवाद

प्राचीन भारतीय महाकाव्य, रामायण के अनुसार, राम का जन्म अयोध्या में हुआ था। 16वीं शताब्दी में, बाबर ने पूरे उत्तर भारत में मंदिरों पर आक्रमण की अपनी श्रृंखला में मंदिर पर हमला किया और उसे नष्ट कर दिया। बाद में, मुगलों ने एक मस्जिद, बाबरी मस्जिद का निर्माण किया, जिसे राम की जन्मभूमि, राम जन्मभूमि का स्थान माना जाता है। मस्जिद का सबसे पहला रिकॉर्ड 1767 में मिलता है, जो जेसुइट मिशनरी जोसेफ टिफेनथेलर द्वारा लिखित लैटिन पुस्तक डिस्क्रिप्टियो इंडिया में मिलता है। उनके अनुसार, मस्जिद का निर्माण रामकोट मंदिर, जिसे अयोध्या में राम का किला माना जाता है, और बेदी, जहां राम का जन्मस्थान है, उसे नष्ट करके किया गया था।
धार्मिक हिंसा की पहली घटना 1853 में दर्ज की गई थी दिसंबर 1858 में, ब्रिटिश प्रशासन ने विवादित स्थल पर हिंदुओं को पूजा आयोजित करने से प्रतिबंधित कर दिया। मस्जिद के बाहर अनुष्ठान आयोजित करने के लिए एक मंच बनाया गया था।
22-23 दिसंबर 1949 की रात को बाबरी मस्जिद के अंदर राम और सीता की मुर्तियाँ स्थापित की गईं और अगले दिन से भक्त इकट्ठा होने लगे। 1950 तक, राज्य ने सीआरपीसी की धारा 145 के तहत मस्जिद पर नियंत्रण कर लिया और मुसलमानों को नहीं, बल्कि हिंदुओं को उस स्थान पर पूजा करने की अनुमति दी। 1980 के दशक में, हिंदू राष्ट्रवादी परिवार, संघ परिवार से संबंधित विश्व हिंदू परिषद ने हिंदुओं के लिए इस स्थान को पुनः प्राप्त करने और इस स्थान पर बाल राम (राम लल्ला) को समर्पित करने के लिए एक नया आंदोलन शुरू किया। विश्व हिंदू परिषद ने “जय श्री राम” लिखी ईंटें और धन इकट्ठा करना शुरू कर दिया। बाद में, प्रधान मंत्री राजीव गांधी के नेतृत्व वाली सरकार ने विश्व हिंदू परिषद को शिलान्यास के लिए आगे बढ़ने की अनुमति दी, तत्कालीन गृह मंत्री बूटा सिंह ने औपचारिक रूप से विश्व हिंदू परिषद नेता अशोक सिंघल को अनुमति दी। प्रारंभ में,भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार इस बात पर सहमत हुई थी कि शिलान्यास विवादित स्थल के बाहर किया जाएगा। हालाँकि, 9 नवंबर 1989 को,विश्व हिंदू परिषद नेताओं और साधुओं के एक समूह ने विवादित भूमि के बगल में 7-क्यूबिक -फुट गड्ढा खोदकर आधारशिला रखी। वहीं गर्भगृह का सिंहद्वार बनवाया गया। इसके बाद विश्व हिंदू परिषद ने विवादित मस्जिद से सटी जमीन पर एक मंदिर की नींव रखी। 6 दिसंबर 1992 को,विश्व हिंदू परिषद और भारतीय जनता पार्टी ने इस स्थल पर 150,000 स्वयंसेवकों को शामिल करते हुए एक रैली का आयोजन किया, जिन्हें करसेवकों के रूप में जाना जाता था। रैली हिंसक हो गई, भीड़ सुरक्षा बलों पर हावी हो गई और मस्जिद को तोड़ दिया। मस्जिद के विध्वंस के परिणामस्वरूप भारत के हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच कई महीनों तक अंतर-सांप्रदायिक हिंसा हुई, जिसके प्रत्यक्ष परिणाम के रूप में मुंबई में अनुमानित 2,000 लोगों की मौत हो गई और पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में दंगे भड़क उठे। मस्जिद के विध्वंस के एक दिन बाद,7 दिसंबर 1992 को, न्यूयॉर्क टाइम्स ने बताया कि पूरे पाकिस्तान में 30 से अधिक हिंदू मंदिरों पर हमला किया गया, कुछ में आग लगा दी गई और एक को ध्वस्त कर दिया गया। बांग्लादेश में हिंदू मंदिरों पर भी हमले किए गए।

