Top 10 Famous Temples in Mirzapur- मिर्ज़ापुर के श्रेष्ठ 10 प्रसिद्ध मंदिर एक आध्यात्मिक यात्रा

Top 10 Famous Temples in Mirzapur- मिर्ज़ापुर के श्रेष्ठ 10 प्रसिद्ध मंदिर एक आध्यात्मिक यात्रा मिर्ज़ापुर, उत्तर प्रदेश का वह स्वर्ग है जो अपनी प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ की प्राकृतिक सौंदर्य के साथ-साथ धार्मिक स्थलों का सञ्चय है, और इसके धार्मिक संरचनाओं में से कुछ सबसे प्रसिद्ध हैं। यहाँ के मंदिर हमारे मन, आत्मा, और भगवान के प्रति हमारी भावनाओं को छूने का प्रयास करते हैं। इस आर्टिकल में, हम आपको ले जाएंगे मिर्ज़ापुर के उन दस प्रसिद्ध मंदिरों की ओर जो इस शहर के धार्मिक और आध्यात्मिक माहौल की महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जैसे कि माँ विंध्यावासिनी मंदिर, अष्टभुजा माता मंदिर, काली खोह माता मंदिर, पंचमुखी महादेव मंदिर, और और भी कई। आइए, हम इन मंदिरों की ध्यानचित्रण करते हैं और उनके धार्मिक महत्व को समझते हैं।

Top 10 Famous Temples in Mirzapur- मिर्ज़ापुर के श्रेष्ठ 10 प्रसिद्ध मंदिर एक आध्यात्मिक यात्रा

Top 10 Famous Temples in Mirzapur- मिर्ज़ापुर के श्रेष्ठ 10 प्रसिद्ध मंदिर एक आध्यात्मिक यात्रा

1.) मां विंध्यवासिनी मंदिर

मां विंध्यवासिनी मंदिर, जो 51 शक्तिपीठों में से एक है, उनके बारे में यह मान्यता है कि यह स्थान सृष्टि की शुरुआत से पहले और प्रलय के बाद भी अचल रहेगा। पुराणों में भी विंध्य क्षेत्र को विशेष महत्व प्राप्त है। मां विंध्यवासिनी मंदिर गंगा किनारे स्थित है और यह मान्यता है कि इसी स्थान पर भगवान दक्ष की पुत्री, मां जगदंबिका, ने जन्म लिया था। सती के रूप में जन्मी मां जगदंबिका का भगवान शिव से विवाह हुआ था। विवाह के बाद, दक्ष ने एक विशाल यज्ञ आयोजित किया, लेकिन उन्होंने भगवान शिव को नहीं बुलाया। अपने पिता से नाराज सती ने अपने प्राणों की आहुति दे दी । इसके बाद भगवान शिव ने तांडव नृत्य करने लगे। तत्पश्चात ब्राम्हा जी के विनती करने पर भगवान विष्णु ने माता सती के शरीर को सुदर्शन चक्र से 51 टुकड़ों में विभाजित किया । जिस- जिस स्थान पर माता सती के अंग गिरे वहां शक्तिपीठ उत्पन्न हो गये। मां विंध्यवासिनी देवी भी इनमें से एक है। मार्कण्डेय पुराण में इस मंदिर का वर्णन है, और कहा गया है कि यहां मन से की गई श्रद्धा से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस पीठ की एक खास बात यह है कि इस क्षेत्र में 3 किलोमीटर के भीतर ही तीन प्रमुख देवी के मंदिर स्थित हैं।

स्थान:- माँ विंध्यवासिनी धाम , मिर्ज़ापुर , उत्तर प्रदेश
समय:-
(सुबह) 5:00 – ( रात) 12:00 बजे तक

