Top 10 Famous Temple In Kanpur In Hindi Part 2

Top 10 Famous Temple In Kanpur In Hindi Part 2 | कानपुर के 10 फेमस मंदिर ये पार्ट 2 हैं कानपुर भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश में स्थित एक महत्वपूर्ण शहर है जिसे औद्योगिक नगर के साथ साथ धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए भी जाना जाता है। यहाँ पर विशाल संख्या में पवित्र मंदिर स्थित हैं, जो शहर की धार्मिकता को दर्शाते हैं। बाबा आनंदेश्वर महादेव मंदिर, Jk मंदिर, जैन ग्लास मंदिर, ईस्कॉन मंदिर और पनाकी हनुमान मंदिर जैसे प्रमुख मंदिर यहाँ स्थित हैं।
ये सभी स्थल न केवल आध्यात्मिकता का प्रतीक हैं, बल्कि उनमें निहित मानवीय भावनाएँ भी यात्रियों को आकर्षित करती हैं। हमने पार्ट 1 में
बाबा आनंदेश्वर महादेव मंदिर की शांतिपूर्ण वातावरण से लेकर Jk मंदिर की आदर्श भव्यता तक, जैन ग्लास मंदिर की जटिल सुंदरता से लेकर ईस्कॉन मंदिर के प्रफंद आध्यात्मिक अनुभव तक, और पनकी हनुमान बाबा जहां भक्ति की गूंज सुनाई देती है, ये सभी पवित्र मंदिरों को हमने पहले आर्टिकल में सामिल किया था और इस आर्टिकल में कानपुर के 10 और प्रमुख मन्दिरों के बारे में जानेंगे किन्तु आपने पहले ब्लॉग नहीं देखा तो उसे भी जरूर पढ़े {Top 10 Famous Temple In Kanpur In Hindi Part 1} हमारे साथ आइए इस आध्यात्मिक यात्रा पर निकलें, जहां विश्वास और मानव भावनाएँ एक साथ मिलकर हारमोनियस बुनाई जाती हैं, कानपुर के प्रमुख टॉप 10 मंदिरों को देखेंगे और बताएंगे कुछ अनोखी बातें ।
तो चलिए, इस अत्यंत भावनात्मक और आध्यात्मिक यात्रा में साथ चलते हैं और कानपुर के श्रेष्ठ मंदिरों के प्रति हमारी अदृश्य संवाद को जानते हैं। कानपुर की धार्मिक और आध्यात्मिक धरोहर को अनुभव करने के लिए, हम यहाँ पर आए हैं ताकि हम इस शहर के पवित्रतम स्थलों में खो जा सकें।

कानपुर के प्रमुख मंदिर :-

1.) प्रयाग नारायण मंदिर

शिवाला में स्थित 165 साल प्राचीन प्रयाग नारायण मंदिर को 03 से 15 अगस्त तक तिरंगे से शुशोभित करके रखा जाता है। इस दक्षिण भारतीय शैली पर बने मंदिर में प्रतिदिन आरती के समय ऊंट की खाल से बने नगाड़ों को बजाया जाता है। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में नाना राव पेशवा के सैनिकों द्वारा युद्ध की मुनादी के दौरान ये नगाड़े बजाए जाते थे। इस विशालकाय मंदिर में भक्तवत्सल नारायण जी महाराज, भगवान वेंकटेश, भूदेवी, नीला देवी, सुदर्शन भगवान , गरुड़ महाराज और श्री गोदारंगमन्नार महाराज विराजमान हैं। मुख्य द्वार लगभग 56 फुट ऊंचा है और वहां पर भगवान लक्ष्मी नारायण के प्रिय गरुण की एक विशाल प्रतिमा स्थापित है, जो उत्तर भारत की विशालतम प्रतिमाओं में से एक है।