5 जुलाई 2005 को, पांच आतंकवादियों ने अयोध्या में नष्ट की गई बाबरी मस्जिद के स्थान पर अस्थायी राम मंदिर पर हमला किया। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के साथ आगामी मुठभेड़ में सभी पांचों की मौत हो गई, जबकि हमलावरों द्वारा घेराबंदी की गई दीवार को तोड़ने के लिए किए गए ग्रेनेड हमले में एक नागरिक की मौत हो गई। सीआरपीएफ को तीन हताहतों का सामना करना पड़ा, जिनमें से दो कई गोलियों के घाव से गंभीर रूप से घायल हो गए।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा 1978 और 2003 में की गई दो पुरातात्विक खुदाई में इस बात के सबूत मिले कि साइट पर हिंदू मंदिर के अवशेष मौजूद थे। पुरातत्वविद् केके मुहम्मद ने कई वामपंथी झुकाव वाले इतिहासकारों पर निष्कर्षों को कमजोर करने का आरोप लगाया। इन वर्षों में, विभिन्न शीर्षक और कानूनी विवाद हुए, जैसे कि 1993 में अयोध्या में निश्चित क्षेत्र के अधिग्रहण अधिनियम का पारित होना। 2019 में अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ही यह तय हो गया था कि विवादित जमीन राम मंदिर निर्माण के लिए भारत सरकार द्वारा गठित ट्रस्ट को सौंपी जाएगी। ट्रस्ट का गठन अंततः श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के नाम से किया गया। 5 फरवरी 2020 को, भारत की संसद में यह घोषणा की गई कि भारत सरकार ने मंदिर निर्माण की योजना स्वीकार कर ली है। दो दिन बाद, 7 फरवरी को, 22 नई मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन आवंटित की गई अयोध्या से दूर धन्नीपुर गाँव में।
मार्च 2020 में श्री राम मन्दिर के निर्माण का पहला चरण शुरू हुआ। श्रीराम के मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा 22जनवरी 2024 को दोपहर 12:29 बजे 90 मिनट के शुभ मुहुर्त काल के दौरान की गई ।