मां विंध्यवासिनी मंदिर
मां विंध्यवासिनी मंदिर

2.) अष्टभुजा देवी

अष्टभुजा मंदिर, उत्तर प्रदेश के पवित्र नगर मिर्ज़ापुर में स्थित है, वह विंध्याचल का एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। यह मंदिर देवी अष्टभुजा को समर्पित है, जिन्हें देवी नंदिनी के नाम से भी जाना जाता है। उन्हें ज्ञान, संगीत, कला, शिक्षा और सीखने की हिंदू देवी ‘ देवी सरस्वती’ का अवतार माना जाता है। “अष्टभुजा” संस्कृत में “आठ भुजाओं वाली” का अर्थ होता है। देवी की मूर्ति में विभिन्न हथियार और प्रतीकों के साथ आठ भुजाएं दिखाई गयी है जैसे कि तलवार, धनुष, तीर, शंख और पुस्तक। उनका जन्म गोकुल में नंद और यशोदा के पास हुआ था। विभिन्न कथाओं के अनुसार, अष्टभुजा ने दुष्ट राजा कंस के वध की भविष्यवाणी की थी और फिर उन्होंने विंध्याचल जाने का निर्णय लिया। इस मंदिर में मां अष्टभुजा की मूर्ति एक लंबी और अंधेरे गुफा में स्थित है, और गुफा को प्रकाशित करने के लिए प्रबंध किए गए हैं ताकि श्रद्धालुओं को कोई दिक्कत न हो। मंदिर के अंदर गुफा में अखंड ज्योति जलती रहती है, जो उसे और भी आकर्षक बनाती है। यह मंदिर विंध्याचल पर्वत पर स्थित है और इसकी पहुंच के लिए 160 पत्थर की सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है। मां अष्टभुजा के दर्शन-पूजन से धन और यश में वृद्धि होती है और उनके दर्शन से मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। इस कारण से चैत्र और शारदीय नवरात्रि के दौरान कई लोग मां अष्टभुजा के दर्शन करने आते हैं।

स्थान:- विंध्याचल ,
समय:-
(सुबह) 4:00 – (रात) 10:00 बजे तक

अष्टभुजा देवी
अष्टभुजा देवी

3.) काली खोह मंदिर

कालिखोह में माँ विंध्यवासिनी का मंदिर एक अद्वितीय मंदिर के रूप में पहचाना जाता है। इसकी विशेषता इसके अनूठे खेचरी स्वरूप में है। मां विंध्यवासिनी मंदिर से तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित मां विंध्यवासिनी के महाकाली स्वरूप को पूजा जाता है। पुराणों के अनुसार यह बताया जाता है की एक बार रक्तबीज दानव को ब्रह्मा जी द्वारा एक वरदान मिला कि यदि उसका एक बूँद रक्त जमीन पर गिरेगा तो उससे लाखों दानव उत्पन्न होंगे।फिर रक्तबीज दानव ने ब्राम्हा, विष्णु, महेश और अन्य देवताएं को स्वर्गीय लोक से बाहर कर दिया। सभी देवताओं ने माँ विंध्यवासिनी से खेचरी मुद्रा में महाकाली स्वरूप में प्रकट होने की प्रार्थना की ताकि रक्त जमीन पर न गिरे और धरती पर गिरने से पहले ही मां काली उस राक्षस के रक्त का निषेध कर सकें, जिससे दानवों की उत्पत्ति रोकी जा सके। मां विंध्यवासिनी ने देवताओं की प्रार्थना को स्वीकार किया और उन्होंने रक्तबीज दानव का वध करने के लिए खेचरी मुद्रा में मां काली का रूप धारण किया। इसके बाद, मां ने उस दानव का संहार किया और उसका सारा रक्त पी लिया। नवरात्रि के दौरान, श्रद्धालु यहाँ तंत्र विद्याओं की सिद्धि के लिए प्रायः आते हैं।

स्थान:- विंध्याचल, मिर्ज़ापुर, उत्तर प्रदेश ।
समय :-
(सुबह) 05:00 बजे से – (शाम) 7:00 बजे