स्थान:- शिवाला , कानपुर , उत्तर प्रदेश

प्रयाग नारायण मंदिर
प्रयाग नारायण मंदिर

2.) तपेश्वरी माता मंदिर

तपेश्वरी मंदिर हिन्दू समुदाय का एक प्रमुख स्थली है, जो कानुपर, उत्तर प्रदेश के बिरहाना रोड पटकापुर में स्थित है। यह मंदिर कानपुर का प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिर माना जाता हैं, जो पूर्णतः मां सीता को समर्पित है। इसका इतिहास रामायण के काल से जुड़ा हुआ है।
भगवान राम ने सीता को अयोध्या से निकालने के बाद, वे बिठूर में ठहरी थीं। मां सीता और उनके पुत्र लव और कुश के साथ बिठूर में ठहरने का प्रमाण उपलब्ध है। रोज़ाना मां सीता इस मंदिर में तप करने आती थीं और जब उनके पुत्रों का जन्म हुआ, तो उन्होंने उनका मुण्डन यहां कराया। इस मंदिर में कमला, विमला, सरस्वती और माता सीता की मूर्तियां स्थापित हैं, लेकिन कौन-सी मूर्ति माता सीता की है, यह किसी को नहीं पता। तपेश्वरी मंदिर में विभिन्न त्यौहार मनाए जाते हैं और खासकर दुर्गा पूजा और नवरात्रि के अवसर पर विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। 1960 में मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया था। मान्यता है कि जिन महिलाओं की गोद सूनी होती है,जब वो यहाँ आकर माता रानी के दर्शन करती है तब माता रानी उन पर अपनी असीम कृपा बरसाती हैं, जिससे उनकी सभी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं।

स्थान :- नौघरा, फीलखाना, पटकापुर, कानपुर, उत्तर प्रदेश,
208001
समय:-
(सुबह) 6:00 से – (रात) 9:00 बजे तक ।

तपेश्वरी माता मंदिर
तपेश्वरी माता मंदिर

3.) वैष्णो देवी मंदिर

कानपुर में स्थित वैष्णो देवी मंदिर भारत में प्रसिद्ध हिंदू मंदिरों में से एक है। इस मंदिर की खासियत है कि यहां 1000 हाथ वाली देवी मां की मूर्ति स्थापित है। मंदिर के अंदर गुफा भी है, जिसमें जाकर माता के दर्शन करने पर मनचाहे फल की प्राप्ति होती है। यहां के बर्रा इलाके के दमोदर नगर में वैष्णो देवी मंदिर बना हुआ है। इस मंदिर का निर्माण सन् 2000 में भक्त जयदेव सिंह राणा ने दुर्गा मां से मांगी गई एक मन्नत पूरी होने पर किया था। जयदेव राणा को इसे बनवाने का सपना भी आया था, जिसमें माता के आने का अनुभव हुआ था। मंदिर में करीब 900 भगवान की मूर्तियां स्थापित हैं और यहां पर एक मात्र 1000 हाथ वाली माता महिसासुर मर्दानी की मूर्ति भी है, जिसका वर्णन दुर्गा सप्तसती में है। गुफा को प्राकृतिक रूप देने के लिए बेहद सकरी और बारीक पथरी का इस्तेमाल किया गया था, जिसका निर्माण कुशल कारीगरों ने किया था। यह गुफा जम्मू में स्थित वैष्णो देवी मंदिर जैसी दिखती है। मंदिर में सभी पुराणों का सार भी उपलब्ध है। इस मंदिर में विश्वास किया जाता है कि मुख्यद्वार पर चुन्नी बांधकर तीन गांठ लगाकर छोड़ने से देवी मां सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।

स्थान:- दामोदर नगर , कानपुर , उत्तर प्रदेश , 208007
समय :-
सुबह:- 5:00 – 12:00 बजे तक
शाम :- 4:00 – 9:00 बजे तक

