जब हम आध्यात्मिक स्थलों की यात्रा पर निकलते हैं, तो हमारा मन अनेक अनुभवों से भर जाता है। यहाँ गुजरात के शहर सूरत में स्थित धार्मिक स्थल भी हैं, जो भक्ति और शांति के आलोक में प्रकाशित होते हैं। इन दस प्रसिद्ध मंदिरों की यात्रा, जैसे अंबिका निकेतन मंदिर, ईश्वर कृष्ण मंदिर (इस्कॉन सूरत), श्री आशा पुरी माँ मंदिर, श्री स्वामिनारायण मंदिर, इच्छानाथ महादेव मंदिर और पुराना अम्बाजी मंदिर, हमें आनंद, भक्ति और चिंतन की अनूठी अनुभूतियाँ प्रदान करती हैं।
यहाँ हम मंदिरों की वास्तविकता में खो जाते हैं, जहाँ ध्यान की गहराई में खोजते हुए, अपने आत्मा से जुड़ जाते हैं। अंबिका निकेतन मंदिर की वह ध्वनि, जिसमें भजनों की मिठास और प्रार्थनाओं की शांति मिलती है, मन को शांत करती है। वहाँ की सुंदर सी छत्रियाँ और आरामदायक वातावरण मन को एक दिव्य स्थान पर ले जाते हैं। इस्कॉन सूरत का वह आलोकित सौंदर्य जिसमें ईश्वर के भजन करके आत्म-परिवर्तन का अनुभव होता है, वह अद्भुत होता है।
यहाँ के मंदिरों की सुंदरता और धार्मिक महत्व हमें आकर्षित करते हैं। आप भी इन मंदिरों के अद्भुत संस्कृति और पावन वातावरण का आनंद लेने के लिए यात्रा पर निकल सकते हैं। जीवन के दौड़भागदौड़ में इन स्थलों पर एक छोटा सा ठहराव मिलेगा, जो हमारे मन को शांति और प्रेरणा से भर देगा।
इस धार्मिक अभियान में अपने मन को साथ लेकर, हम इन प्राचीन मंदिरों की यात्रा का स्वागत करते हैं। यहाँ के धरोहर और प्राचीनता ने हमें अपने रूढ़िवादी मूलों से जुड़ा दिया है, और हमें अपने आध्यात्मिक सफलता की दिशा में मदद करता है।
इन प्रसिद्ध मंदिरों की यात्रा से आपके जीवन को नई दिशा मिलेगी, और आप भावुक होकर एक नए सच्चे सफलता के साक्षात्कार को करेंगे। आपके मन को धार्मिक शांति के साथ, आप इन मंदिरों के दर्शन का अनुभव करेंगे और अपने जीवन को धर्म से जुड़ने के लिए प्रेरित करेंगे। जब आप प्राचीन अम्बाजी मंदिर की शिखर ऊंचाई पर खड़े होकर सूर्योदय को देखेंगे, तो एक नई सूर्यदेव की मौजूदगी में आपके आत्मा की अग्नि बढ़ेगी। यहाँ के प्राचीनता ने इस मंदिर को विशेष बना दिया है, और इसकी स्थानीय महिलाएँ इसे संभालती हैं जो आपके दिल को छू जाएंगी।
श्री स्वामिनारायण मंदिर की उच्च शिखरें अविस्मरणीय वैभव को दर्शाती हैं। मंदिर के अंदर जब आप विशाल रूप में बज रहे भजनों को सुनेंगे, तो आपकी आंखों में आंसू भर आएंगे और मन भक्ति से लबरेज हो जाएगा।
ईच्छानाथ महादेव मंदिर के धरोहरी गुंबदें और शिवलिंग का अद्भुत चमत्कार आपको अंदर से अंदर कांप देगा। यहाँ के मंदिर का पवित्र वातावरण आपको भगवान शिव के दर्शन करके आत्मशांति की प्राप्ति करेगा।
इन प्रसिद्ध मंदिरों के आँचल में, आपको अपने आसपास की सारी दुनिया भूल जाने की अनूठी अनुभूति होगी। धर्म के इस सफलता के रास्ते पर चलते हुए, आपको अपने अंतर्मन की गहराइयों में खोने का एहसास होगा।