काली खोह मंदिर
काली खोह मंदिर

4.) रामेश्वर महादेव मंदिर

रामेश्वर मंदिर, मिर्ज़ापुर जिले के विन्ध्याचल क्षेत्र में स्थित है। यह स्थान मिर्जापुर से लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर, राम गया घाट पर स्थित है। पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान श्री राम ने वनवास के समय अपने पिता की श्राद्ध के लिए इस स्थल पर आगमन किया था और उन्होंने अपने गुरु वशिष्ठ की सलाह पर राम गया घाट में शिव की पूजा की और रामेश्वर मंदिर में एक शिवलिंग स्थापित किया । सावन मास में स्थानीय लोगों के साथ-साथ दूरस्थ भक्त भी रामेश्वर मंदिर में आकर पूजा-दर्शन करते हैं।
यह मंदिर विन्ध्यवासिनी देवी और अष्टभुजा देवियों को समर्पित मंदिरों के बीच है । ये तीन मंदिर एक महात्रिकोण बनाते हैं। भक्तजन इन तीनों मंदिरों की परिक्रमा करने को शुभ मानते हैं और इस प्रक्रिया को त्रिलोक परिक्रमा के रूप में मानते हैं। यह भी कहा जाता है कि भगवान श्री राम द्वारा केवल दो शिवलिंग स्थापित किए गए थे, जिनमें से एक रामेश्वर में था जो लंका की विजय प्राप्ति के लिए था, और दूसरा मिर्जापुर के विन्ध्याचल में स्थित राम गया घाट के पास रामेश्वर महादेव के मंदिर में था ।

स्थान :- शांति देवी पाथ , विंध्याचल , मिर्ज़ापुर , उत्तर प्रदेश
समय:-
(सुबह) 6:00 – (रात) 10:00 बजे तक

रामेश्वर महादेव मंदिर
रामेश्वर महादेव मंदिर

5.) शीतलादेवी

चुनार क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम अदलपुरा में स्थित शीतला देवी मंदिर में श्रद्धालु पूरी विश्वास और आस्था के साथ बड़ी दूरी से दर्शन करने आते हैं। भक्त अपनी मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए माता से प्रर्थना करते है और आशीर्वाद प्राप्त करते है। दरबार में मुंडन संस्कार, विवाह संस्कार, कन्या प्रदर्शन आदि शुभ कार्य कराये जाते हैं। कई भक्त अपने मनोबल को बढ़ाने के लिए माता के दरबार में बने चूल्हे पर हलवा और पूरी चने का भोग बनाकर चढ़ाते हैं।
मंदिर की परंपरा है कि गांव में विवाह या कोई भी शुभ कार्य होने पर श्रद्धालु अवश्य माता के दरबार में पहुंचते हैं और माता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस अवधि में, सुरक्षा के लिए चुनार पुलिस बल तैनात रहती है, ताकि भक्तों को कोई परेशानी ना हो। सभी श्रद्धालुओं को लाइन में लगाकर सरलता के साथ दर्शन कराये जाते हैं। मंदिर के पुजारी ने बताया कि लगभग 50,000 श्रद्धालुओं ने माता के दरबार में दर्शन किये।

स्थान:- अदलपुरा , चुनार , मिर्ज़ापुर , उत्तर प्रदेश
समय :-
(सुबह) 6:00 – (रात) 9:00

शीतलादेवी
शीतलादेवी

6.) माँ दुर्गा मंदिर

चुनार जंक्शन से लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर, दक्षिण दिशा में चुनार सक्तेशगढ़ मार्ग पर पहाड़ी क्षेत्र में स्थित माँ दुर्गा का मंदिर जो अपने प्राकृतिक सौंदर्य, झरनों और त्रिकोण यात्रा के लिए प्रसिद्ध है।
इसके अनुसार, जिन लोगों को माता विंध्याचल में त्रिकोण यात्रा पूरी करने का अवसर नहीं मिल पाता, वे यहाँ आकर उसी त्रिकोण यात्रा का फल प्राप्त कर सकते हैं और उनकी यात्रा पूरी हो सकती है। इसके साथ ही मान्यता है कि इस मंदिर के कुण्ड में सदैव जल उपस्थित रहता है जिसमें श्रद्धालु और मंदिर के पुजरी स्नान करते है। जब आप मंदिर के आंगन में प्रवेश करेंगे, तो आपको एक छोटे से गुफा की तरह दिखने वाला स्थान मिलेगा जिसे श्रद्धालुओं माता के प्रकट होने की घटना का स्थल मानते है। दुर्गा माता मंदिर के प्रांगण में महादेव, हनुमान, गणेश और भैरव के मंदिर भी हैं, जिनके दर्शन करने से पुण्यप्राप्ति होती है।
अनेक भक्तगण यहाँ अपनी मान्यताओ को भी पूर्ण करने के लिए भी आते है। बहुत से लोग अपने बच्चों के मुंडन कार्यक्रम भी यहाँ आयोजित करते है।