तपेश्वरी माता मंदिर
तपेश्वरी माता मंदिर

4.)दशानन मंदिर

देश में विजयादशमी के दिन जहां रावण दहन से खुशियां मनाई जाती है, वहीं कुछ लोग रावण के सौ साल पुराने मंदिर में विशेष अराधना करने जाते हैं। कानपुर के शिवाला में स्थित देश के एकलौते दशानन मंदिर में भक्त दशहरे के दिन सुबह से रावण की पूजा करने आते हैं। इस मंदिर को साल में एक बार विजयादशमी को ही खोला जाता है और लोग उस दिन रावण की पूजा करते हैं। दशानन मंदिर में रावण को शक्ति के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है और श्रद्धालु तेल के दिए जलाकर अपनी मन्नतें मांगते हैं।
सौ साल पहले महाराज गुरू प्रसाद शुक्ल ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। रावण प्रकांड पंडित भी था और भगवान शिव का परम भक्त भी , इसलिए उन्होंने कैलाश मंदिर परिसर में रावण का मंदिर बनवाया था। मां की आशीर्वाद भी उन पर था। कहा जाता है कि मां छिन्नमस्तिका ने उन्हें वरदान दिया था कि उनकी पूजा सफल होगी जब भक्त रावण की भी पूजा करेंगे। लगभग 206 साल पहले संवत 1868 में राजा ने मां छिन्नमस्तिका का मंदिर बनवाया था और उन्होंने रावण को प्रहरी के रूप में उसकी पांच फुट की मूर्ति को बनवाया था।
विजयदशमी के पर्व के अवसर पर, माँ छिन्नमस्तिका की पूजा के बाद,श्रद्धालू रावण की आरती करते हैं और मंदिर में सरसों के तेल के दीपक और पीले फूलों को चढ़ाते हैं।
मान्यता है कि रावण को तेल और पीले फूल चढ़ाने से भक्तों के ग्रहों के सारे दोष समाप्त हो जाते हैं और घर में खुशियां आती हैं। हर साल इस मंदिर के कपाट विजयादशमी के दिन ही खोले जाते हैं।

स्थान:- शिवाला ,पटकापुर, कानपुर , उत्तर प्रदेश।
समय :- विजयदशमी के दिन

दशानन मंदिर
दशानन मंदिर

5.)द्वारिकाधीश

द्वारकाधीश का शाब्दिक अर्थ है ‘द्वारका के राजा’ और यह सटीक है, क्योंकि यह मंदिर हिंदू भगवान – द्वारका के राजा, भगवान कृष्ण को समर्पित है। कानपुर शहर में कमला टावर के पास स्थित इस मंदिर में विशेष रूप से श्रावण के शुभ महीने में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। इस ज़ोरदार उत्सव को जुलाई-अगस्त महीने में ‘झूला महोत्सव’ या ‘झूला’ नाम से धूमधाम से मनाया जाता है।

इस धार्मिक उत्सव का मुख्य आकर्षण भगवान कृष्ण की मूर्ति के लिए नए कपड़े और आभूषणों का प्रदान करना है, जिसे वे राधा रानी के साथ झूले पर रखते हैं, जो उनकी सखी भी थीं। भक्तगण इस अवसर पर प्रार्थना करते हैं और उन्हें समर्पित गीत भी गाते हैं और मंदिर को फूलों से सजाकर आकर्षक बनाते हैं। भक्तों के बीच मिठाई और प्रसाद वितरित भी किया जाता है।

स्थान :- 21/27, द्वारिकाहीश रोड, कमला टावर, जनरल गंज, कानपुर, उत्तर प्रदेश 208001
समय :-
(सुबह)7:00 – (शाम)7:00 बजे तक

