vaishno devi- mata vaishno devi mandir – मां वैष्णो देवी यात्रा की सम्पूर्ण जानकारी || वैष्णों देवी शक्ति पीठ (Vaishno Devi Shakti Peeth) भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य में स्थित है। यह पीठ वैष्णों देवी मंदिर के रूप में प्रसिद्ध है, जो भारतीय उपमहाद्वीप के पवित्र धामों में से एक है।वैष्णों देवी मंदिर उत्तर भारत, जम्मू और कश्मीर राज्य के त्रिकूट पर्वत श्रेणी में स्थित है। यह मंदिर दुर्गा माता को समर्पित है और भारतीय धार्मिक यात्रा स्थलों में सबसे ज्यादा यात्री आगमन करते हैं। मान्यता है कि यहां मां दुर्गा के शरीर के अंश गिरे थे, जिन्हें शक्ति पीठों में गिरा हुआ माना जाता है।वैष्णो देवी मंदिर तक पहुंचने के लिए यात्रियों को देवी के दर्शन करने के लिए आदि कुवा जाना पड़ता है, और फिर विभिन्न चरणों में पीठ तक पहुंचने के लिए यात्रा करनी पड़ती है।यहां पहुंचने के लिए, यात्रियों को सबसे पहले जम्मू या कटरा जैसे नजदीकी शहर मे पहुंचना पड़ता है, और फिर मंदिर तक की पैदल यात्रा आरंभ करनी पड़ती है।
मंदिर की पौराणिक कथा:-
मंदिर से सम्बंधित कई तरह की कथाएं प्रचलित हैं। वैष्णों देवी शक्ति पीठ की पौराणिक कथा भारतीय साहित्य और पौराणिक ग्रंथों में प्रमुख स्थान रखती है। यह कथा विशेष रूप से मार्गदर्शन और शक्ति के प्रतीक मानी जाती है। यहां दी जाने वाली कथा वैष्णव माता या वैष्णों देवी के पौराणिक प्रसंग के आधार पर है।
कहानी के अनुसार, एक समय की बात है जब भूमि पर भक्ति और धर्म की अवधारणा लुप्त हो रही थी। लोग अधर्म और अन्याय के अधीन जी रहे थे। उस समय महात्मा नारायण जी, जो भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं, ने माता वैष्णों की आराधना करने के लिए एक तपोवन में तपस्या की। माता वैष्णों ने प्रकट होकर कहा, “हे नारायण जी, मैं आपकी आवश्यकता के लिए दुनिया में आई हूँ। आप कृपा करके मेरी शक्ति का उपयोग करें और अधर्म का नाश करें तथा धर्म की पुनर्स्थापना करें।”
नारायण जी ने उनसे पूछा, “माता, मैं आपकी साधना कैसे करूँ?” माता वैष्णों ने कहा, “तुम्हें भक्तों के द्वारा तापस्या और पूजा की विधि बतानी होगी। वे विधि को अपनाकर तुम मेरी कृपा को प्राप्त करोगे।”
नारायण जी ने उनकी अभिप्रेत की और वैष्णों देवी ने धरती पर प्रकट होकर एक पहाड़ी में बसने का निर्णय लिया। इस पहाड़ी को त्रिकूट पर्वत कहा गया और यहां माता वैष्णों का पीठ स्थापित किया गया।
तब से, वैष्णों देवी की पूजा-अर्चना तथा त्रिकूट पर्वत पर उनकी आराधना का प्रचलन प्रारंभ हुआ। लोग आकर्षित हुए और वैष्णों देवी के चरणों में अपनी मनोकामनाएं रखने लगे। माता वैष्णों ने अपनी दिव्य शक्ति के द्वारा भक्तों की मनोकामनाएं पूरी की और उन्हें धार्मिक उद्धार के मार्ग पर चलाने का उपदेश दिया।
वैष्णों देवी शक्ति पीठ वर्तमान में जम्मू-कश्मीर राज्य में स्थित है और यहां प्रतिवर्ष लाखों भक्तों की आत्मीयता से आराधना की जाती है। माता वैष्णों को एक माता, एक शक्ति और एक स्वरूप के रूप में पूजा जाता है l