स्थान:- चुनार , मिर्ज़ापुर , उत्तर प्रदेश
समय:-
(सुबह) 6:00 – (रात) 8:00 बजे तक

माँ दुर्गा मंदिर
माँ दुर्गा मंदिर

7.) भंडारीदेवी मंदिर

भंडारी देवी मंदिर, जो भारत के उत्तर प्रदेश में मिर्जापुर जिले के अहरौरा क्षेत्र में स्थित है, एक प्राचीन हिंदू मंदिर है। इसका इतिहास ऐसा बताया जाता है कि राजा कर्णपाल सिंह की बहन, जिन्हें बाद में “भंडारी देवी” के नाम से जाना गया, वह अपने भाई की मृत्यु के बाद इस जगह पर बस गयी । उन्होंने जरूरतमंद लोगों के लिए एक भंडारा (दान रसोई) आरंभ किया, जिससे उन्हें “भंडारी देवी” का नाम प्राप्त हुआ। इस स्थल पर पहले “भंडोदरी” नामक राक्षस और उसके जाति का किला था, लेकिन बाद मे भंडारी देवी ने उन्हें परास्त कर दिया। वर्तमान में हर तीसरे वर्ष, भंडारी देवी की पालकी जुलूस में उनके माता-पिता के घर, “शिव पहाड़”, पर ले जाई जाती है। श्रद्धालू मंदिर में एक या पांच पत्थर के टुकड़े चढ़ाकर अपनी मनोकामना प्रस्तुत करते है और जब मनोकामना पूरी होती है, तो पत्थर हटा दिए जाते हैं। मंदिर के परिसर में अशोक काल के शिलालेख भी पाए गए हैं, जिसमें राजा अशोक की यात्रा के दौरान उनकी विश्राम स्थली के रूप में इस जगह का उल्लेख है।

स्थान:- बिंदपुर खुर्द , मिर्ज़ापुर , उत्तर प्रदेश
समय :-
(सुबह) 7:00 – (रात) 9:00 बजे तक

भंडारीदेवी मंदिर
भंडारीदेवी मंदिर

8.) संकट मोचन मंदिर

मिर्जापुर जिले के शेरवां क्षेत्र में स्थित प्राणपुर गौरी क्षेत्र में विराजमान दक्षिणमुखी हनुमानजी का मंदिर सदियों से श्रद्धा और आस्था का प्रतीक है। हर साल कार्तिक मास में हनुमान जयंती पर नजदीकी और दूरदराज के लोग इस स्थल पर आकर माथा टेकते हैं, जिससे इसका महत्व दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। यह प्राचीन मंदिर अत्यधिक महत्वपूर्ण है और यहाँ हर मंगलवार और शनिवार को श्रद्धालुओं का आगमन होता है। इस मंदिर का निर्माण 1601 में किया गया था, और इसका निर्माण लाहौरी पत्थर से किया गया था। मंदिर के सामने स्थित साढ़े पांच बीघे क्षेत्र में बने तालाब की खोदाई में प्राप्त शिलाखंभ इस मंदिर के निर्माण की गतिविधियों की साक्ष्य है। हनुमानजी के मंदिर में हजारों श्रद्धालु आते हैं और शांति और सुख की प्राप्ति करते हैं। इस सिद्ध पीठ मे समय-समय पर यज्ञ और व्यास पीठ का आयोजन होता है, और मंदिर की व्यवस्था श्रद्धालुओं के आगमन के लिए सदैव सजीव रहती है। हनुमानजी की कृपा से सच्चे मन से की गई सभी प्रार्थनाएँ पूरी होती हैं।