द्वारिकाधीश
द्वारिकाधीश

6.)चन्द्रिका देवी मंदिर

जैसा कि नाम से पता चलता है, यह मंदिर देवी चंद्रिका को समर्पित है, जिन्हें आम तौर पर दुर्गा के नाम से जाना जाता है।
यह मंदिर कानपुर शहर के मध्य में स्थित है और इसे ‘सिद्धपीठ’ भी कहा जाता है। यह शहर के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है, और चंद्रिका देवी मंदिर को वास्तुकला का एक बेहतरीन उदाहरण माना जाता है।
यह मंदिर देव नगर में स्थित है, जो अपने चमड़े के उत्पादों और चावल के निर्माण के लिए भी जाना जाता है। इस मंदिर का गणेश महोत्सव बहुत ही धूमधाम और धूमधाम से मनाया जाता है। यहां भगवान गणेश की मूर्ति के दर्शन के लिए भक्तजन आते हैं और उन्हें अपनी श्रद्धा और भक्ति के साथ पूजा करते हैं।
चंद्रिका देवी मंदिर में भगवान शिव की मूर्तियाँ भी स्थानीय लोगों के द्वारा गहरी श्रद्धा की जाती हैं।
इस मंदिर की वास्तुकला बेहद सुंदर है और इसे संरक्षित रखने के लिए प्रयास किया जा रहा है। यहां के संगमरमर की सुंदर मूर्तियाँ, मंचित छतें और विशाल मंदिर के आकर्षक स्थल को देखकर लोग आकर्षित हो जाते हैं। इस मंदिर में आने वाले श्रद्धालु धार्मिक आदतों के साथ भक्ति भाव से जुड़कर अपने मन को शांति और समृद्धि की अनुभूति करते हैं।

स्थान :- 416, रायपुरवा , कानपुर , उत्तर प्रदेश , 208003
समय :-

चन्द्रिका देवी मंदिर
चन्द्रिका देवी मंदिर

7.)काली माँ का मंदिर

कानपुर शहर के शिवाला इलाके में स्थित बंगाली मोहाल में एक काली माँ का मंदिर है। इस मंदिर को 500 से अधिक वर्ष पुराना माना जाता है और यहां देवी काली के पृथ्वी पर आगमन का स्थान है, जिसने अपने भक्तों की इच्छाओं को पूरा करने के लिए यहां आई थीं। इस मंदिर की खोज एक बंगाली परिवार ने की थी, जो पवित्र नदी गंगा के तट पर देवी को सपने में देखने के बाद कोलकाता राज्य से पैदल चलकर यहां पहुँचे थे। इस खोज के बाद से, उस परिवार की हर पीढ़ी ने अपना जीवन इस मंदिर की सेवा में समर्पित कर दिया है, जिसमें वर्तमान मालिक और देखभालकर्ता भी शामिल हैं।
यह मंदिर एक विशेष अनुष्ठान के लिए जाना जाता है, जिसमें किसी की मनोकामना पूरी करने के लिए मंदिर में वास्तविक ताला लगाना शामिल है। प्रत्येक अमावस्या के दिन देवता को प्रसन्न करने के लिए मेमने की बलि और नवरात्रि के त्योहार के दौरान जानवरों की बलि दी जाती है। दिवाली के दौरान भी मंदिर में एक प्रमुख पूजा आयोजित की जाती है, जिसे महाकाली पूजा के नाम से जाना जाता है।
मंदिर के कारण बंगाली प्रभाव के चलते, यहां आयोजित प्रत्येक अनुष्ठान बंगाली रीति-रिवाज से किया जाता है। इस मंदिर में उत्साही भक्तों की भारी भीड़ होती है जो बार-बार आते रहते हैं, क्योंकि उनमें से कई लोगों ने शक्तिशाली देवी के प्रति अटूट आस्था और प्रेम रखकर अपनी इच्छाएं पूरी की हैं।

स्थान :- बंगाली मोहल , शिवाला रोड , पटकापुर, कानपुर
उत्तर प्रदेश – 208001
समय :-
(सुबह)6:00 – (रात)10:00 बजे तक