माँ वैष्णों देवी और भैरवनाथ की कथा :-
कटरा से कुछ दूरी पर स्थित भंसाली गांव में श्रीधर नामक व्यक्ति निवास करते थे। वो माता वैष्णों देवी के परम भक्त थे । वो अपने निष्काम भक्ति से जीवन गुजारते थे, लेकिन उन्हें अपने निसंतान होने का दुःख सहना पड़ता था। एक दिन, नवरात्रि पूजा के अवसर पर, उन्होंने कुंवारी कन्याएँ बुलाई और मां वैष्णो कन्य के रूप में उन्हीं के बीच बैठ गई। पूजा के बाद, सभी कन्याएँ घर लौट गईं, लेकिन मां वैष्णो देवी वहीं पर रहीं और श्रीधर से बोली, की सबको अपने घर भंडारे के लिए अमंत्रित करो । श्रीधर ने उस कन्या की बात मान ली और आसपास के सभी गावों में भंडारे का संदेश दिया और वहां से लौट कर आते समय गुरु गोरखनाथ और उनके शिष्य बाबा भैरवनाथ के साथ उनके अन्य शिष्यों को भी भोजन के लिए आमंत्रित किया ।
भोजन का निमंत्रण पाकर से सभी गांव वासियों को आश्चर्य हुआ कि वह कौन सी अद्भुत कन्या है, जो इतने सारे लोगों को खाना खिलाना चाहती है। उसके बाद, श्रीधर के घर बहुत से लोग खाने के लिए एकत्रित हुए , तभी कन्या रूपी माँ वैष्णो देवी ने एक विचित्र पात्री से सभी को खाना परोसना शुरू किया। खाने के दौरान, भैरवनाथ ने कहा, “मैं खीर-पूरी नहीं खाऊंगा; मुझे मांस और मदिरा पान चाहिए, वरना मैं खाना नहीं खाऊंगा।”
उस समय, कन्या रूपी माँ ने उसे समझाया कि यह एक ब्राह्मण का भोजन है, जिसमें मांस नहीं परोसा जा सकता। लेकिन भैरवनाथ, अपनी अड़ियल भावनाओं में अटके रहते हुए, कन्या को पकड़ने की कोशिश करता रहा। उस समय माँ वैष्णो देवी ने उसके कपट के इरादे को समझ लिया और माँ त्रिकुटा पर्वत की ओर वायु मार्ग से चली गई।
भैरवनाथ भी माँ वैष्णों देवी के पीछे – पीछे गया। माना जाता है कि माता की रक्षा के लिए पवन पुत्र हनुमान जी भी उपस्थित थे । हनुमान जी को प्यास लगने पर माता ने उनके अनुरोध पर धनुश से पहाड़ पर तीर चला कर एक जलधारा निकाली और उस जल से हनुमान जी ने अपनी प्यास भुजाई और उस पानी में माता ने अपने केशों को धोया। आज हम सब उसी स्थान को बान गंगा के नाम से जानते हैं । इसके पवित्र जल को पीने या इसमें स्नान करने से श्रद्धालुओं की थकावट एवं सारी तकलीफें दूर हो जाती है।
वही भैरवनाथ से पीछा छुड़ाने के लिए माता ने एक गुफा में प्रवेश किया और वहाँ पर 9 माह तक तपस्या की भेरवनाथ भी उनके पीछे वहां तक आ गया और 9 माह तक माँ वैष्णों देवी की प्रतीक्षा करता रहा । तब एक साधु ने भैरवनाथ से समझाया कि तू जिसे एक कन्या समझ रहा है वह आदि शक्ति है , उस महाशक्ति का पीछा छोड़ दें लेकिन भैरवनाथ ने साधू की बात नहीं सुनी।
फिर 9 महीने बाद माता ने दूसरी ओर गुफा बनाई और वहां से निकल गईं। यह गुफा आज भी प्राचीनता से श्रेष्ठ मानी जाती है और उसे अर्ध-कुंवारी , गर्भ जून या आदि कुमारी के नाम से भी जाना जाता है। गुफा से निकलते ही, कन्या ने देवी का स्वरूप धारण किया। माता ने भैरवनाथ को चेतावनी दी और उसे वापस जाने को कहा, परन्तु भैरवनाथ ने मानने से इंकार किया। तब माता फिर गुफा में चली गईं, और हनुमान जी गुफा के बाहर खड़े रहे, मां की रक्षा करते हुए। भैरवनाथ के साथ युद्ध करते समय, वीर लंगूर निडाल होने लगे तब माँ वैष्णों ने महाकाली के रूप में उभरकर भैरवनाथ का संहार किया।
