“श्री कष्टभंजन देव हनुमान सारंगपुरधाम अद्धभुत चमत्कारी अनोखा मंदिर: Unveiling the Miraculous Power of Shree Kashtbhanjan Dev Hanuman Mandir

श्री कष्टभंजन देव हनुमान सारंगपुरधाम अद्धभुत चमत्कारी अनोखा मंदिर

 

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हिन्दू धर्म में देवताओं का विशेष महत्व है। देवताओं की अनंत शक्तियाँ और उनका आदर्श मनुष्यों को जीवन में सुख और समृद्धि प्रदान करने का कारण बनता है। हिन्दू त्रदितियों में अनेक देवी-देवताओं की पूजा की जाती है और उनमें से एक देवता हैं कष्टभंजन देव हनुमान। श्री कष्टभंजन देव हनुमान सारंगपुरधाम जो अद्धभुत हैं चमत्कारी भी हैं और अनोखा मंदिर भी है
कष्टभंजन देव हनुमान को भारतीय धर्म में एक महान देवता माना जाता है। वे देवताओं में सबसे प्रमुख हैं और भक्तों के बीच विशेष सम्मान का हिस्सा हैं। हनुमान जी को बजरंगबली और पवनपुत्र भी कहा जाता है। उन्हें नवग्रहों का प्रभाव कम करने वाले देवता माना जाता है और यही कारण है कि उनकी पूजा और आराधना अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है।
कष्टभंजन देव हनुमान के जीवन के बारे में विभिन्न पुराणों और लोककथाओं में कई किस्से सुनाए गए हैं।
कष्टभंजन देव हनुमान, जिन्हें कष्टों के नाशक भी कहा जाता है, एक प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर है जो भारत के गुजरात राज्य में स्थित सारंगपुर गुजरात में स्थित है। इस सारंगपुरधाम की विशेषता यही है कि यहां स्वामी नारायण भगवान् के महान संत ऐश्वर्य मूर्ति गुरुदेव गोपालन स्वामी ने यहां के लोगों के दुःख दूर करने के लिए, कष्टों को दूर करने के लिए, लोगों की व्याधि को दूर करने के लिए एक ऐसे देव को प्रस्थापित किया जिनका नाम कष्ट भंजन हनुमान (Sarangpur Hanuman) जी महाराज है।

गुजरात का सारंगपुर महज 5 से 7 हजार की आबादी वाला एक छोटा सा गाँव है जो गुजरात के शहर भावनगर से 82 और अहमदाबाद से करीब 153 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जहां आने के लिए बस सेवा और प्राइवेट वीइकल आसानी से उपलब्ध रहते हैं।यह मंदिर देश में सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण हनुमान मंदिरों में से एक माना जाता है।

“कष्टभंजन” नाम का अर्थ होता है “कष्टों को दूर करने वाला” या “मुश्किलें नष्ट करने वाला”, जो भगवान हनुमान की दिव्य शक्ति को दर्शाता है जो उनके भक्तों के सामने आने वाली समस्याओं और चुनौतियों को कम करने में सक्षम होती है। यह मान्यता है कि इस मंदिर में प्रार्थना करने और आशीर्वाद मांगने से बाधाएं दूर होती हैं, रोग ठीक होते हैं और समृद्धि और सुख स्थापित होते हैं।
कष्टभंजन हनुमान मंदिर का इतिहास 20वीं सदी की शुरुआत में जाता है |
मंदिर के गर्भगृह में विराजित हनुमान जी की प्रतिमा के रूप को लेकर दावा करते हैं कि उनका यह रूप यह बताने के लिए काफी है कि हमारे लिए दादा देव जी का महत्व क्या है। स्थानीय लोग कष्टभंजन हनुमान जी को दादा देव जी के नाम से भी बुलाते हैं।
दरअसल यहां विराजित भगवान ‘‘कष्टभंजन हनुमान’’ (Kashtbhanjan Hanuman Sarangpur) जी की प्रतिमा के पैरों के नीचे शनिदेव को स्त्री रूप में दर्शाया गया है। इस संबंध में यहां एक बहुत ही प्रचलित कथा है और यही कथा इस प्रतिमा के कष्टभंजन के रूप को दर्शाती है।