काली माँ का मंदिर
काली माँ का मंदिर

8.) ब्रह्मकुटी मंदिर

कानपुर शहर में स्थित ब्रह्मकुटी मंदिर भगवान ब्रह्मा का एक प्रसिद्ध मंदिर है, जिसे भारतीय पौराणिक शास्त्रों में सर्वोच्च निर्माता के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है। यह सुंदर मंदिर गंगा नदी के तट पर अवस्थित है, जो इसे और भी धार्मिक महत्त्व प्रदान करता है। इस क्षेत्र में यह एकमात्र ब्रह्मा का मंदिर होने के कारण भी यह यात्रियों के लिए खासा प्रसिद्ध है। इस वजह से इस मंदिर में शहर भर से आनेवाले तीर्थयात्री अधिकांश वक्त आते हैं।

स्थान: कानपुर, उत्तर प्रदेश
समय:
( सुबह) 9:00 – (रात) 9:00 बजे तक

ब्रह्मकुटी मंदिर
ब्रह्मकुटी मंदिर

9.) श्री कुष्मांडा देवी मंदिर

मां कुष्मांडा को ब्रह्मांड की उत्पत्ति करने वाली देवी के रूप में जाना जाता है। इसी कारण उन्हें आदि शक्ति और आदि स्वरूपा के नाम से भी पुकारा जाता है। हिंदू शास्त्रों में यह बताया गया है कि मां कुष्मांडा के पूजन से अनेक प्रकार के रोग दूर हो जाते हैं। उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में स्थित घाटमपुर कस्बे में स्थित मां कुष्मांडा देवी की पिंडी से रिसने वाले जल से आंखों संबंधी सभी विकार दूर हो जाते हैं। वहां मां कुष्मांडा देवी की पिंडी दो मुख वाली है, जिसका आदि और अंत कोई नहीं जानता है। इसके कारण वे लेटी हुई दिखाई देती हैं। उनकी पिंडी से हर साल जल रिसता रहता है, इसकी उत्पत्ति का स्थान कोई नहीं जानता, लेकिन इस जल की उपयोगिता जानते हैं। एक मान्यता है कि अगर मां कुष्मांडा की मूर्ति से रिसते जल को आंखों में लगाया जाए तो बड़े से बड़े नेत्र विकार भी ठीक हो जाते हैं, इसलिए वहां उनकी पूजा करने वाले लोग आकर्षित होते हैं।

स्थान:- घाटमपुर , कानपुर , उत्तर प्रदेश , 209206
समय:-
(सुबह)6:00 – (रात)9:00 बजे तक

श्री कुष्मांडा देवी मंदिर
श्री कुष्मांडा देवी मंदिर

10.) जंगली देवी मंदिर

कानपुर शहर में किदवई नगर के पास माता जंगली देवी का एक भव्य मंदिर स्थित है। यहां पर माँ के धरोहरों का वितरण एक विशेष दिन को होता है, उस दिन श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। मान्यता है कि इस खजाने को घर में रखने से धन की कमी नहीं होती है।
प्राचीन काल में इस मंदिर की खोज वर्ष 1925 में हुई थी। खोदाई के दौरान मिले एक ताम्रपत्र ने पुरातत्व विभाग लखनऊ को सौंपा गया और इसमें लिखा था कि मंदिर का निर्माण विक्रम संवत 893 में हुआ था। ताम्रपत्र में इस भूभाग को “कान्यकुब्ज प्रदेश” के राजा भोज देव के आधीन आने का उल्लेख था। राजा भोज देव को ही इस मंदिर की देखरेख का अधिकार था।
खोदाई के दौरान एक मठिया भी मिली गई थी, जिसे घने जंगल में पाया गया था। इस मठिया के मिलने और देवी माँ के मंदिर के अस्तित्व से मंदिर का नाम जंगली देवी मंदिर पड़ा।

स्थान:- 133/9 , किदवई नगर , कानपुर , उत्तर प्रदेश – 208011
समय:-
(सुबह) 6:00 – (शाम)8:00

जंगली देवी मंदिर
जंगली देवी मंदिर

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2 thoughts on “Top 10 Famous Temple In Kanpur In Hindi Part 2”

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