माता ने भैरवनाथ का सिर काट दिया और उसका सिर 3 किलोमीटर दूर की एक घाटी में गिरा दिया। वह स्थान भैरवनाथ के मंदिर के रूप में जाना जाता है। माता वैष्णो देवी ने भैरवनाथ को मारने के उपरांत वह स्थान आज वैष्णो देवी भवन के नाम से विख्यात है।
उन्होंने महाकाली, मां सरस्वती और मां लक्ष्मी के रूप में पिंडियों के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है, और उन्हें माता वैष्णो देवी कहा जाता है, जो इन तीन देवियों के स्वरूप को संगठित करती हैं। कहा जाता है कि उनके वध के बाद, भैरवनाथ ने पश्चाताप किया और मां से क्षमा मांगी, जिसे माता ने स्वीकार लिया। माता वैष्णो देवी जानती थीं कि भैरव के पीछे उसकी मुख्य प्रेरणा उनके मोक्ष की इच्छा थी।
इसलिए उन्होंने न केवल भैरव को मोक्ष के चक्र से मुक्ति प्रदान की बल्कि उसे वरदान देते हुए कहा कि “मेरे दर्शन तब तक पूरे नहीं माने जाएंगे जब तक कोई वक्त मेरे बाद तुम्हारे दर्शन नहीं करेगा।” उसी धारणा के अनुसार आज भी भक्त माता वैष्णो देवी के दर्शन करने के बाद करीब 3 किलोमीटर की ऊँचाई को पार कर भैरव नाथ के दर्शन करने जाते हैं।
वहीं श्रीधर को माता ने स्वप्न में एक स्थान के बारे में बताया , श्रीधर उसी मार्ग पर आगे बढ़ते हुए उसे स्थान पर पहुंचा। उन्होंने गुफा के द्वार पर पहुंचते ही कई विधियों से पिंडी की पूजा की और अपना सम्पूर्ण जीवन माता की भक्ति में बिताया। माता वैष्णो देवी ने उनकी पूजा से प्रसन्न होकर उनके सामने प्रकट हुई और उन्हें आशीर्वाद दिया। उस समय से श्रीधर और उनके वंशज मां वैष्णो देवी की पूजा करते आ रहे है।
वैष्णों देवी पहुँचने के साधन :-
जम्मू के प्रसिद्ध मां वैष्णो देवी के मंदिर के दर्शन की यात्रा को देश की सबसे कठिन धार्मिक यात्राओं में से एक माना जाता है। माता के दरबार तक पहुंचने के लिए की जाने वाली तेरह किलोमीटर की यात्रा है।
जम्मू स्थित मां वैष्णो देवी के मंदिर तक जाने के लिए कई साधन उपलब्ध हैं। इनमें पालकी, बैटरी कार, हेलिकॉप्टर, जैसे कई साधन शामिल हैं। आप इनमें से किसी भी साधन की सहायता से अपने सफर को सुखमय बना सकते हैं।
वैष्णों देवी से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य :-
1. माता वैष्णो देवी मंदिर भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य के त्रिकूट पर्वतीय श्रृंग में स्थित है।
2. यह मंदिर सालाना लाखों भक्तों को आकर्षित करता है और यह भारत में सबसे ज्यादा यात्रियों के भीड़ के साथ एक ऐतिहासिक धार्मिक स्थल है।
3. वैष्णों देवी का मंदिर लगभग 5200 फ़ीट की ऊंचाई पर बना है ।
