Top 10 Famous Temple In Kanpur In Hindi | कानपुर के 10 फेमस मंदिर जो अपने आपमें अद्भुत हैं

Top 10 Famous Temple In Kanpur In Hindi | कानपुर के 10 फेमस मंदिर जो अपने आपमें अद्भुत हैं
Top 10 Famous Temple In Kanpur In Hindi | कानपुर के 10 फेमस मंदिर जो अपने आपमें अद्भुत हैं

Top 10 Famous Temple In Kanpur In Hindi | कानपुर के 10 फेमस मंदिर जो अपने आपमें अद्भुत हैं कानपुर भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश में स्थित एक महत्वपूर्ण शहर है जिसे औद्योगिक नगर के साथ साथ धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए भी जाना जाता है। यहाँ पर विशाल संख्या में पवित्र मंदिर स्थित हैं, जो शहर की धार्मिकता को दर्शाते हैं। बाबा आनंदेश्वर महादेव मंदिर, Jk मंदिर, जैन ग्लास मंदिर, ईस्कॉन मंदिर और पनाकी हनुमान मंदिर जैसे प्रमुख मंदिर यहाँ स्थित हैं।
ये सभी स्थल न केवल आध्यात्मिकता का प्रतीक हैं, बल्कि उनमें निहित मानवीय भावनाएँ भी यात्रियों को आकर्षित करती हैं।
बाबा आनंदेश्वर महादेव मंदिर की शांतिपूर्ण वातावरण से लेकर Jk मंदिर की आदर्श भव्यता तक, जैन ग्लास मंदिर की जटिल सुंदरता से लेकर ईस्कॉन मंदिर के प्रफंद आध्यात्मिक अनुभव तक, और पनकी हनुमान बाबा जहां भक्ति की गूंज सुनाई देती है, ये सभी मंदिर एक अनूठी पूजा और भावनाओं की कहानी प्रस्तुत करते हैं जो हर आगंतुक के दिल की तरंगों में गहराई से उतरती है। हमारे साथ आइए इस आध्यात्मिक यात्रा पर निकलें, जहां विश्वास और मानव भावनाएँ एक साथ मिलकर हारमोनियस बुनाई जाती हैं, कानपुर के टॉप 10 मंदिरों को देखेंगे और बताएंगे कुछ अनोखी बातें ।
तो चलिए, इस अत्यंत भावनात्मक और आध्यात्मिक यात्रा में साथ चलते हैं और कानपुर के श्रेष्ठ मंदिरों के प्रति हमारी अदृश्य संवाद को जानते हैं। कानपुर की धार्मिक और आध्यात्मिक धरोहर को अनुभव करने के लिए, हम यहाँ पर आए हैं ताकि हम इस शहर के पवित्रतम स्थलों में खो जा सकें।

कानपुर के प्रमुख मंदिर:-

1.)बाबा आनंदेश्वर मंदिर

आनंदेश्वर मन्दिर, कानपुर में स्थित एक प्रसिद्ध शिव मंदिर है, जो जुना अखाड़ा से संबंधित है। इस भव्य मंदिर को भक्तगण छोटी काशी के नाम से भी जानते हैं, जिसका क्षेत्रफल करीब तीन एकड़ है। मंदिर के महंत रमेश पूरी ने बताया कि यह मंदिर महाभारत काल से पूर्व का इतिहास रखता है। दानवीर कर्ण गंगा स्नान के बाद महादेव की पूजा अर्चना करते थे और पूजा के बाद विलुप्त हो जाते थे। एक दिन कर्ण को पूजा करते हुए एक गाय ने देख लिया था, और उसके बाद गाय अपने दूध को शिवलिंग पर चढ़ा दिया करती थी। ग्रामीणों ने इस स्थान पर खुदाई करके शिवलिंग को खोजा और उसे गंगा किनारे स्थापित कर दिया। इस घटना के उपलक्ष्य में भगवान शिव को उस गाय के नाम पर आनंदेश्वर के रूप में पूजा जाने लगा। मंदिर परिसर में शिवलिंग के साथ विह्नहर्ता गणपति महाराज, संकटमोचन हनुमान जी, श्रीहरि विष्णु भगवान और समस्त देवी-देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित हैं। भक्तों की सभी मनोकामनाएं महादेव के दर्शन से पूरी होती हैं और वे गंगा जल और बेल पत्र को अर्पित करने से प्रसन्न होते हैं।