भगवान हनुमान जी के ‘‘कष्टभंजन हनुमान’’ के रूप को दर्शाती एक प्रचलित कथा के अनुसार प्राचीन समय में शनिदेव का प्रकोप काफी बढ़ गया था। जिसके कारण यहां के सभी लोगों को तरह-तरह की परेशानियों और दुखों का सामना करना पड़ रहा था। ऐसे में यहां के उस समय के स्थानीय निवासियों ने भगवान हनुमान जी से प्रार्थना करी कि वे उन्हें इस संकट से मुक्ति दें।
भक्तों को कष्ट में देख कर हनुमान जी ने उनकी विनती को स्वीकार किया और उन्हें शनि के प्रकोप से बचाने के लिए इसी स्थान पर अवतरित हुए थे। कहा जाता है कि इसके बाद हनुमानजी शनिदेव पर क्रोधित हो गए और उन्हें दंड देने का निश्चय कर लिया। शनिदेव को जब इस बात का पता चला तो वे बहुत डर गए और हनुमानजी के क्रोध से बचने के लिए उपाय सोचने लगे।
शनिदेव अनुभव कर रहे थे कि हनुमानजी अत्यंत नीरवधिक और ब्रह्मचारी हैं। वे किसी भी स्त्री पर अपना क्रोध नहीं निकालते थे। इसीलिए, शनिदेव ने उनके क्रोध से बचने के लिए स्त्री रूप अपनाया। वे हनुमानजी के पास चले गए और उनके पवित्र पैरों में गिर पड़े। अपने हृदय से क्षमा मांगने लगे। एक आश्वासन के बाद, हनुमानजी ने शनिदेव को क्षमा देने का निर्णय लिया। इस प्यार और क्षमा भरे संवाद में भावनाओं का आवेश उमड़ आया। यह घटना हमें यह दिखाती है कि पवित्रता, सम्मान और प्रेम के साथ हम किसी को भी माफ कर सकते हैं।

मंदिर के गर्भगृह में विराजित भगवान “कष्टभंजन हनुमान” (कष्टभंजन हनुमान सरंगपुर) जी की प्रतिमा को उसी प्रचलित कथा के अनुसार कष्टभंजन के रूप में दर्शाया गया है। पर शनिदेव को हनुमानजी के चरणों में स्त्री रूप में पूजा जाता है। और यही कारण है कि यहां हनुमान जी द्वारा भक्तों के कष्टों का निवारण करने की वजह से ही उन्हें ‘‘कष्टभंजन हनुमान’’ के नाम से जाना जाता है।

मंदिर से जुड़ी मान्यता है कि अगर किसी मनुष्य की कुंडली में शनि दोष होता है तो यहां आकर ‘‘कष्टभंजन हनुमान’’ जी के दर्शन और पूजा-अर्चना करने से वे दोष भी समाप्त हो जाते हैं। और यही कारण है कि वर्ष के बारहों मास इस मंदिर में दर्शन करने और अपनी कुंडली से शनि दोष को दूर करने के लिए आने वाले भक्तों की भीड़ लगी रहती हैं।

यहां शनिवार को कष्टभंजन हनुमान जी के साथ शनि देव का भी आशीर्वाद मिलता है, इसलिए यहां विशेष रूप से भक्तों की लंबी-लंबी कतारें देखी जाती हैं। कष्टभंजन हनुमान जी के इस मंदिर में लोगों की श्रद्धा अटूट है, इसलिए यहां दर्शन करने आने वाले भक्तों की संख्या प्रतिदिन हजारों में होती है। लेकिन मंगलवार और शनिवार के दिन यह संख्या चार से पांच गुणा तक बढ़ जाती है।

गुजरात के सारंगपुर में स्थित कष्टभंजन हनुमान जी के इस प्राचीन मंदिर के गर्भगृह में हनुमान जी सोने के सिंहासन पर विराजमान हैं, इसलिए उन्हें यहां महाराजाधिराज के नाम से भी पुकारा जाता है। हनुमानजी की प्रतिमा भी आकर्षक और विभिन्न रंगों से सज्जित है। इसमें हनुमान जी के चारों ओर उनकी वानर सेना को दर्शाया गया है। साथ ही, कष्टभंजन देव का अति भव्य मंदिर एक राजदरबार की तरह सजे सुंदर मंदिर के विशाल और भव्य मंडप के बीच 45 किलो सोने और 95 किलो चांदी से बने एक सुंदर सिंहासन पर पवनपुत्र विराजमान होते हैं और अपने भक्तों की हर मुरादें पूरी करते हैं। इनके शीश पर हीरे जवाहरात का मुकुट है और निकट ही रखी गदा भी स्वर्ण निर्मित है।

कष्टभंजन हनुमान जी को चढ़ाई जाने वाली सामग्री और प्रसाद की बात करें तो यहां नारियल, पुष्प और कई प्रकार की मिठाईयों का प्रसाद भेंट किया जाता है। नारियल चढ़ाकर अपनी मनोकामना को हनुमान जी के सामने रखने वाले भक्तों की संख्या सबसे अधिक देखी जाती है। इसके अलावा यहां शनि दशा से तो मुक्ति मिलती ही है, साथ ही साथ ‘संकट मोचन रक्षा कवच’ भी मिल जाता है।