4. यात्रा के दौरान भक्तों को तीन पवित्र पिंडियां लेनी होती हैं, जो माँ दुर्गा के रूप में जानी जाती हैं – माँ काली, माँ लक्ष्मी, और माँ सरस्वती।
5. वैष्णो देवी मंदिर का एक रहस्यमयी गुफा भी है, जिसे अर्चना कुंड के नाम से जाना जाता है, जहां माता वैष्णो ने अपने भक्त भैरों को दर्शन दिया था।
6. भैरवनाथ का वध करने के बाद माता वैष्णों देवी ने स्वयं को एक पत्थर के रूप मे परिवर्तित कर लिया था और ध्यान में लीन हो गयीं थी ।
7. यहां की प्राकृतिक सौंदर्य से घिरी चक्रवाती दृश्य, पहाड़ियों का आभूषण, और धार्मिक माहौल की वजह से वैष्णो देवी को एक अद्भुत और शांतिपूर्ण स्थान बनाता है।
8. यहां पर माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए कई यात्रा मार्ग हैं, जिनमें काटरा, बंगंगा, अर्ध कुम्भ, और सन्जिचट समेत हैं।
9. वैष्णो देवी मंदिर में नित्य भजन और आरती होती है, जिससे यहां का माहौल और भक्ति की भावना अधिक उत्कृष्ट होती है।
10. यह भी कहा जाता है की महाभारत के समय अर्जुन ने माँ वैष्णों की हि पूजा करके उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया था ।
वैष्णो देवी धाम के पास कुछ विशेष स्थान:-
1. भैरोंनाथ मंदिर: भैरोंनाथ मंदिर वैष्णो देवी मंदिर से लगभग 2.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर भगवान भैरव को समर्पित है और यहां भक्तों की विशेष पूजा और दर्शन की जाती है।
2. अर्द्धकुंभ नदी: अर्धकुंभ नदी वैष्णो देवी मंदिर से कुछ दूरी पर बहती है और यहां भक्तों के श्रद्धा से संबंधित धार्मिक अर्थ होता है। नदी के किनारे स्थित विशेष घाट भी हैं जहां भक्त अपने कर्मों को धो सकते हैं।
3. बंगंगा: बंगंगा नदी वैष्णो देवी धाम के निकट है और यहां पानी के स्रोत के रूप में लोगों के लिए विशेष महत्व है। यह नदी धार्मिक तथा प्राकृतिक दर्शनीय स्थलों में से एक है।
4. वैष्णो देवी रोपवे: यह भारत की सबसे लंबी रोपवे है जो भक्तों को वैष्णो देवी के मंदिर तक लेकर जाती है। यह रोपवे यात्रियों को ऊँचाई से बचाकर सुरक्षित तरीके से धार्मिक स्थल पर पहुंचाती है।
5.भैरों घाटी: यह एक घाटी है जो वैष्णो देवी धाम से नीचे स्थित है. यह एक खूबसूरत घाटी है और यहां से वैष्णो देवी धाम का एक सुंदर दृश्य दिखाई देता है.
6. अदभुत प्राकृतिक सौंदर्य: वैष्णो देवी के धाम के आस-पास की प्राकृतिक सौंदर्य दिल को मोह लेती है। पर्वतीय चक्रव्यूह, घाटियों की खूबसूरत झीलें, और वन्यजीवन इस स्थान को और भी आकर्षक बनाते हैं।
7. आदि शक्ति गुफा: वैष्णो देवी के धाम में आदि शक्ति गुफा है, जिसे वैष्णवी गुफा भी कहते हैं। इस गुफा में मां वैष्णो देवी ने अपने भक्त भैरों को दर्शन दिया था।
8. दर्शनीय स्थलों का परिचय: वैष्णो देवी के धाम के आस-पास कई अन्य धार्मिक और पर्वतीय दर्शनीय स्थल हैं, जैसे कि अरुणी मन्दिर, भैरों बाबा मंदिर, भैरों घाटी
9. कटरा: यह एक शहर है जो वैष्णो देवी धाम के आधार पर स्थित है. यह शहर एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है और यहां पर कई होटल, रेस्तरां और दुकानें हैं.
