Top10 famous temples in agra आगरा के 10 प्रसिद्ध मंदिर -आगरा शहर उत्तर प्रदेश राज्य के दक्षिणी भाग में स्थित है और यह भारत का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। इस शहर का ऐतिहासिक महत्व विश्व भर में मशहूर है, क्योंकि यहाँ पर विश्व धरोहर स्थल ताजमहल, रेड फ़ॉर्ट, और अकबर का मकबरा जैसे प्रमुख धर्मिक और सांस्कृतिक स्थल हैं। आगरा ने मुग़ल साम्राज्य के समय में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और आज भी उसका ऐतिहासिक विरासत को महसूस किया जा सकता हैं। यहाँ के प्रसिद्ध मंदिर भी इस नगर की आध्यात्मिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और यहाँ के भक्तों के लिए धार्मिकता और आध्यात्मिकता का एक महत्वपूर्ण केंद्र हैं।
आगरा के मंदिरों का संग्रह विविधता और धर्मिक धाराओं का आदान-प्रदान करता है, जिसमें से कुछ मुख्य मंदिर हैं मनकामेश्वर मंदिर, बालकेश्वर महादेव मंदिर, श्री खाटू श्याम मंदिर, राधास्वामी मंदिर, कैलाश मंदिर और अन्य। इन मंदिरों का दर्शन करना आगरा की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है और यहाँ के आने वाले पर्यटकों के लिए एक आध्यात्मिक अनुभव का सफर प्रदान करता है
इस आर्टिकल में, हम आपको आगरा के टॉप 10 मंदिरों की यात्रा पर लेकर जाएंगे, जो इस नगर की आध्यात्मिक धरोहर का हिस्सा हैं और पर्यटकों के लिए एक आध्यात्मिक सफर का सुखद हिस्सा हैं।
1.) श्री मनकामेश्वर मंदिर
आगरा शहर में शिव मंदिरों की एक श्रृंखाला है । मनकामेश्वर मंदिर भगवान शिव का एक विशेष मंदिर है। इस मंदिर के परिसर में मनकामेश्वर शिव के साथ-साथ सिद्धेश्वर और ऋणमुक्तेश्वर महादेव के शिवलिंग भी हैं। यहां रुद्रावतार बजरंगबली की दक्षिणमुखी मूर्ति भी देखी जा सकती है, साथ ही भैरव, यक्ष और किन्नर भी मौजूद हैं।
मान्यता है कि द्वापर युग में भगवान शिव ने खुद यहां एक शिवलिंग की स्थापना की थी। एक कथा के अनुसार, श्रीकृष्ण के जन्म के बाद भगवान शिव ने उन्हें देखने की इच्छा के साथ यहां आकर एक रात बिताई और उन्होंने यहां साधना की। उन्होंने वचन दिया कि अगर वे कान्हा को अपने गोद में खिला पाते हैं तो यहां शिवलिंग की स्थापना करेंगे। अगले दिन, जब वे गोकुल पहुंचे, तो यशोदा माई ने उनके भस्म-भभूत और जटा-जूटधारी रूप को देखकर मना कर दिया क्योंकी यशोदा माइया को लगा की कृष्णा डर जाएँगे। शिवजी को आया जान भगवान कृष्णा ने रोना शुरु कर दिया जिससे यशोदा माइया उन्हें शिव जी की गोद में दे दें। तब तक शिव एक बरगद के पेड़ के नीचे ध्यान लगा रहे थे । और कृष्ण उनकी गोद में गए तब वो चुप हुये । शिव जी ने वापस आकर इस स्थान पर शिवलिंग की स्थापना की और आशीर्वाद दिया कि सच्चे मन से आने वाले भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होंगी। यहां एक विशेष बात है कि यहां देसी घी से प्रज्ज्वलित होने वाली 11 अखंड ज्योतियाँ निरंतर जलती रहती हैं।
स्थान:- दरेसी रोड , रावतपारा , मांटोला , आगरा , उत्तर प्रदेश
समय:-
गर्मियों में :- (सुबह)4:40 – (रात) 10:30