पौराणिक मान्यताए

प्राचीन भारतीय संस्कृत भाषा के महाकाव्यों में, जैसे कि रामायण और महाभारत, अयोध्या नामक एक पौराणिक नगर का उल्लेख है, जो कोसल के प्रसिद्ध इक्ष्वाकु राजाओं की राजधानी थी, जिसमें राम सहित अनेक महान व्यक्तियों का आवास था।। न तो इन ग्रंथों में, न ही वेदों जैसे पहले के संस्कृत ग्रंथों में साकेत नामक शहर का उल्लेख है। गैर-धार्मिक, गैर-पौराणिक प्राचीन संस्कृत ग्रंथ, जैसे पाणिनि की अष्टाध्यायी और उस पर पतंजलि की टिप्पणी, साकेत का उल्लेख करते हैं। बाद के बौद्ध ग्रंथ महावस्तु में साकेत को इक्ष्वाकु राजा सुजाता की सीट के रूप में वर्णित किया गया है, जिनके वंशजों ने शाक्य राजधानी कपिलवस्तु की स्थापना की थी। मानव सभ्यता की पहली पुरी होने का पौराणिक गौरव अयोध्या को स्वाभाविक रूप से प्राप्त है। फिर भी रामजन्मभूमि,कनक भवन,हनुमानगढ़ी,राजद्वार मंदिर दशरथमहल , लक्ष्मणकिला , कालेराम मन्दिर , मणिपर्वत श्रीराम की पैड़ी , नागेश्वरनाथ , क्षीरेश्वरनाथ श्री अनादि पञ्चमुखी महादेव मन्दिर , गुप्तार घाट समेत अनेक मन्दिर यहाँ प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं। बिरला मन्दिर , श्रीमणिरामदास जी की छावनी , श्रीरामवल्लभाकुञ्ज , श्रीलक्ष्मणकिला , श्रीसियारामकिला , उदासीन आश्रम रानोपाली तथा हनुमान बाग जैसे अनेक आश्रम आगन्तुकों का केन्द्र हैं। रामायण के अनुसार,राम का जन्म अयोध्या में हुआ था और यही श्री राम राज्याभिषेक भी हुआ था। पौराणिक मान्यताओं के दृष्टिकोण
से सरयू नदी के भी उल्लेख रहा है यह एक वैदिक कालीन नदी है जिसका उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है। इस संदर्भ में यह वितर्क किया जाता है कई ऋग्वेद में इंद्र द्वारा दो आर्यों के वध की कथा में जिस नदी के तट पर इस घटना के होने का वर्णन है वह यही नदी है। इसकी सहायक राप्ती नदी के भी अरिकावती नाम से उल्लेख का वर्णन मिलता है। रामायण की कथा में सरयू अयोध्या से होकर बहती है जिसे दशरथ की राजधानी और राम की जन्भूमि माना जाता है। वाल्मीकि रामायण के कई प्रसंगों में इस नदी का उल्लेख आया है। उदाहरण के लिये, विश्वामित्र ऋषि के साथ शिक्षा के लिये जाते हुए श्रीराम द्वारा इसी नदी द्वारा अयोध्या से इसके गंगा के संगम तक नाव से यात्रा करते हुए जाने का वर्णन रामायण के बाल काण्ड में मिलता है।

आवागमन

सड़क मार्ग –
उत्तर प्रदेश सड़क परिवहन निगम की बसें लगभग सभी प्रमुख शहरों से अयोध्या के लिए चलती हैं। अयोध्या राष्ट्रीय राजमार्ग 27 व राष्ट्रीय राजमार्ग 330 और राज्य राजमार्ग से जुड़ा हुआ है।

रेल मार्ग – अयोध्या के राम मंदिर तक पहुँचने के लिए हम रेल मार्ग का प्रयोग कर सकते हैं । मंदिर से रेलवे स्टेशन की दूरी 1 किलोमीटर है । यह दूरी इतनी कम की अगर आप चाहें तो रेलवे जंक्शन से मंदिर तक पैदल भी जा सकते हैं. देश के अलग अलग शहरों से अयोध्या के लिए ट्रैन आसनी से मिल जाएगी मंदिर बनने के बाद से ही अलग अलग प्रदेश के अलग अलग शहरों से वहां के सरकारों ने स्पेशल ट्रैन चलाया हैं. अयोध्या रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर अब अयोध्या धाम रख दिया गया है साथ ही स्टेशन को रेलवे ने नए तरीके से पुरे स्टेशन को बनाया हैं और पूरा रामायण थीम पर डेवेलोप किया हैं |

Ayodhyadham Junction

मंदिर का समय

श्रद्धालु सुबह 7 बजे से रात 10 बजे तक श्री राम जन्मभूमि मंदिर में दर्शन के लिए प्रवेश कर सकते हैं। श्री राम जन्मभूमि मंदिर में प्रवेश से लेकर दर्शन के बाद निकास तक की पूरी प्रक्रिया बेहद सरल और सुविधाजनक है। आमतौर पर,भक्त 60 से 75 मिनट के भीतर प्रभु श्री राम लला के सहज दर्शन कर सकते हैं।

Ayodhya Ram Mandir Aarti
  • मंगला आरती : 4:00 am
  • श्रंगार आरती। : 6:30 am
  • भक्तो के दर्शन : 7:00 am
  • भोग आरती : 12:00 am
  • संध्या आरती। : 7:30 pm
  • रात्रि भोग आरती : 9:00 pm
  • शयन आरती : 10:00 pm

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