यहाँ के मंदिर न केवल एक आध्यात्मिक स्थल हैं, बल्कि अपने रूढ़िवादी संस्कृति के साथ एक सामाजिक मेला भी हैं। इन मंदिरों के उत्सव और त्योहारों में भाग लेते हुए, आपको नए सच्चे मित्रों के साथ जुड़ने का अवसर मिलेगा और आप एक बड़े परिवार के अंग समझेंगे।
इन सुंदर और प्राचीन मंदिरों के यात्रा का अनुभव करके, हम अपने जीवन को एक नई उचाईयों तक ले जा सकते हैं। इन मंदिरों के चरणों में अपनी मनोकामनाएं साकार होती हैं और हमारे मन को शांति, समृद्धि, और संतुष्टि की प्राप्ति होती है।
धर्म के इस अद्भुत सफलता के संग, हम सब एक नए उजियाले भविष्य की ओर बढ़ते हैं। इन मंदिरों के पवित्र वातावरण में, हम अपने आप को पुनः खोजते हैं और अपने जीवन को धर्म, प्रेम, और सेवा के माध्यम से अर्थपूर्ण बनाते हैं।
Let’s Start Top 10 Temples In Surat 2023 | Most Famous Temple In Surat
1.अम्बिका निकेतन मंदिर
अंबिका निकेतन मंदिर सूरत के सबसे पवित्र स्थानों में से एक है जो तापी नदी के तट पर और डुमास रोड, पार्ले पॉइंट, अठवालाइन्स, अठवा पर स्थित है। यह मंदिर देवी शक्ति के अवतार देवी अंबे या अंबिका को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण 1969 में मां अंबे की महान भक्त स्वर्गीय श्रीमती भारती मैया द्वारा किया गया था। अष्टभुजा अंबे यानी आठ हाथों वाली मां अंबिका की बहुत आकर्षक मूर्ति मुख्य मंदिर के केंद्र में रखी गई है और भगवान शिव, भगवान राम को समर्पित अन्य मंदिर से घिरी हुई है। , देवी सीता और लक्ष्मी नारायण। अंबिका निकेतन मंदिर में पूरे भारत भर में हजारों भक्त आते हैं और विशेष रूप से चैत्र और अश्विनी दोनों नवरात्रि के दौरान। मंदिर ट्रस्ट कई सामाजिक, आध्यात्मिक, स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा संबंधी गतिविधियों से जुड़ा हुआ है।
स्थान: डुमास रोड, पार्ले पॉइंट, अठवालाइन्स, अठवा, सूरत, गुजरात 395007
2.इस्कॉन सूरत
इस्कॉन मंदिर, जिसे स्थानीय रूप से श्री श्री राधा दामोदर मंदिर के नाम से जाना जाता है, की स्थापना 1978 में इस्कॉन फाउंडेशन द्वारा की गई थी। इसका निर्माण 1970 में इस्कॉन के संस्थापक आचार्य श्रील प्रभुपाद की यात्रा से पहले किया गया था। प्रारंभ में मंदिर का क्षेत्र लगभग 900 वर्ग फुट तक सीमित था, लेकिन समय के साथ मंदिर परिसर को 13,600 वर्ग फुट तक बढ़ा दिया गया है। शहर के केंद्र से थोड़ी दूर और तापी नदी के तट के पास स्थित, यह मंदिर शहर के जीवन की हलचल से दूर ले जाता है।मंदिर का सरल लेकिन वास्तुशिल्प रूप से प्रभावशाली डिजाइन, भगवान कृष्ण और भगवान राम की सुंदर मूर्तियाँ, आरती, भजन और शांतिपूर्ण और स्वच्छ वातावरण एक व्यक्ति को मानसिक और आध्यात्मिक रूप से मंत्रमुग्ध और तरोताजा करने की शक्ति रखते हैं। मंदिर परिसर में एक गेस्ट हाउस और किताबें और स्मृति चिन्ह प्रदान करने वाली दुकानें भी हैं।सूरत के सबसे बड़े मंदिरों में से एक, श्री श्री राधा दामोदर मंदिर भक्तों के बीच बहुत लोकप्रिय है। त्यौहार और छुट्टियाँ ऐसे दिन होते हैं जब बड़ी संख्या में लोग भगवान के दर्शन करने आते हैं और मंदिर के विशेष भक्ति गीतों और संगीत का आनंद लेते हैं।