स्थान:- परमट, कानपुर , उत्तर प्रदेश , 208001
समय:-
सुबह 6:00 से रात 9:00 बजे तक

2.) जेके मंदिर ( राधाकृष्णा मंदिर)

जेके मंदिर उत्तर प्रदेश के कानपुर के सर्वोदय नगर में स्थित हिंदू मंदिर है। इसे 1960 में जेके ट्रस्ट ने निर्माण किया था और ट्रस्ट के फंड से प्रबंधित किया जाता है। मंदिर में पांच मंदिर हैं, जिनमें श्री राधाकृष्ण को समर्पित केंद्रीय मंदिर सबसे प्रमुख है। इसके अलावा, लक्ष्मीनारायण, भगवान अर्धनारीश्वर, भगवान नर्मदेश्वर और भगवान हनुमान की मूर्तियां भी सुशोभित हैं। इस मंदिर का मंडप प्रकाश और हवा के लिए उच्च छत के साथ विशेषता से बनाया गया है। इसे आम तौर पर राधाकृष्ण मंदिर के रूप में भी जाना जाता है और यह वास्तुशिल्प के अद्भुत उदाहरणों में से एक है। इसमें उचित वेंटिलेशन के लिए शंक्वाकार छतों के साथ बाहर की तरफ खूबसूरत पत्थर की नक्काशी शामिल है।

स्थान:- कृष्णा नगर रोड , कानपुर
समय:-
सुबह:- 7:00 – 12:00 बजे तक
शाम:- 4:00 – 9:00 बजे तक

3.) जैन ग्लास मंदिर

उत्तर प्रदेश में स्थित जैन ग्लास मंदिर, कानपुर का एक प्रसिद्ध और सुंदर मंदिर है। यह मंदिर माहेश्वरी महल के पास, कमला टावर के नजदीक स्थित है और इसका नाम जैन ग्लास मंदिर इसलिए है क्योंकि यह कांच और तामचीनी से बना हुआ है। इसमें खूबसूरत नक्काशी देखने का मौका मिलता है, जिससे दिल आनंदित हो जाता है। यहां पर कांच की सुंदर सजावटें देखने को मिलती हैं। जैन समुदाय ने इस मंदिर का निर्माण करवाया गया है, और इसमें २४ तीर्थंकरों की स्मृति स्थापित की गई है। यहां पर भगवान महावीर और तीर्थंकरों की मूर्तियों का दर्शन करने का अवसर प्राप्त होता है, जिसके लिए लोग दूर दूर से भी आते हैं।

स्थान:- जनरल गंज , कानपुर , उत्तर प्रदेश
समय:-
सुबह:- 8:00 – 12:00 बजे तक
शाम :- 4:00 – 5:00 बजे तक

4.) इस्कॉन टेम्पल

इस्कॉन मंदिर, कानपुर से लगभग 4 किलोमीटर की दूरी पर बिठूर रोड के मैनावती मार्ग पर स्थित है। यह मंदिर भगवान श्री कृष्ण और देवी राधा को समर्पित है और विश्व भर से आध्यात्मिक पर्यटकों को आकर्षित करता है। यहां देवताओं का वार्षिक महा-अभिषेकम आयोजित किया जाता है, जिसमें रॉयल गोल्ड लीफ श्राइन में पवित्र मूर्तियों का पारंपरिक स्नान किया जाता है। इस 12 एकड़ क्षेत्र में फैले इस मंदिर में आने वाले लोगों को एक सुखद अनुभव मिलता है और यहां की सुंदर वास्तुकला भी मनोहर है। मंदिर के अंदर एक दुकान है जो उपहार सामग्री, भगवद गीता, भारतीय महाकाव्यों पर आधारित बच्चों की कहानी की किताबें आदि बेचती है। यहां जगन्नाथ रथ यात्रा, जन्माष्टमी, दिवाली और होली जैसे त्योहार धूमधाम से मनाए जाते हैं।

स्थान:- मैनावती मार्ग , कानपुर , उत्तर प्रदेश
समय:-
सुबह:- 4:30 – 1:30 बजे तक
शाम:- 4:30 – 8:30 बजे तक