यही कारण है कि श्री कष्टभंजन हनुमान जी की प्रसिद्धि सिर्फ गुजरात में ही नहीं बल्कि पूरे देश और दुनिया में फैली हुई है। इसी कारण से देश विदेश से आने वाले तमाम सनातनी भक्त एक बार कष्टभंजन हनुमान जी के दर्शन करने भी जरूर जाना चाहते हैं।

गुजरात के सारंगपुर में स्थित कष्टभंजन हनुमान जी के इस मंदिर का परिसर और यह मंदिर एक दम स्वच्छ, सुसज्जित और एक खुले मैदान के आकार का दिखाई देता है। यह मंदिर भव्यता के साथ उत्तम नक्काशीदार और आकर्षक है।

‘‘कष्टभंजन हनुमान’’ जी के इस प्रमुख मंदिर के साथ ही में भगवान श्री स्वामी नारायण जी का भी बेहद सुन्दर और आकर्षक मंदिर भी मौजूद है जिसमें उनकी स्मृतियों को दर्शाया गया है। करीब 170 वर्ष पुराने इस मन्दिर की विशेषता यह है कि इसकी स्थापना भगवान श्री स्वामी नारायण के अनुयायी परम पूज्य श्री गोपालानन्द स्वामी जी के द्वारा हुई थी। यह मंदिर लकड़ी की आकर्षक एवं परंपरागत नक्काशी से सज्जित है। मंदिर परिसर क्षेत्र का स्वच्छ वातावरण एवं निर्मल हवा श्रद्धालुओं को एक सकारात्मक ऊर्जा का एहसास दिलाता है।
सारंगपुर की अधिकतर आबादी स्वामी नारायण संप्रदाय से जुड़ी हुई है, लेकिन यहां का सबसे बड़ा आकर्षण तो हनुमान जी का यह मंदिर ही है, और ये दोनों ही मंदिर एक ही प्रांगण में बने हुए हैं। हाल ही में कष्टभंजनदेव हनुमान मंदिर परिसर में 54 फीट ऊंची पंचधातु की प्रतिमा स्थापित की गई है। 30 हजार किलो वजन वाली इस प्रतिमा को श्रद्धालु 7 किलोमीटर दूर से भी देख सकते हैं। इस प्रोजेक्ट को किंग ऑफ सारंगपुर का नाम दिया है। यह प्रतिमा दक्षिणाभिमुखी है। वहीं, आधार पर हनुमानजी के चरित्र को उजागर करने वाली भित्ति चित्र का निर्माण किया गया है। इसमें सारंगपुर धाम के इतिहास का भी उल्लेख किया गया है।
परिक्रमा और हनुमान दादा की मूर्ति के मध्य में 11 हजार 900 वर्ग फीट क्षेत्र में एम्फीथिएटर बनाया गया है, जिसमें 1500 लोगों के बैठने की व्यवस्था हैं। प्रतिमा के सामने 62000 वर्ग फीट क्षेत्र में विशाल उद्यान बनाया गया है। इस उद्यान में 12 हजार लोग एक साथ बैठकर हनुमानजी का दर्शन, सभा प्रवृत्ति, उत्सव व अन्य सामाजिक गतिविधियों में हिस्सा ले सकेंगे। किंग ऑफ सारंगपुर प्रोजेक्ट में आर्ट एंड आर्किटेक्ट का सुंदर समन्वय, हिन्दू धर्म की कला – संस्कृति और गौरव की अनुभूति कराई जाएगी।
इसके साथ ही कष्टभंजन हनुमान जी के इस मंदिर के आसपास के कुछ अन्य प्रसिद्ध दर्शनीय और पर्यटन स्थलों में शिव शक्ति मंदिर, श्री जगन्नाथ मंदिर, इस्काॅन मंदिर, सरिता उद्यान एवं हिरन का उद्यान शामिल हैं ।
कष्टभंजन हनुमान मन्दिर के पास में ही में एक गौशाला भी है जिसमें प्राचीन और उत्तम नस्ल की भारतीय गायों के दर्शन और उनकी सेवा भी की जाती है और उनसे प्राप्त होने वाले गौ दूध के इस्तेमाल से ही मंदिर में प्रसाद और भोजन सामग्री तैयार किया जाता है।