सर्दियों में :- (सुबह)5:30 – (रात)10:00
2.) बालकेश्वर महादेव मंदिर
आगरा, जिसे ताज नगरी भी कहते हैं, माना जाता है कि वह भगवान महादेव के विशेष आशीर्वाद से युक्त है। इस नगर में चारों दिशाओं में भगवान महादेव के प्राचीन मंदिर स्थित हैं, जिनमें से एक मंदिर बल्केश्वर का है। इसका इतिहास विशेष रूप से उल्लिखित है कि यह मंदिर 700 साल पहले बनाया गया था। उस समय इसके पास घने बिल्व पत्रों का जंगल था। जंगल की कटाई के दौरान, वहां भगवान महादेव की शिवलिंग दिखाई दी थी, और इससे पहले बकरियों चलाने वाले को यहां एक शिवलिंग मिला था, क्योंकि यह शिवलिंग बिल्व पत्रों के घने जंगल में था, इसलिए इसे बल्केश्वर मंदिर कहा गया। यह मान्यता है कि भगवान बल्केश्वर महादेव के मंदिर में 40 दिन तक आस्था और श्रद्धा के साथ आने से, और वहां दर्शन-पूजन करने से, भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
स्थान:- बालकेश्वर घाट वासन , कैलाश नगर , आगरा , उत्तर प्रदेश ।
समय:-
(सुबह) 5:00 – (रात) 10:00 बजे तक
बालकेश्वर महादेव मंदिर
3.) श्री खाटू श्याम जी मंदिर
आगरा शहर में स्थित खाटू श्याम का मंदिर वैश्विक स्तर पर प्रसिद्ध है। इस मंदिर का निर्माण वर्ष 2012 में प्रारंभ हुआ था और अब यह पूरा हो गया है। 21 फरवरी से खाटू श्याम महाराज का मंदिर सभी श्रद्धालुओं के लिए खुल गया है। यह मंदिर 1200 गज परिसर में है और इसके निर्माण में राजस्थान के गुलाबी पत्थरों का प्रयोग किया गया है। विश्व प्रसिद्ध प्रेम मंदिर के शिल्पकारों के साथ, लगभग 300 कारीगरों ने इसे राजस्थानी शैली में सुंदर रूप में तैयार किया है। पार्किंग और आने वाले श्रद्धालुओं के भोजन की व्यवस्था के लिए भूमिगत मंडल में व्यवस्थाएं हैं, और एक बड़ा रसोईघर भी बनाया गया है। इसके बाद, मंदिर के ग्राउंड फ्लोर पर खाटू श्याम महाराज की मूर्ति स्थापित है। मंदिर परिसर में भगवान गणेश और हनुमान के मंदिर भी स्थापित किए गए हैं। यहाँ के मंदिर ट्रस्ट में लगभग 100 सदस्य हैं, जो मंदिर निर्माण की प्रक्रिया की निगरानी करते हैं।
स्थान:- जीओनी मंडी , आगरा , उत्तर प्रदेश
समय:-
सुबह :- 4:30 – 12:30 बजे तक
शाम :- 4:00 – 10:00 बजे तक
श्री खाटू श्याम जी मंदिर
4.) राधास्वामी मंदिर
राधास्वामी मंदिर, आगरा का सबसे प्रसिद्ध और सबसे पुराना कैथोलिक चर्च में से एक है, जो 116 साल पहले बनाया गया था। यह मंदिर आगरा शहर से आठ किमी दूर, फ्लोरिडा गार्डन में स्थित है और राधा स्वामी संप्रदाय का मुख्यालय है। यह आत्मनिर्भर कॉलोनी के रूप में विकसित हुआ है और इसके मुख्यालय के पास उनके गुरु की कब्र स्थित है, जो एक भव्य स्मारक के रूप में है। इसे “स्वामीबाग मंदिर” भी कहते हैं, क्योंकि इसमें राधास्वामी मत के संस्थापक स्वामीजी महाराज की ‘समाधि’ स्थित है। मंदिर के शिखर पर गुरु की समाधि स्थित है और इसकी देखभाल “राधास्वामी सत्संग सभा” नामक समिति करती है। भारत भर में राधास्वामी मत के अनुयायियों द्वारा कई संप्रदाय स्थापित किए गए हैं और यह एक संप्रदाय के रूप में माना जाता है। यह मंदिर अपने 116 साल के संघटित निर्माण के कारण जाना जाता है और इसे “सदैव निर्मित होने वाला मंदिर” भी कहा जाता है। 