10. गीता मंदिर: यह एक मंदिर है जो कटरा में स्थित है. यह मंदिर गीता के ज्ञान को समर्पित है. कहा जाता है कि इस मंदिर में गीता का पाठ करने से मनुष्य को ज्ञान और मोक्ष मिलता है.
11. पटनीटॉप: यह एक पहाड़ी है जो कटरा से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यह एक खूबसूरत पहाड़ी है और यहां से वैष्णो देवी धाम का एक सुंदर दृश्य दिखाई देता है.
12. सनासर: यह एक गांव है जो कटरा से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यह गांव एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है और यहां पर कई मंदिर और गुफाएं हैं.
वैष्णो देवी की यात्रा कब करें :-
यद्यपि वैष्णो देवी पूरे वर्ष भर खुली रहती है और किसी भी समय जाया जा सकता है, मई-जून और नवरात्रि (मार्च-अप्रैल और सितंबर-अक्टूबर) के बीच उच्च मौसम के कारण, गर्मियों में भक्तों का एक जबरदस्त भीड़ होता है। इसके अलावा, जुलाई और अगस्त में बरसात के मौसम के दौरान यात्राओं से बचना चाहिए, क्योंकि फिसलन भरी सड़कों के कारण चढ़ाई मुश्किल हो जाती है। इसके अलावा दिसंबर से जनवरी तक यहां बहुत ठंड होती है।
वैष्णो देवी से अन्य शहरों तक की दूरी:-
1. जम्मू से वैष्णो देवी – लगभग 48 किलोमीटर (30 मील)
2. दिल्ली से वैष्णो देवी – लगभग 657 किलोमीटर (408 मील)
3. चंडीगढ़ से वैष्णो देवी – लगभग 390 किलोमीटर (242 मील)
4. अमृतसर से वैष्णो देवी – लगभग 235 किलोमीटर (146 मील)
5. श्रीनगर से वैष्णो देवी – लगभग 130 किलोमीटर (81 मील)
6. लद्दाख से वैष्णो देवी – लगभग 405 किलोमीटर (252 मील)
7. हरिद्वार से वैष्णो देवी – लगभग 518 किलोमीटर (322 मील)
8. वाराणसी से वैष्णो देवी – लगभग 1083 किलोमीटर (673 मील)
9. जयपुर से वैष्णो देवी – लगभग 797 किलोमीटर (495 मील)
10. मुंबई से वैष्णो देवी – लगभग 1840 किलोमीटर (1143 मील)
Note :- कृपया ध्यान दें कि ये दूरियां आपसी अंतर और रास्ते के आधार पर बदल सकती हैं।
आरती का समय :-
वैष्णों देवी मंदिर मे प्रत्येक दिन सुबह – शाम आरती होती है । आरती के वक़्त मंदिर बंद कर दिया जाता है । उस समय मंदिर मे प्रवेश करना वर्जित है । आरती के पश्चात मंदिर पुनः खोल दिया जाता है ।
मंदिर बंद होने का समय( सुबह) :- 5:30 – 8:00
आरती का समय(सुबह) :- 6:20
मंदिर बंद होने का समय (शाम ) :- 5:30- 800
आरती का समय(शाम ) :- 6:20
भैरवनाथ मंदिर में
मंदिर बंद होने का समय(सुबह -शाम) : 7:00 -8:00
आरती का समय (सुबह-शाम्) : 7:10
वैष्णो देवी धाम मौसम
निश्चित तौर पर। वैष्णो देवी धाम का मौसम वर्ष के अलग-अलग महीनों में काफी भिन्न होता है। गर्मियों में, यह आमतौर पर बहुत गर्म और शुष्क होता है, जबकि सर्दियों में, यह बहुत ठंडा हो जाता है। मानसून के मौसम में, यह अक्सर बारिश होती है।