5.) साईं मंदिर

कानपुर से 28 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बिठूर एक ऐतिहासिक और धार्मिक महत्वपूर्ण स्थान है। यह 1857 की क्रांति के समय घटित घटनाओं का गवाह है, जहां नाना साहब पेशवा ने बिगुल बजाकर विद्रोह की शुरुआत की थी। इसी जगह पर भगवान राम के पुत्र लव और कुश का जन्म हुआ था, जिससे यह स्थान धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है ।
बिठूर में साईं दरबार भी प्रसिद्ध है, जिसे भक्तों को आकर्षित करता है। रोजाना इस मंदिर में भक्तों की भीड़ जुटती है, और मंदिर के परिसर में बैठकर भक्तों को सुकून की अनुभूति होती है। साईं दरबार में भगवान साईं बाबा को समर्पित अखंड ज्योति जलती रहती है और इसका वातावरण शांतिपूर्ण होता है। दूर-दूर से श्रद्धालु इस मंदिर में साईं बाबा के दर्शन करने आते हैं।

स्थान:- बिठूर रोड , कानपुर , उत्तर प्रदेश
समय:-
सुबह 6:00 से रात 8:15 तक

साईं मंदिर

6.) बारह देवी मंदिर

बारा देवी मंदिर कानपुर के विख्यात मंदिरों में से एक है। यह विशाल प्राचीन मंदिर माना जाता है, जिसकी नींव 1700 साल पुरानी है। यह मंदिर उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में बारा रोड, जूही कलां में स्थित है। मंदिर में माँ दुर्गा की 12 मूर्तियाँ हैं।
बारा देवी मंदिर का इतिहास अब तक पता नहीं चला है, लेकिन एक प्रसिद्ध कहानी से जुड़ा है। एक बार अपने पिता के क्रोध से बचने के लिए 12 बहनें मिलकर घर छोड़कर भाग गईं। सभी बहनें किदवई नगर में मूर्ति बनकर स्थापित हुईं। बहनों के श्राप के कारण उनके पिता पत्थर बन गए थे, और वे मंदिर बारा देवी मंदिर के रूप में प्रसिद्ध हुआ।
यह हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थान है, जहां सभी जाति और धर्म के लोग पूजा करते हैं। यहां दिन-रात देवी मंत्रों का जाप किया जाता है। भक्तों के लिए यहां सुख, शांति और स्वास्थ्य के लिए सर्वोत्तम स्थान है। बारा देवी मंदिर में सभी त्योहारों को मनाया जाता है, खासकर दुर्गा पूजा और नवरात्रि का त्योहार। इन दिनों मंदिर को फूलों और दीपों से सजाया जाता है। मंदिर का आध्यात्मिक वातावरण भक्तों के मन और हृदय को शांति और समृद्धि प्रदान करता है।

स्थान:- बारा देवी रोड , जूही कलां , कानपुर
समय:-
सुबह :- 6:00 बजे
रात :- 9:00 बजे तक

7.) पनकी मंदिर

पनकी हनुमान मंदिर एक प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर है जो कानपुर, उत्तर प्रदेश में स्थित है और यह भगवान हनुमान को पूर्ण रूप से समर्पित है। पौराणिक कथा के अनुसार, यह मंदिर लगभग 400 वर्ष पुराना है और इसकी स्थापना श्री 1008 महंत परषोतम दास जी ने की थी। कानपुर शहर की स्थापना से पहले भी यहां पर पनकी हनुमान मंदिर था। महंत जी को एक बार चित्रकूट से लौटते समय उन्हें वहां एक विशेष चट्टान दिखाई दी थी, जिस पर बजरंग बलि को देखा जा सकता था। उन्होंने उसी स्थान पर मंदिर का निर्माण करने का फैसला किया। आज इसी स्थान पर पनकी मंदिर स्थित है।
इस मंदिर में भगवान हनुमान को दिव्य रूप में देखा जाता है और उनके चेहरे की उपस्थिति एक दिन में तीन बार बदलती है। सुबह को वे बाल हनुमान के रूप में प्रतिष्ठित होते हैं, दोपहर में युवा (ब्रह्मचारी) के रूप में दिखाई देते हैं, और शाम को वे महापुरुष (तेजस्वी) के रूप में प्रतिष्ठित होते हैं।

स्थान:- पनकी रोड , कानपुर
समय :-
सुबह:- 5:00 – 12:00 बजे तक
दोपहर :- 2:00 – 10:00 बजे तक