स्थान:- मिर्ज़ापुुर , उत्तर प्रदेश
समय:-
(सुबह) 5:00 – (रात) 9:00 बजे तक

संकट मोचन मंदिर
संकट मोचन मंदिर

9.)पंचमुखी महादेव

मिर्जापुर जनपद में बरिया घाट पर स्थित, पंचमुखी महादेव मंदिर विंध्याचल मंदिर से 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर 550 वर्ष से अधिक प्राचीन है और इसकी स्थापना काठमांडू के प्रसिद्ध पशुपतिनाथ की प्रतिमा की सामर्थ्यवान आदर्शन के लिए हुई है। पूजारी का दावा है कि भगवान शिव ने नेपाली बाबा के स्वप्न में कहा कि उन्हें विंध्य क्षेत्र में गंगा के किनारे दूसरे विग्रह में स्थापित करना चाहिए। राजा ने अपने मंत्रियों को इस स्थान की जाँच करने के लिए भेजा, और इसके बाद पंचमुखी महादेव मंदिर का निर्माण बरिया घाट पर हुआ। पूजारी विपिन के अनुसार, जो भक्त द्वादश ज्योतिर्लिंगों की दर्शनीयता को नहीं प्राप्त कर सकते हैं, उन्हें पंचमुखी महादेव की पूजा करने या दर्शन करने से द्वादश ज्योतिर्लिंगों के पुण्य का लाभ मिलता है। पूजारी ने बताया है कि यहाँ हजारों भक्त अपनी मनोकामनाएँ साथ लेकर आते हैं और जब उनकी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं, तो वे दरबार में रुद्राभिषेक करवाते हैं।

स्थान:- धौरूपुर , मिर्ज़ापुर , उत्तर प्रदेश
समय:-
(सुबह) 6:00 – (रात) 9:00 बजे तक

पंचमुखी महादेव
पंचमुखी महादेव

10.) गड़बड़ा देवी मंदिर

मिर्ज़पुर जिला मुख्यालय से 70 किलोमीटर दूर विंध्य पर्वत की तलहटी पर स्थित सेवटी नदी के किनारे मां शीतला (गडबडा देवी) का मंदिर स्थित है। गडबडा धाम में माता शीतला के दर्शन से ही भक्तों की आकांक्षा पूरी हो जाती है। इसी कारण से धाम पहुंचने में आने वाली समस्याओं को श्रद्धालु पूरी आस्था के साथ दरकिनार करके मां की पूजा करते हैं। जनश्रुतियों के अनुसार लगभग तीन सौ वर्ष पहले टेढ़ी नीम के खोखले से मां गडबडा प्रकट हुई थी, जिनका प्रताप ऐसा है कि यह एक चमत्कार से कम नहीं लगता। मंदिर क्षेत्र में मुंडन संस्कार, जोड़ों की बंधनी, ऊपरी बाधा आदि से मुक्ति, ओझाई आदि जैसे आयोजन सामान्यत: होते रहते हैं। नवरात्रि के दौरान खासकर इस प्रकार की कई आयोजन कराये जाते है।

स्थान:- आमघट , मिर्ज़ापुर , उत्तर प्रदेश
समय:-
(सुबह) 8:00 – (रात) 8:00 बजे तक

गड़बड़ा देवी मंदिर
गड़बड़ा देवी मंदिर

Read this also:-Top10 famous temples in agra आगरा के 10 प्रसिद्ध मंदिर

Read this also:-Top 15 Most Famous Temples of Lord Hanuman in India – भारत में भगवान हनुमान के 15 सबसे चमत्कारी प्रसिद्ध मंदिर

धरोहर के साथ जुड़े हमारे सैकड़ों धार्मिक मंदिर, एक अलग दुनिया जिनमें हमारी आत्मा की वास्तविकता छिपी है। हम, kdhadvisor.com, एक वेबसाइट जो धर्म, भारतीय मंदिरों और आध्यात्मिकता के सभी पहलुओं को समर्थन करती है। हमारे धार्मिक स्थल हमारी गर्वभाषा हैं जो आज की युवा पीढ़ी को हमारी संस्कृति और धरोहर से जोड़ते हैं। यहाँ, भगवान श्रीकृष्णा द्वारा भगवद गीता से प्राप्त हुए सबक और भगवान राम द्वारा रचित रामायण से प्रेरित होकर सीखें जीवन के मूल्यवान सिख।

Sharing Is Caring:

1 thought on “Top 10 Famous Temples in Mirzapur- मिर्ज़ापुर के श्रेष्ठ 10 प्रसिद्ध मंदिर एक आध्यात्मिक यात्रा”

Leave a Comment