यहाँ वैष्णो देवी धाम के मौसम का महीनेवार औसत बताया गया है:
Month | Temperature (°C) | Rainfall (mm) |
---|---|---|
January | 2°C to 15°C | 20 mm |
February | 4°C to 18°C | 15 mm |
March | 9°C to 22°C | 10 mm |
April | 14°C to 26°C | 20 mm |
May | 20°C to 32°C | 30 mm |
June | 25°C to 35°C | 150 mm |
July | 28°C to 38°C | 300 mm |
August | 28°C to 38°C | 400 mm |
September | 25°C to 35°C | 250 mm |
October | 19°C to 30°C | 100 mm |
November | 15°C to 25°C | 50 mm |
December | 10°C to 20°C | 20 mm |
Disclaimer: कृपया ध्यान दें कि यह ऊपर दिए गए मौसम के आँकड़े अधिकतर वर्षों के औसत आँकड़े हैं और वे आपकी यात्रा के समय अलग हो सकते हैं। इसलिए, समय के अनुसार नवीनतम मौसम के अपडेट के लिए स्थानीय मौसम विभाग से संपर्क करना महत्वपूर्ण होगा।
सावधानियां और पैकिंग
वैष्णो देवी धाम की यात्रा करते समय, सावधानी बरतना बहुत महत्वपूर्ण होता है ताकि आपकी यात्रा सुरक्षित और अनुभवपूर्व हो। यहां कुछ सावधानियां और पैकिंग के उपाय दिए गए हैं:
सावधानियां:
1. आपने सभी आवश्यक दस्तावेज जैसे पहचान प्रमाण, यात्रा टिकट, होटल बुकिंग इत्यादि की xerox साथ में रख लेनी चाहिए।
2. यात्रा के लिए आउटडोर जैकेट, ट्रैकिंग जूते, और रेनकोट को साथ रखें क्योंकि मौसम अनिश्चित हो सकता है।
3. धार्मिक स्थलों पर जाते समय, अपने सामान को ध्यान से रखें।
4. यात्रा के दौरान अपनी स्थिति को अपडेट करने के लिए अपने परिवार या दोस्तों को जानकारी देना न भूलें।
5. धार्मिक स्थलों पर चोरी के झटके के खिलाफ सतर्क रहें और अपने सामान का ध्यान रखें।
पैकिंग कैसे करें:
1. वैष्णो देवी धाम के लिए आपको धार्मिक वस्त्रों को पैक करना होगा, इसलिए ध्यान दें कि आप अपने पूजा के सामग्री, प्रार्थना पुस्तक और पूजा की सामग्री साथ ले जाएं।
2. मौसम के अनुसार धार्मिक वस्त्र और गर्म कपड़े पैक करें। जून और जुलाई के महीने में बर्फबारी के लिए गर्मी के ब्लैंकेट का उपयोग करना आवश्यक हो सकता है।
3. यात्रा के लिए सही जूते और चप्पल पैक करें जो आपके पैरों को सुरक्षित और आरामदायक बनाए रखें। ट्रैकिंग जूते या स्नीकर्स भी अच्छा विकल्प होते हैं।
4. बारिश के समय के लिए रेनकोट और छतरी पैक करें, ताकि आप बर्फबारी और बारिश के खिलाफ तैयार रहें।
5. यात्रा के दौरान स्वयं को हाइड्रेटेड रखने के लिए पानी बोतल, नमकीन, बिस्किट्स जैसे सामान को साथ रखें।
ध्यान देने वाली यह बात है कि आपके साथ केवल जरूरी सामान ही लेकर जाएं और भारी सामान यात्रा में ले जाने से बचें। आप अपनी धार्मिक यात्रा को आनंददायक बनाने के लिए सावधानी रखें।
vaishno devi- mata vaishno devi mandir – मां वैष्णो देवी यात्रा की सम्पूर्ण जानकारी
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