8.) जगन्नाथ मंदिर

यह मंदिर भगवान जगन्नाथ को समर्पित है, जो कानपुर जनपद के भीतरगांव विकासखंड मुख्यालय से तीन किलोमीटर पर बेंहटा गांव में स्थित है। इसे मानसूनी मंदिर और मौसम का मंदिर भी कहा जाता है, क्योंकि इसके भीतर रखे पत्थर बारिश और मानसून की सटीक भविष्यवाणी करते हैं।
मंदिर के आस-पास के गांववाले दावे करते हैं कि लगभग 4 हजार साल पहले बने इस मंदिर से मौसम के बारे में संकेत मिलते थे। वे कहते हैं कि मानसून के आने से पहले, मंदिर में स्थित भगवान जगन्नाथ की मूर्ति के ऊपर गुंबद से पानी की बूँदें गिरने लगती थीं। जब पत्थर सिर्फ पसीजता था, तो मौसम में कम बारिश होती थी। जब पत्थर पर पानी इकट्ठा होता था और बूँदें बनती थीं, तो यह सामान्य बारिश की भविष्यवाणी करता था। और जब पत्थर पर पानी इकट्ठा होता और बूँदें गिरती थीं, तो वे अच्छी बारिश की सूचना देती थीं। बूँदों के आकार से भी वे यह अंदाजा लगाते थे कि बारिश की मात्रा कितनी होगी। हालांकि, रहस्यमयी इस मंदिर के निर्माण और उसके समय को पुरातत्व वैज्ञानिक भी सही से नहीं समझ पाए हैं, क्योंकि अनेक प्रयासों के बाद भी यह सत्यापित नहीं हो सका।

स्थान:- जाजमाऊ , कानपुर , उत्तर प्रदेश
समय:-
सूर्योदय से सूर्यास्त तक

9.) भीतर गाँव मंदिर

उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में स्थित है,भीतर गांव मंदिर का निर्माण 5वीं शताब्दी A.D. में गुप्त साम्राज्य के दौरान हुआ था। यहां एक गुप्तकालीन मंदिर के अवशेष हैं, जो गुप्तकालीन वास्तुकला के सुंदर उदाहरणों में से एक है। इस मंदिर की ईटों से बनी दीवारें अपनी सुरक्षित और उत्कृष्ट संरचना के कारण विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं। इसकी एक-एक ईट खासी आकर्षक आलेखनों से भरी हुई है। इस मंदिर के दो दो फुट लंबे चौड़े खाने मूर्तियों से भरे थे, जो अनेक सजीव और सुंदर दिखते है। इसकी दीवारें शिव, पार्वती, गणेश, विष्णु और अन्य देवी-देवताओं की टेराकोटा मूर्तियों से सजी हुई है। मंदिर की छत शिखरमयी थी और बाहरी दीवारों की ताखों में मृण्मयी मूर्तियाँ देखने को मिलती है। इस मंदिर की हजारों ऊंची ईटें लखनऊ संग्रहालय में सुरक्षित रखी गई है।

स्थान:- भीतरगांव , कानपुर , उत्तर प्रदेश

10.)छिन्नन्मास्तिका माता मंदिर

कानपुर के शिवाला में स्थित एक मंदिर है, जिसका नाम छिन्नमस्तिका मंदिर है। यह मंदिर साल में केवल वसंत और शारदीय नवरात्रि के दौरान ही खुलता है, और उसमें चैत्र और शारदीय नवरात्रि के सप्तमी, अष्टमी, और नवमी के दिन ही पूजा की जाती है। बाकी समय मंदिर बंद रहता है। मंदिर के गर्भगृह में मां की सिर वाली प्रतिमा पूजी जाती है, जिसमें मां एक हाथ में खड़ग और दूसरे हाथ में मस्तक धारण करके दिखाई देती हैं। प्रतिमा के कटे हुए स्कंध से रक्त निकलती हैं, जिसमें से एक धारा को मां खुद पीती हैं और दो धाराएं उनकी सहेलियों जया और विजया को भोजन के रूप में प्रदान करती हैं। इस माता के स्वरूप का योग मार्ग में इडा, पिंगला और सुषुम्ना नाड़ियों के संयोजन से सिद्धि प्राप्त करने को श्रेष्ठ माना जाता है। इसी कारण माता धरती पर कलियुग की देवी के रूप में पूजी जाती है। इस मंदिर की परंपरा के अनुसार, चैत्र नवरात्रि के सप्तमी दिन बकरे की बलि चढ़ाई जाती है और उसके कटे हुए सिर के ऊपर कपूर रखकर मां की आरती की जाती है। इसके बाद, अष्टमी और नवमी तिथि पर मां छिन्नमस्तिका की विधि-विधान से पूजा-अर्चना के बाद मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं, और वह अगले नवरात्रि तक बंद रहता है।

स्थान:- शिवाला , कानपुर , उत्तर प्रदेश
खुलने का समय:- शारदीय नवरात्रि में सप्तमी , अष्टमी ,नवमी के दिन ।

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