1904 में निर्माण का काम शुरू हुआ और मंदिर का परिसर 110 फीट की विशाल इमारतों से घिरा हुआ है। इसके निर्माण में सफेद और रंगीन मार्बल का प्रयोग किया गया है, जिसमें सफेद संगमरमर राजस्थान के मकराना से लाया गया है। मंदिर परिसर में कई स्तंभों के साथ-साथ स्टोइना पिएत्रा ड्यूरा जड़ाई भी की गई है।
स्थान:- फ्लोरिडा बाग़ , आगरा , उत्तर प्रदेश
समय:-
(सुबह)4:00 – (सांय)7:00 बजे तक
राधास्वामी मंदिर
5.) कैलाश मंदिर
हजार वर्षों से भी अधिक पहले, कैलाशपति महादेव के दरबार में एक बहुत ही प्राचीन मंदिर की स्थापना हुई थी। इस मंदिर में भगवान परशुराम और उनके पिता ऋषि जमदग्नि ने दो शिवलिंग स्थापित किए थे। त्रेता युग में, भगवान विष्णु के छठवें अवतार भगवान परशुराम और उनके पिता ऋषि जमदग्नि कैलाश पर्वत पर आये और वहां भगवान शिव की आराधना की। उन्होंने भगवान शिव से वरदान मांगा और उनके साथ हमेशा रहने का आशीर्वाद प्राप्त किया। इसके परिणामस्वरूप, दोनों पिता-पुत्र को भगवान शिव द्वारा एक-एक शिवलिंग प्राप्त हुआ ।
वे यमुना के किनारे अपने आश्रम रेणुका की ओर जा रहे थे, लेकिन रात्रि में छह किलोमीटर पहुंचने पर रुक गए। आगले दिन, वे नियमित कार्यों के लिए गए और फिर ज्योर्तिलिंगों की पूजा की। जब वे वापस आए, तो उन्होंने जुड़वा ज्योर्तिलिंग स्थापित मिले, जो बाद में कैलाशधाम के नाम से प्रसिद्ध हुआ। धीरे-धीरे समय के साथ, शिवलिंग की परत मिट्टी से ढकने लगी और वे नीचे चले गए। अवशिष्ट समय-समय पर, मंदिर में मिट्टी से दूध उबलने लगा, जिससे लोग अचंबित हो गए।
एक दिन, एक व्यक्ति ने उस स्थान की खुदाई की और वहां से दो शिवलिंग निकले, जिनके साथ एक ताम्रपत्र था। उस पत्र में महर्षि परशुराम और उनके पिता ऋषि जमदग्नि द्वारा शिवलिंग के इतिहास का वर्णन था। इसके बाद, मंदिर का निर्माण हुआ और उसके बाद से ही यह स्थान कैलाशधाम के नाम से पुकारा जाने लगा। ऐसा माना जाता है की यहां पर भक्तों की सभी सच्ची इच्छाएं पूरी होती हैं।
स्थान:- बैनपुर मुस्तकिल, आगरा , उत्तर प्रदेश
समय:-
(सुबह) 6:00 – (रात) 8:30 बजे तक
कैलाश मंदिर
6.) राजेश्वर मंदिर आगरा
आगरा के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक शमसाबाद रोड पर स्थित 850 साल पुराना राजेश्वर मंदिर है जो भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर का पौराणिक महत्व और यहाँ की मान्यताएँ भी हैं। मंदिर की कथा के अनुसार, बहुत समय पहले राजाखेड़ा के एक सेठ ने नर्मदा नदी के किनारे से बैलगाड़ी से शिवलिंग स्थापित करने ले जा रहा था। जब वह शिवलिंग को मंदिर स्थापना के लिए ले जा रहा था, तो उसके स्वप्न में शिवजी ने उसे संकेत दिया कि शिवलिंग को वहीं स्थापित कर दें। परंतु सेठ ने उस स्वप्न को अनदेखा किया और प्रयत्न किया कि वह शिवलिंग को ले जाए। परंतु शिवलिंग वहीं स्थिर हो गया और तब से ही वहाँ मंदिर की नींव रखी गई।
इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग का वर्णन भी विशेष है। यह शिवलिंग दिन में तीन बार अपने रंग बदलता है। सुबह की मंगला आरती के समय इसका रंग सफेद होता है, दोपहर की आरती के समय यह हल्का नीला दिखता है और शाम की आरती के समय गुलाबी रंग का शिवलिंग प्रकट होता है।
पूरे वर्ष भर मंदिर में विभिन्न हिंदू त्योहारों का आयोजन होता है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए चीनी, शहद, फूल, दूध और गंगा का पवित्र जल चढ़ाया जाता है।
स्थान :- राजा कैरा, शमसाबाद रोड , इंद्रपुरम , शमसाबाद, आगरा, उत्तर प्रदेश ।
समय:-
(सुबह) 4:00 – (रात) 10:30 बजे तक
राजेश्वर मंदिर आगरा
7.) बटेश्वर नाथ मंदिर
बटेश्वर नाथ मंदिर, जो अत्यंत प्राचीन है, वास्तविक रूप से एक महत्वपूर्ण स्थल है। यह मंदिर यमुना नदी के किनारे आगरा, उत्तर प्रदेश से 70 किमी की दूरी पर है। महान संत बटेश्वर नाथ द्वारा स्थापित इस प्राचीन मंदिर में भगवान शिव की विशेष रूपरेखा का दर्शन किया जा सकता है, जिसमें उनकी मूंछें और बड़ी आखें दर्शाई गयी हैं। यहां पर भगवान शिव और पार्वती सेठ-सेठानी के रूप में आसीन हैं। दुनियाभर में, यह शिव की एकमात्र मूर्ति है जो इस प्रकार की है। बटेश्वर के इस धाम को प्रदेश में 101 शिव मंदिरों की श्रृंखला के रूप में भी मान्यता प्राप्त है। भदावर के राजा बदन सिंह भदौरिया ने यहां इस मंदिर के अलावा 101 अन्य शिव मंदिरों का निर्माण कराया था, जो यमुना तट पर स्थित हैं।
बटेश्वर मंदिर में सावन का महीना महत्वपूर्ण होता है। इस महीने में, एक महोत्सव आयोजित किया जाता है जिसमें भक्त बटेश्वर बाबा की पूजा करने बड़ी संख्या में आते हैं। इस अवसर पर, भक्त लगभग 160 किलोमीटर दूर से गंगा जल लाकर उन्हें चढ़ाते हैं। बटेश्वर धाम में सावन महीने के प्रत्येक सोमवार को कावर का जल प्रदान किया जाता है, जिसके दौरान हजारों भक्त मंदिर आते हैं। शिवरात्रि बटेश्वर मंदिर का प्रमुख त्योहार है, जिसमें भक्त भारतीय परंपरा के अनुसार उपवास रखते हैं और पूजा करते हैं।
स्थान:- बटेश्वरनाथ , आगरा , उत्तर प्रदेश
समय:-
शाम :- 4:00 – 9:00 बजे तक
बटेश्वर नाथ मंदिर
8.) रावली महाराज मंदिर आगरा
रावली महाराज मंदिर, जो आगरा में स्थित है, भगवान शिव के पवित्र स्थलों में से एक प्रमुख परंपरागत मंदिर है। यह स्थान एमजी रोड पर स्थित है और यहां आने वाले लोगों को आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है। मुग़ल सम्राट अकबर के समय में, आमेर के राजा मानसिंह अफगानिस्तान गए थे और उन्हें अटक पहाड़ी पर एक शिवलिंग मिला। उन्होंने उसे साथ लिया और जब वे आगरा पहुँचे, तो उन्होंने उस शिवलिंग को वहां स्थापित कर दिया, जहां आज रावली महाराज मंदिर है। यहां आसपास रावल राजपूत निवास करते थे, इस कारण से इसे “रावली महादेव मंदिर” कहा गया। प्रतिदिन, यहां बहुत सारे भक्त आकर्षित होते हैं जो यहां अपनी मनोकामनाएं मांगने और अपने इष्टदेव से प्रार्थना करने आते हैं। सोमवार को भक्तों की भीड़ दोगुनी हो जाती है। आगरा में इस प्रसिद्ध स्थल के आस पास पर्याप्त शांति और प्राकृतिकता का वातावरण है, जिसके कारण रावली महाराज मंदिर की यात्रा हमेशा पर्यटकों के लिए आनंददायक रहती है।