स्थान:श्री श्री राधा दामोदर मंदिर,आश्रम रोड, जहांगीर पुरा,सूरत, गुजरात – 395005
3.श्री आशा पुरी माँ मंदिर
मुख्य रूप से कच्छ में यहां की कुल देवी माता आशापुरा की पीठ है। आशापुरा माता को कई समुदाय अपनी कुलदेवी के रूप में मानते हैं। इनमें से मुख्य रूप से नवानगर, राजकोट, मोरवी, गोंडल बारिया राज्य के शासक वंश, चौहान, और जडेजा राजपूत शामिल हैं। गुजरात मे आशापुरा माता का मुख्य मंदिर कच्छ मे, ‘माता नो मढ़’ , जो भुज में है, से लगभग 95 किलोमीटर दूर पर स्थित है। कच्छ के गोसर और पोलादिया समुदाय के लोग भी आशापुरा माता को अपनी कुलदेवी मानते हैं।बताते हैं कि चौहान राजवंश की स्थापना के बाद में शुरू से शाकम्भरी देवी को कुलदेवी के रूप में पूजा जाता रहा है। चौहान वंश का राज्य शाकम्भर यानि सांभर में स्थापित हुआ तब से ही चौहानों ने मां आद्याशक्ति को शाकम्भरी के रूप में स्वीकार करके शक्ति की पूजा अर्चना शुरू कर दी थी। इसके बाद नाडोल में भी राव लक्ष्मण ने शाकम्भरी माता के रूप में ही माता की आराधना की प्रारंभ थी, लेकिन जब देवी के आशीर्वाद फलस्वरूप उनकी सभी आशाएं पूर्ण होने लगीं तो उन्होंने माता को आशापुरा मतलब आशा पूरी करने वाली कह कर संबोधित करना प्रारंभ किया। इस तरह से माता शाकम्भरी ही एक और नाम आशापुरा से विख्यात हुई और कालांतर में चौहान वंश के लोग माता शाकम्भरी को ही आशापुरा माता के नाम से कुलदेवी मानने लगे।
स्थान: नवसारी बाजार रोड, एसएमसी स्विमिंग पूल के सामने, रुस्तमपुरा, सूरत, गुजरात 395008
4.श्री स्वामीनारायण मंदिर
श्री स्वामीनारायण मंदिर भारत के सबसे पवित्र और सबसे प्रसिद्ध हिंदू मंदिरों में से एक है और स्वामीनारायण संप्रदाय का एक हिस्सा है। स्वामीनारायण संप्रदाय के संस्थापक स्वामीनारायण ने आस्तिकता और देवता पूजा के अपने दर्शन के हिस्से के रूप में मंदिरों की स्थापना की, जिन्हें मंदिर के रूप में जाना जाता है। उन्होंने निम्नलिखित शहरों में नौ मंदिरों का निर्माण कराया; अहमदाबाद, भुज, मुली, वडताल, जूनागढ़, धोलेरा, ढोलका, गढ़पुर और जेतलपुर। इन मंदिरों में उन्होंने विभिन्न हिंदू देवताओं की छवियां स्थापित कीं, जैसे नरनारायण देव, लक्ष्मीनारायण देव, राधाकृष्ण देव, राधारमण देव, रेवती-बलदेवजी, मदन मोहन देव आदि। इन नौ मूल मंदिरों में से प्रत्येक या तो नरनारायण देव गादी, अहमदाबाद के अंतर्गत आता है। लक्ष्मीनारायण देव गादी, वडताल उनकी भौगोलिक स्थिति के आधार पर।
स्थान:प्रमुख स्वामी महाराज मार्ग, स्वामीनारायण चौक, एन.आर. सरदार ब्रिज अडाजण, सूरत 395 009 गुजरात
5.इच्छानाथ महादेव मंदिर
सूरत में स्थित भगवान शिव का ऐतिहासिक इच्छानाथ महादेव मंदिर 100 साल से भी ज्यादा पुराना है। जैसा कि नाम से पता चलता है भगवान भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। यह सूरत का सबसे पवित्र और प्रमुख स्थान है। मंदिर परिसर में बहुत ही शांत वातावरण है जहां भक्त आंतरिक शांति के लिए समय बिता सकते हैं।