भोजन और विश्राम व्यवस्था –

कष्टभंजन हनुमान जी के इस मंदिर की देखभाल और व्यवस्था, पूजा-पाठ आदि मंदिर ट्रस्ट की देखरेख में होता है। दर्शनार्थियों के लिए मंदिर परिसर के अंदर ही एक विशाल भोजनशाला भी स्थित है जिसमें यहां आने वाले सभी भक्तों के लिए दिन-रात निःशुल्क भोजन व्यवस्था उपलब्ध है। इसके अलावा दूर-दूर से आने वाले भक्तों के लिए यहां रात्रि विश्राम की व्यवस्था के लिए मंदिर प्रबंधन ने विशाल और भव्य धर्मशालाएं भी बनाई हैं जो आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित हैं। इसके साथ ही आप मंदिर के बाहर साइड भी एसी नॉन एसी रूम्स ले सकते हैं जो को 500 Rs से लेकर 1000 _1200 तक में आप 2 लोग हो या 4 लोग रूम मिल जायेगा |

मंदिर तक कैसे पहुंचे –
कष्टभंज न हनुमान जी का यह मंदिर गुजरात के बोटाद जिले के सारंगपुर कस्बे में स्थित है। मंदिर तक पहुंचने के लिए सबसे पहले गुजरात के भावनगर जाना होता है। भावनगर से सारंगपुर में स्थित कष्टभंजन हनुमान जी के इस मंदिर की दूरी करीब 90 किमी है। और अगर आप राजकोट से इस मंदिर तक पहुंचना चाहते हैं तो वहां से इस मंदिर की दूरी करीब 120 किमी है। जबकि अहमदाबाद से यह दूरी करीब 165 किमी है। मंदिर तक जाने-आने के लिए बस सेवा और प्राइवेट टेक्सी जैसी सभी सुविधाएं आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं।

अगर आप सारंगपुर तक रेल से पहुंचना चाहते हैं तो देश के कई प्रमुख शहरों से भावनगर के लिए रेल गाड़ियां आसानी से मिल जाती हैं। इसके अलावा भावनगर के लिए सभी बड़े शहरों से हवाई सेवाऐं भी उपलब्ध हैं। सड़क मार्ग से कष्टभंजन हनुमान जी के इस मंदिर तक पहुंचने के लिए प्रदेश और देश के करीब हर प्रमुख शहर से जुड़ा हुआ है।

सारंगपुर के बारे में:-
सारंगपुर के ज्यादातर लोग स्वामी नारायण संप्रदाय से जुड़े हुए हैं लेकिन यहां का सबसे बड़ा आकर्षण है कष्ट भंजन देव का अति भव्य मंदिर।

मंदिर के विशेषताएँ:

श्री कष्टभंजन देव हनुमान सारंगपुरधाम
श्री कष्टभंजन देव हनुमान सारंगपुरधाम

प्रवेशद्वार: मंदिर में एक विशाल प्रवेशद्वार है जो भक्तों को स्वागत करता है। इसे देवदार की लकड़ी से बनाया गया है और इसकी विशेषता इसके ऊपर उत्तेजक उक्तियों और चित्रों का अनुकरण करना है।
मंदिर क्षेत्र: कष्टभंजन देव हनुमान मंदिर एक विशाल क्षेत्र में स्थित है और इसमें हनुमान जी के अलावा अन्य देवी-देवताओं के मंदिर भी हैं। यहां के मंदिरों की सुंदरता और संरचना चमत्कारी हैं और इनका दर्शन करने से आत्मिक शांति एवं ध्यान प्राप्त हो

हनुमान जी की मूर्ति: मंदिर में हनुमान जी की विशेष मूर्ति स्थापित है। यह मूर्ति उठते हुए हाथों और एक मजबूत गदा लेकर खड़ी है। हनुमान जी की इस मूर्ति में दिव्य शक्ति और सामर्थ्य की प्रतीक्षा दिखती है। भक्तों को इस मूर्ति की पूजा और आराधना का विशेष महत्व माना जाता है।

आरती और भजन: मंदिर में नियमित रूप से आरतियाँ और भजन किए जाते हैं। भक्तों को इस सांस्कृतिक कार्यक्रम का भाग बनने का अवसर मिलता है और उन्हें मंदिर के वातावरण में भक्ति और ध्यान की अनुभूति होती है।

पूजा और व्रत: कष्टभंजन हनुमान मंदिर में भक्तों को हनुमान जी की पूजा और व्रत करने का अवसर मिलता है। विशेष तिथियों पर जैसे शनिवार और मंगलवार को भक्तों की भीड़ और आराधना बढ़ती है।

श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएँ: मंदिर में भक्तों के लिए कई सुविधाएँ हैं। यहां पूजारियों और स्वयंसेवकों द्वारा पूजा और आरती की व्यवस्था हैं

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