स्थान:- महात्मा गांधी रोड , पंचकुियन , आगरा , उत्तर प्रदेश ।
समय:-
(सुबह)6:00 – (रात) 8:00 बजे तक
रावली महाराज मंदिर आगरा
9.) सूर्य मंदिर
आगरा शहर में ताजमहल से मात्र बीस किलोमीटर की दूरी पर, एक आध्यातमिक पर्यटन स्थल स्थित है। यह स्थल ताजनगरी में स्थित है, जहाँ पर सूर्य मंदिर का निर्माण हुआ है, जो अत्यधिक अनूठा है। इस स्थल का निर्माण गायत्री परिवार के मुख्यालय, हरिद्वार के शांतिकुंज ने किया है, जिन्होंने तीर्थों की परंपरा में एक नया दृष्टिकोण दिखाया है। सूर्य मंदिर के कक्ष में धवल संगमरमर से बनी मूर्ति में भगवान भास्कर देव सारथी के साथ रथ पर सवार हैं, जिनके रथ में सात घोड़े ऐसे प्रतिष्ठित हैं कि उन्हें अभी दौड़ते हुए देखा जा सकता है। इसके पीछे उदयमान सूर्य का दृश्य चित्रित है। सूर्य मंदिर का निर्माण अगस्त 2011 में प्रारंभ हुआ था और इसका नक्शा नागपुर के आर्किटेक्ट अशोक मोखा ने तैयार किया था। इस मंदिर की निर्माण कंपनी ने चार वर्ष में पूरा किया और सूर्यदेव की मूर्ति चेन्नई से लायी गयी थी। सूर्य मंदिर के शिखर पर एक वृत्ताकार में लेंस लगाया गया है, जो मूर्ति और मंदिर को प्रकाशित करते हैं और इससे यह मंदिर अनूठा दिखता है।
स्थान:- आंवलखेड़ा , आगरा , उत्तर प्रदेश
समय:-
(सुबह)9:00 -(शाम) 5:00 बजे तक
सूर्य मंदिर
10.) पृथ्वीनाथ मंदिर
पृथ्वीनाथ महादेव मंदिर की विशालकाय धारोहर आज से 800 वर्ष पूर्व की है। इसके पीछे एक कथा प्रमुख है, जिसमें बताया जाता है कि एक बार महान राजा पृथ्वीराज चौहान ने इसी स्थान पर विश्राम कर रहे थे। उनके दौर के समय, यहाँ जंगली भूमि थी, जहाँ उन्होंने अपने घोड़े को बाँध लिया। परंतु अचानक घोड़ा खुल कर बाहर आ गया। उनके कई प्रयासों के वो घोड़े को बंधने में सफल नहीं हो सके, फिर वो विचार करने लगे की वह घोड़े को क्यों नही बांध पा रहे है। फिर उन्हें एक अद्वितीय शिवलिंग प्राप्त हुआ। राजा ने शिवलिंग को खोदने का प्रयास किया, लेकिन उसके बाद भी उसका छोर नहीं पा सके। उसके बाद, उन्होंने शिवलिंग की पूजा आरंभ की और इसी स्थान पर मंदिर की नींव रखी। इस घटना के बाद, पृथ्वीराज चौहान के नाम पर ही यह सुंदर मंदिर ‘पृथ्वीनाथ महादेव’ के रूप में प्रसिद्ध हुआ। यह धार्मिक स्थल मान्यता से भरपूर है, और विश्वास है कि यहाँ की जो पूजा और व्रत सच्चे मन से किए जाते हैं तो वो अवश्य पूर्ण होते हैं। प्रतिवर्ष सावन के चौथे सोमवार को, पृथ्वीनाथ महादेव मंदिर में एक धार्मिक मेला आयोजित होता है, जहाँ श्रद्धालु आकर भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं, व्रत रखते हैं और कांवड़ चढ़ाते हैं।
स्थान:- अशोक विहार , केदारनगर , आगरा , उत्तर प्रदेश
समय:-
(सुबह)6:00- (रात)9:00 बजे
पृथ्वीनाथ मंदिर
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