स्थान: इच्छानाथ मंदिर, सामने:- एसवीआर कॉलेज, डुमास रोड,एसवीएनआईटी कॉलेज, डुमास रोड, एसवीएनआईटी कैंपस, अठवा, सूरत, गुजरात 395007
6.पुराना अम्बाजी मंदिर
अंबाजी माता मंदिर भारत के सबसे प्राचीन और प्रमुख धार्मिक स्थलों में जाना जाता है। आपको बता दें, माता सती का अरावली पर्वत श्रृंखला पर स्थित अरसुरी पहाड़ी पर जा गिरा था, जहां आज ये मंदिर स्थापित है। ये मंदिर मां दुर्गा के 51 शक्तिपीठों में शामिल है। हर साल हजारों की संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शन करने के लिए अंबाजी मंदिर आते हैं। खास रूप से यहां, भद्रवी पूर्णिमा, नवरात्रि और दिवाली के दिनों में भक्तों की सबसे ज्यादा भीड़ देखने को मिलती है। ये जगह जंगलों से घिरे रहने की वजह से श्रद्धालुओं को आध्यात्मिकता के साथ-साथ प्राकृतिक नजारों का भी एक अच्छा खासा मिश्रण पेश करती है। अंबाजी मंदिर के आसपास कई पर्यटन स्थल भी मौजूद, जहां लोग माता के दर्शन करने के बाद घूमने के लिए जा सकते हैं। आज इस लेख में हम आपको अंबाजी माता मंदिर से जुड़ी कुछ दिलचस्प बाते बताते हैं।
स्थान: अम्बाजी रोड, हवड़िया चकला, गोपीपुरा, सूरत, गुजरात 395003
7.छेत्रपाल हनुमान मंदिर
शहर के प्राचीन हनुमान मंदिर क्षेत्रपाल हनुमान मंदिर में प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी सालगिरह उत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा। सालगिरह उत्सव के दौरान 16 दिसम्बर को नवसारी बाजार स्थित मंदिर प्रांगण में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे शहर के प्राचीन हनुमान मंदिर क्षेत्रपाल हनुमान मंदिर में प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी सालगिरह उत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा। सालगिरह उत्सव के दौरान 16 दिसम्बर को नवसारी बाजार स्थित मंदिर प्रांगण में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। क्षेत्रपाल हनुमान मंदिर के महंत राकेशनाथ महाराज ने बताया कि मार्गशीर्ष कृष्ण अष्टमी के मौके पर क्षेत्रपाल हनुमानजी महाराज की सालगिरह मनाई जाती है और 16 दिसम्बर शुक्रवार को सुबह 11 बजे से मंदिर प्रांगण में वेदपाठी ब्राह्मणों के द्वारा मंत्रोच्चार के साथ यज्ञ-हवन किया जाएगा। यज्ञ की पूर्णाहुति शाम पांच बजे होगी। हनुमानजी महाराज के समक्ष अन्नकूट का भोग परोसा जाएगा। अन्नकूट के दर्शन दोपहर तीन बजे से शुरू होंगे। सांध्यकालीन महाआरती के बाद शाम सात बजे से भजन संध्या आयोजित की जाएगी और भजन गायक सुरेश जोशी अपने साथियों के साथ भजनों की प्रस्तुति देंगे। इस अवसर पर सामूहिक हनुमान चालीसा पाठ का आयोजन भी किया जाएगा।नवसारी के दंडेश्वर स्थित श्रीकृष्ण कामधेनु गौशाला, मां शाकंभरी आश्रम परिसर में रविवार सुबह सवा मंदिर निर्माण के लिए शिला पूजन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मंदिर निर्माण समिति के राजकुमार अग्रवाल ने बताया कि श्रीकृष्ण कामधेनु गौशाला, मां शाकम्भरी आश्रम परिसर में शाकंभरी मां, मनसा माता, मां जीण भवानी, राणी सती दादी एवं श्याम बाबा के मंदिर के निर्माण के लिए शिला पूजन का कार्यक्रम महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदास महाराज के सानिध्य में रविवार सुबह आयोजित किया गया । इस अवसर पर पूजा विधान के बाद श्रद्धालुओं ने गौशाला का भ्रमण भी किया। इस दौरान कई गौभक्त मौजूद रहे।
स्थान:क्षेत्रपाल दादा मार्ग, गार्डन कॉलोनी, रुद्रपुरा, सूरत, गुजरात 395008
8.कांतेश्वर महादेव मंदिर
गुजरात के सूरत में कांतेश्वर महादेव मंदिर संभवतः सूरत में सबसे पुराना मंदिर है और भगवान शिव को समर्पित है। स्थानीय लोगों के
अनुसार इस मंदिर को वास्तव में माता कुंती और पांडवों ने बसाया था। किंवदंतियाँ कुँए के समकक्ष बताती हैं। यह शहर के सबसे महत्वपूर्ण
अभयारण्यों में से एक है और यहां प्रतिदिन कई लोग आते हैं
स्थान:कतारगाम मेन रोड, सामने। शिवम अपार्टमेंट, कतारगाम, सूरत, गुजरात 395004
9.श्री अगम मंदिर
यह पूरे देश में स्थित सबसे बड़े अगम मंदिरों में से एक है। शहर के बहुत करीब स्थित, सूरत के अग्रम मंदिर का नाम प्रसिद्ध ब्राह्मण गोपी के नाम पर रखा गया है। इस मंदिर की पूजा पद्धति और स्थापत्य सुंदरता को देखने के लिए देश भर से लोग आते हैं। यह मंदिर भगवान महावीर को समर्पित है और इसमें भगवान की एक सुंदर मूर्ति है। इसके साथ ही इस मंदिर में कई अन्य देवताओं की भी पूजा की जाती है। श्रद्धालु मंदिर के चारों ओर बने शिलालेखों की भी प्रशंसा करते हैं।
स्थान: झावेरी जैन स्कूल, एनी बेसेंट रोड, एनजी के पीछे, गोपीपुरा, सूरत, गुजरात 395001
10.बड़ा गणेश मंदिर
“बड़ा गणेश मंदिर” जो न सिर्फ एक मंदिर है, बल्कि एक आभूषण है जो सूरत की धरोहर को सजीव करता है।
मंदिर का नाम ही काफी है उसकी महत्ता को समझने के लिए। जब भगवान गणेश की विशेष श्रद्धा हो, तो यहां आना बिल्कुल अनिवार्य हो जाता है। मंदिर की सुंदर आर्किटेक्चर और मनोहर वास्तुकला का आभास होता है, जो यात्रियों को खिचकर रखता है। मंदिर के अंदर जब भी आप कदम रखते हैं, तो आपका मन शांति से भर जाता है। गणेश भगवान की मूर्ति के सामने खड़े होकर मन में आने वाले भावनाओं का वर्णन करना मुश्किल है। विशेष रूप से गणेश चतुर्थी के दिन, जब हज़ारों भक्त उनके दरबार में आते हैं और उनसे आशीर्वाद मांगते हैं, तो वह दृश्य अत्यधिक भावनाओं का प्रतीक होता है।
बड़ा गणेश मंदिर सूरत की धरोहर में सजीव रहने वाला एक अनमोल रत्न है। यहां आकर आत्मा को शांति और स्थिरता मिलती है, जिससे जीवन के सभी चुनौतियों का सामना किया जा सकता है। इस मंदिर की महिमा को शब्दों में व्यक्त करना मुश्किल है, बल्कि उसकी महत्वपूर्णता को आत्मसात करना होगा। बड़ा गणेश मंदिर सूरत की एक अनूठी पहचान है, जो हर दिल को छूने की क्षमता रखती है।
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